प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
राजधानी दिल्ली में एचटी लीडरशिप समिट में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक से जुड़े प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "यह वोट हासिल करने का तिकड़म नहीं है। मेरा मानना है कि पिछले पाँच से छह वर्ष में हम देश के किसी न किसी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा का सामना कर रहे हैं और हमारा प्रयास यह रहा है कि ऐसा वातावरण तैयार किया जाए, जिसमें जहां तक संभव हो सके कानून-व्यवस्था से जुड़े मानवीय तरीके से काम कर सकें। अगर दंगों की रोकथाम नहीं की जा सकती है तो दंगा पीडितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिेए। अतः यहां दो बड़े सिद्धांत हैं जो इस बात पर जोर देते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक का क्या उद्देश्य है। मेरा मानना है कि यह ऐसा विधेयक है जिसका समय आ चुका है। मुजफ्फरनगर और देश के अन्य हिस्सों में जो कुछ हुआ वह इस बात की याद दिलाता है कि एक देश होने के नाते हम देश के सभी नागरिकों की रक्षा करने में अपनी क्षमता पर गर्व कर सकते हैं, लेकिन फिर भी कई बार ऐसा समय आया है जहां त्रुटियां हुई हैं। अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो इन त्रुटियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।"