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चीन जन-गणराज्य की राज्य परिषद के प्रधानमंत्री महामहिम श्री ली किक्यांग के निमंत्रण पर भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 22-24 अक्टूबर, 2013 को चीन की सरकारी यात्रा की। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चीन जन-गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री शी जिनपिंग से मुलाकात की, चीन जन-गणराज्य के प्रधानमंत्री ली किक्यांग से बातचीत की। प्रधानमंत्री डॉ. सिंह नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष महामहिम श्री झांग जियांग से भी मिले।
2. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा समानहित के अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर व्यापक बातचीत की और दोनों पक्षों में व्यापक सहमति हुई। इस वर्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई महत्वपूर्ण सहमति को स्मरण करते हुए दोनों पक्षों ने शांति और समृद्धि के लिए रणनीतिज्ञ तथा सहयोग साझेदारी को आगे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों (पंचशील) का पालन करते हुए तथा एक दूसरे की चिंताओं और अपेक्षाओं के प्रति पारस्परिक सम्मान और संवेदनशीलता दिखाते हुए होगा। 1954 के बाद पहली बार एक ही केलेंडर वर्ष के अंदर भारत के प्रधानमंत्री और चीन के प्रधानमंत्री की एक दूसरे देशों की यात्रा अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
3. दोनों देशों के नेताओं ने स्वीकार किया कि भारत और चीन व्यावहारिक सहयोग, पारस्परिक लाभकारी नीतियों तथा व्यवहारों के आधार पर आर्थिक सहयोग के नए चरण में प्रवेश करने को तैयार हैं। दोनों देशों के नेताओं ने आशा व्यक्त की कि सहमति हुए क्षेत्रों में विशेष परियोजनाओं और प्रयासों को कार्य रूप देने के लिए नवम्बर/दिसम्बर 2013 में रणनीतिक, आर्थिक बातचीत करेंगे। संयुक्त आर्थिक समूह द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाना जारी रखेगा तथा द्विपक्षीय व्यापार के संतुलित विकास को बढ़ावा देगा। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्यदल अपने कार्यों का तेजी से निष्पादन करेंगे। दोनों पक्ष द्विपक्षीय क्षेत्रीय व्यापार समझौता (आरटीए) की संभावनाओं को देखने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर बातचीत की समीक्षा भी करेंगे। दोनों देशों के उद्यमियों के लिए क्लस्टर जैसे मंच उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिकी जोन स्थापित करने संबंधी समझौते के ढांचे को अंतिम रूप देने के लिए तेजी लाएंगे। बातचीत की समाप्ति पर हुए आर्थिक समझौतों से मई 2013 के बाद से हुई प्रगति झलकती है।
4. मई 2013 में दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई सहमति के अनुरूप भारत और चीन दोनों ने बीसीआईएम (बंगलादेश, चीन, भारत और म्यांमार) पर एक-एक अध्ययन समूह बनाए हैं। इस संबंध में चीनी शिष्टमंडल की भारत यात्रा को सकारात्मक कदम माना गया। आर्थिक गलियारे की अवधारणा पर आगे विचार-विमर्श की परिकल्पना की गयी। इस प्रयास में भारत और चीन अन्य पक्षों से बातचीत जारी रखेंगे तथा पीसीआईएम आर्थिक गलियारा बनाने पर विशेष कार्यक्रम के अध्ययन के लिए आगामी दिसम्बर में पीसीआईएम की पहली संयुक्त अध्ययन दल की बैठक आयोजित करेंगे।
5. दोनों नेताओं ने उन विशेष प्रतिनिधियों को अपने प्रयास जारी रखने को प्रोत्साहित किया जिन्हें भारत-चीन सीमा प्रश्न का ढांचा तैयार करने का जिम्मा दिया गया है। द्विपक्षीय संबंधों में विकास की गारंटी के तौर पर भारत-चीन सीमा पर शांति को महत्पूर्ण माना गया। पारस्परिक और समान सुरक्षा के सिद्धांत को मानते हुए 1993, 1996 तथा 2005 में हस्ताक्षरित समझौतों की तर्ज पर दोनों पक्षों ने सीमा रक्षा सहयोग समझौता पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता सीमा पर स्थायित्व बहाल रखने को मजबूती देगा।
6. और अधिक विश्वास बढ़ाने के लिए रक्षा आदान-प्रदान तथा सैन्य अभ्यास महत्वपूर्ण हैं। नवम्बर 2013 में आतंक विरोधी अभ्यास आयोजित करने के संकल्प से दोनों देशों की सरकारों की आपसी समझदारी की समान इच्छा जाहिर होती है। जुलाई 2013 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों में आदान-प्रदान और यात्राओं पर हुई सहमति को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
7. भारतीय पक्ष ने सीमापार की नदियों के आपात प्रबंधन तथा डाटा उपलब्ध कराने में चीन सरकार के संसाधनों और प्रयासों की सराहना की। दोनों नेताओं ने सीमापार की नदियों पर सहयोग बढ़ाने के लिए हुए एमओयू पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। दोनों पक्ष विशेषज्ञ स्तर की व्यवस्था के तहत सहयोग को सुदृढ करने और बाढ़ के मौसम में जल विद्युत डाटा तथा आपदा प्रबंधन के प्रावधानों पर साझा कार्य करने और पारस्परिक हित के मसलों पर विचारों का आदान-प्रदान करने पर सहमत हुए।
8. व्यापक सहयोग के समान लक्ष्यों की प्राप्ति में दोनों देशों के बीच जन संपर्क और आदान-प्रदान आवश्यक होता है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2013-2015 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर समझौता हुआ। इस समझौते में कला तथा संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, युवा मामले, शिक्षा तथा खेल, मीडिया, प्रकाशन तथा जन संचार शामिल हैं। प्रयोगात्मक आधार पर हुए नगरीय समझौते से भी इसको समर्थन मिलेगा।
9. 2014 को मित्रतापूर्ण आदान-प्रदान का वर्ष बनाने के अतिरिक्त भारत और चीन शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (पंचशील) की 60वीं साल गिरह मनाने के तरीकों पर म्यांमार से बातचीत करेंगे।
10. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय तथा वैश्विक महत्व के राजनीतिक और आर्थिक मसलों पर विचार-विमर्श किया। इनमें ऐसे मसले भी शामिल हैं, जिनका प्रभाव दोनों देशों की विकास संभावनाओं पर पड़ सकता है। दोनों नेता रूस- भारत-चीन, बीआरआईसीएस तथा जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग और समन्वयन बढ़ाने पर सहमत हुए ताकि जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा ऊर्जा सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों से संयुक्त रूप से निपटा जा सके और एक निष्पक्ष और समान अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक तथा आर्थिक प्रणाली स्थापित की जा सके। दोनों नेताओं ने प्रासंगिक विषयों पर बातचीत के विभिन्न तौर तरीकों को प्रोत्साहित किया ताकि नियमित रूप से एक दूसरे की चिंताओं और हितों पर समुचित विचार-विमर्श सुनिश्चित किया जा सके।
11. प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चीन की सरकार की ओर से किए गए शानदार स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री श्री ली किक्यांग को पारस्परिक सुविधा के समय के अनुसार भारत यात्रा का निमंत्रण भी दिया।