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प्रधानमंत्री: देवियों और सज्जनों, आपको रूस और चीन की यात्राओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, इसलिए मैं इसके अधिक विवरण में नहीं जाऊंगा। रूस की मेरी यात्रा मुख्य रूप से वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए थी। रूस हमारे लिए रक्षा, ऊर्जा और व्यापार सहित कई क्षेत्रों में प्रमुख सामरिक भागीदार है। क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हित के अनेक मुद्दों पर हमारे विचार मिलते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं। मेरी यात्रा से इन संबंधों की मजबूती में नया विश्वास जगा है।
चीन में मेरी यात्रा वहां के नये नेतृत्व को समझने की प्रक्रिया का हिस्सा थी। चीन हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है, एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है और एक ऐसा देश है, जिसकी वैश्विक मौजूदगी बढ़ रही है। हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन बहुत सारे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय क्षेत्र भी हैं, जिनमें हम परस्पर लाभ के लिए सहयोग कर सकते हैं। एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने की प्रक्रिया से ही हम इन क्षेत्रों में आगे बढ़ सकेंगे। मुझे इस बात से संतोष है कि मेरी इस यात्रा में इस उद्देश्य की पूर्ति हुई है।
प्रश्न- महोदय, चीन यात्रा के दौरान नौ ऐतिहासिक समझौतों में से एक समझौते में आपने महत्वपूर्ण सीमा पार नदी समझौते पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इस समय आप उत्तर-पूर्व का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इस समझौते के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर- क्योंकि मैं उत्तर-पूर्व का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, इसलिए मैंने सीमा पार नदी प्रणाली से संबंधित मामलों में चीन और भारत के बीच सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। चीन के नेताओं के साथ मैं पहले भी इस पर बातचीत करता रहा हूं। मैंने इस मुद्दे को फिर उठाया और इसमें कुछ प्रगति हुई है। उन्होंने अधिक दिनों के लिए आंकड़े देने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने इस बात को भी माना है कि सीमा पार नदी प्रणाली के प्रवाह का उन राज्यों पर असर पड़ता है, जहां से नदी गुजरती है। लिहाजा हमने अपनी चिंताएं उन्हें बता दी हैं। मुझे उम्मीद है आगे आने वाले वर्षों में इस बारे में तरक्की होगी।
प्रश्न- चीन के नेताओं ने इस यात्रा को बहुत सफल बताया है। आपका इस बारे में क्या कहना है और रूस और चीन की अपनी यात्राओं की आप किस तरह तुलना करते हैं?
उत्तर- इन दोनों यात्राओं से उद्देश्य पूरे हुए हैं। रूस और चीन की इन यात्राओं के परिणामों से मैं सतुष्ट हूं।
प्रश्न- न्यूयार्क की बैठक को देखते हुए, जो बहुत अच्छी नहीं रही और सीमा पर बार-बार के हमलों के चलते, पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध वास्तव में ठीक नहीं हैं। क्या आपको विश्वास है कि चीन के साथ इस नये सीमा समझौते से किसी समय सीमा मुद्दे को हल करना संभव होगा और इस क्षेत्र में शांति स्थापित हो सकेगी?
उत्तर- चीन और भारत दोनों इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि हमारे संबंधो में प्रगति के लिए सीमा पर शांति पहली आवश्यकता है। इसी समझ के कारण ही कुल मिलाकर भारत-चीन सीमा पर शांति बनी हुई है। इसलिए मैं सही तौर पर संतुष्ट महसूस कर रहा हूं कि चीन का नेतृत्व भी भारत-चीन सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के प्रति गंभीर है।
प्रश्न- श्रीमान, आपने पहले भी कई बार, और दरअसल आज सुबह भी कहा है कि क्षेत्र में उपज रहा आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरवाद चिंता का विषय है। आतंकवाद पर हमारी चिंताओं, क्षेत्र में उपज रहे आतंकवाद के प्रति भारत की चिंताओं बारे में चीन सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर- मैंने पाया कि रूस और चीन दोनों इस बात को पहचानने लगे हैं कि आतंकवाद क्षेत्र के सभी देशों के लिए खतरा है और आतंकवाद तथा उग्रवाद दोनों प्रगति के शत्रु हैं, इस बुराई से निपटने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा, अपनी खुफिया और सूचना प्रणाली को साझा करना होगा।
प्रश्न- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से आपको न्यूयॉर्क में मुलाकात किये तीन सप्ताह से ज्यादा अरसा बीत चुका है, अब सिर्फ नियंत्रण रेखा पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ भी गोलाबारी की घटनाएं बढ़ी हैं। क्या आपको श्री नवाज शरीफ से निराशा हुई है और अगर पाकिस्तान ने गोलाबारी जारी रखी, तो हम इसका क्या जवाब देंगे?
उत्तर- मैं कहना चाहता हूं कि मैं निराश हूं, क्योंकि न्यूयॉर्क की बैठक में दोनों पक्षों में यह आम सहमति बनी थी कि सरहद, नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर शांति बरकरार रखी जाए और ऐसा नहीं हुआ है। मुझे इससे बेहद निराशा हुई है। बैठक में हमने सहमति व्यक्त की थी कि अगर संघर्ष विराम वर्ष 2003 में कारगर रहा, अगर वह 10 साल तक कायम रहा, तो उसे उसके बाद भी बरकरार रखा जा सकता है। वास्तविकता यह है कि ऐसा नहीं हो रहा है और यह बेहद निराशाजनक बात है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस बात को स्वीकार करेंगे कि यह घटनाक्रम दोनों देशों में से किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।
प्रश्न– श्रीमान, मैं एक घरेलू प्रश्न पूछना चाहता हूं । पिछले कुछ हफ्तों या महीनों से सीबीआई कहती आ रही है कि उसे प्रधानमंत्री से पूछताछ करने का अधिकार है। क्या आपको नहीं लगता कि आपने उन्हें इतनी ज्यादा स्वायत्ता दे दी है कि वे लक्ष्मण रेखा पार कर रहे हैं?
उत्तर- मैं कहना चाहता हूं कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है और मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
प्रश्न– श्रीमान, मैं जानता हूं आपकी रवानगी से एक दिन पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था कि हिंडाल्को को हुए आवंटन में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन आपके भारत से रवाना होने के बाद यह मांग उठी, विशेषकर विपक्ष की ओर से कि क्यों न प्रधानमंत्री से भी पूछताछ, कम से कम सीबीआई द्वारा तो पूछताछ की ही जाए। क्या आप सीबीआई की पूछताछ के लिए तैयार हैं ?
उत्तर- मैं कानून से ऊपर नहीं हूं। अगर सीबीआई, या कोई भी कुछ पूछना चाहता है तो मेरे पास छुपाने को कुछ भी नहीं है।
प्रश्न- श्रीमान, कल श्री राहुल गांधी ने ऐसी आशंका व्यक्त की थी कि उनकी भी अपनी दादी और पिता की तरह हत्या हो सकती है। क्या सरकार को ऐसे किसी खतरे या किसी के द्वारा उन्हें निशाना बनाए जाने की जानकारी है या फिर विपक्षी दलों की नफरत की राजनीति उन्हें ऐसा कहने के लिए मजबूर कर रही है?
उत्तर- मुझे और सभी संतुलित विचारों वाले लोगों को देश में इस समय हो रही नफरत की राजनीति की चिंता करनी चाहिए। जहां तक श्री राहुल गांधी के जीवन को खतरे का सवाल है, सरकार ऐसी किसी भी धमकी को कार्यान्वित होने से रोकने के लिए हर संभव उपाय करेगी।
प्रश्न- पिछले कुछ वर्षों से उच्चतम न्यायालय विभिन्न प्रकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों के संबंध में जांच और निगरानी के आदेश पारित करने साथ ही साथ नीतिगत निर्देश देने में काफी सक्रिय रहा है। क्या आपको लगता है कि उच्चतम न्यायालय की अतिसक्रिय भूमिका ऐसे मामलों से निपटने में कार्यपालिका की मदद कर रही है या फिर जैसा आपके आलोचकों का कहना है कि यह नीतिगत कमजोरी में योगदान दे रही है।
उत्तर- मैं अदालत के कामकाज के बारे में कुछ नहीं कहूंगा। उच्चतम न्यायालय हमारे देश का अंतिम न्यायालय है। न्यायालय क्या करता है या क्या नहीं, मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
प्रश्न- श्रीमान, आपने कोयला आवंटन के बारे में सीबीआई मामलों में कुछ प्रश्नों के उत्तर दिए हैं। हमारे रूस रवाना होने से पहले आपके द्वारा दिया गया वक्तव्य बिल्कुल स्पष्ट था। इस वक्तव्य में कहा गया था कि सीबीआई द्वारा उल्लिखित श्री कुमारमंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव के विरूद्ध मामले में मामले में कुछ भी गलत नहीं हुआ है। लेकिन श्रीमान, इन सभी मामलों में और आपने भी कहा है कि आप कानून से ऊपर नहीं है और आप किसी के भी प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार हैं। लेकिन क्या इन सभी मामलों ने, जिन्होंने राजनीतिक रंग ले लिया है, क्या ये सभी मामले आपके पद और 10 वर्षों तक देश की बागडोर संभालने की आपकी विरासत पर ग्रहण लगा रहे हैं?
उत्तर- यह फैसला इतिहास को करना है। मैं अपना फर्ज निभा रहा हूं। मैं अपना फर्ज निभाता रहूंगा। मेरे 10 वर्षों के प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल का क्या प्रभाव होगा, इसका फैसला इतिहासकारों को करना है।
प्रश्न- भारत और चीन वीजा प्रणाली को और उदार बनाना चाहते हैं, क्या हम निकट भविष्य में किसी सकारात्मक कदम की अपेक्षा कर सकते हैं?
उत्तर- हम दोनों देशों की यही अकांक्षा है और मुझे आशा है कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई उपयुक्त तंत्र तलाश लेंगे।
प्रश्न- मैं घरेलू राजनीति के बारे में प्रश्न पूछना चाहता हूं। लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव के लिए प्रचार आरंभ कर दिया है और कांग्रेस पार्टी की रफ्तार इस दिशा में धीमी है। आप इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
उत्तर- मुझे लगता है कांग्रेस पार्टी पर्याप्त रूप से सक्रिय है। मैं आपके विचार से सहमत नहीं हूं कि कांग्रेस पार्टी ज्याद सक्रिय नहीं है। मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने शुरूआत भले ही पहले कर दी है, लेकिन मुझे लगता है कि कांग्रेस धीमी गति लेकिन निरंतर प्रयास करते हुए शीर्ष पर पहुंचेगी। मुझे लगता है कि सार्वजनिक जीवन में यही कारगर रहता है और मुझे भरोसा है कांग्रेस पार्टी 2014 के चुनाव में विजयी रहेगी।
प्रश्न- ऐसा लग रहा है कि जनता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के नेतृत्व के विरोध की वजह से आंध्र प्रदेश का विभाजन आसान नहीं होगा। क्या आपको भरोसा है कि हैदराबाद जैसे पेचीदा मसलों को सुलझाते हुए 2014 के चुनाव से पहले राज्य का दर्जा प्रदान किया जा सकेगा?
उत्तर- यह मामला मंत्रिसमूह के पास है। वे समस्या के सभी पहलुओं पर गौर करेंगे और मुझे यकीन है कि वे इस बेहद कठिन और जटिल समस्या का उचित समाधान तलाश लेंगे।
प्रश्न- श्रीमान, पिछले 9 वर्षों में टू-जी घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, कोयला घोटाला और महंगाई तथा दो वरिष्ठ मंत्रियों के इस्तीफे जैसे बड़े मामले रहे हैं। क्या आपको लगता है कि इस तरह की घटनाओं से आपकी विशेषकर यूपीए-2 विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है और क्योंकि आपकी विश्वसनीयता कम है, इसलिए श्री नरेन्द्र मोदी जैसे लोगों की लोकप्रियता बढ़ रही है। क्या आप इस तरह के विश्लेषण में हमारी सहायता कर सकते हैं?
उत्तर- सबसे पहले तो मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जिन घोटालों का आप हवाला दे रहे हैं, वे यूपीए-2 के कार्याकाल में नहीं बल्कि यूपीए-1 के कार्याकाल में हुए हैं। उसके बाद देश में आम चुनाव हुए थे, जिनमें कांग्रेस पार्टी विजयी रही थी और मुझे यकीन है कि 2014 के नतीजे एक बार फिर से देश को चौंका देंगे।