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October 23, 2013
बीजिंग, चीन

भारत और चीन के बीच सीमा रक्षा सहयोग समझौता

भारत गणराज्‍य की सरकार और चीन जन-गणराज्‍य की सरकार (इन्‍हें अब 'दोनों पक्ष' कहा जाएगा) का दृढ़ विश्‍वास है कि शांति और समृद्धि के लिए भारत-चीन सामरिक और सहकारिता भागीदारी दोनों देशों के लोगों के बुनियादी हितों का पोषण करती है। दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष के विरूद्ध अपनी सैनिक क्षमता का उपयोग नहीं करेगा‍ और कि उनकी सैनिक शक्तियों का दूसरे पक्ष पर हमला करने के लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा, भारत गणराज्‍य की सरकार और चीन जनगणराज्‍य की सरकार के बीच दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति बनाये रखने के बारे में समझौते की भावना को साकार रूप देने के महत्‍व को स्‍वीकार करते हुए 7 सितंबर 1993 को एक समझौता हुआ था। 29 नवंबर 1996 को भी भारत चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा से लगते हुए सैनिक क्षेत्र में विश्‍वास पैदा करने के उपायों पर समझौता हुआ था। इसके बाद 11 अप्रैल 2005 को भारत चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ सैनिक क्षेत्र में विश्‍वास पैदा करने के उपायों को लागू करने के तौर-तरीकों पर भी दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गये थे। दोनों देशों ने 17 जनवरी 2012 को भी भारत चीन सीमा से संबंधित मामलों के बारे में सलाह-समन्वय करने के लिए एक काम-काजी व्‍यवस्‍था तैयार करने के लिए भी समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गये।

भारत और चीन के बीच सीमा रक्षा सहयोग के बारे में हुए समझौते के अनुसार निम्‍न बातों पर सहमति हुई है:-

धारा-1

दोनों पक्ष अपने-अपने कानूनों और संबद्ध द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर सीमा रक्षा सहयोग का पालन करेंगे।

धारा-2

दोनों पक्ष निम्‍न तरीकों से सीमा रक्षा सहयोग को कार्यान्वित करेंगे:-

1. दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ शांति और स्थिरता बनाये रखने के अनुकूल उपायों के साथ-साथ सैनिक अभ्‍यास, विमान, ढहाने की कार्यवाही और गैर-चिह्नित खानों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान।

2. हथियारों, वन्‍य जीवों, वन्‍य जीव के अंगों की तस्‍करी और अन्‍य वर्जित व्‍यापार को मिलकर समाप्‍त करना।

3. भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण की रेखा को पार करने की प्रक्रिया में शामिल व्‍यक्तियों, पशुओं और परिवहन तथा विमानों का पता लगाने में अन्‍य पक्ष की सहायता करना।

4. प्राकृतिक आपदाओं अथवा संक्रामक रोगों, जो दूसरे देश में फैल सकते हैं, को नियंत्रित करने में दूसरे पक्ष के साथ काम करना।

5. दोनों पक्षों द्वारा आपसी सहमति से हुए अन्‍य कार्य।

धारा-3

इस समझौते में दर्शाये गये सीमा रक्षा सहयोग को निम्‍न तौर-तरीकों से कार्यान्वित किया जाएगा:-

1. भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ निर्दिष्‍ट स्‍थानों पर फ्लैग बैठकें या सीमा कर्मियों की बैठकें।

2. चीन के संबद्ध सैनिक क्षेत्रों और भारत की सेना कमानों के अधिकारियों तथा सैनिक कार्रवाई से संबंधित विभागों के अधिकारियों के बीच समय-समय पर बैठकों का आयोजन। 3. भारत सरकार और चीन जन-गणराज्‍य के राष्‍ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों के बीच समय-समय पर बैठकें।

4. भारत चीन सीमा संबंधी मामलों के बारे में परामर्श और सहयोग के संचालन अधिकारियों की बैठकें।

5. भारत-चीन वार्षिक रक्षा वार्ता संबंधी बैठकें।

धारा-4

सीमा रक्षा सहयोग को लागू करने और संबद्ध संगठनों के बीच संपर्क और बैठकें आयोजित करने के लिए दोनों पक्ष सभी क्षेत्रों में सीमा कर्मियों की बैठकों के स्‍थल स्‍थापित कर सकते हैं। इसके साथ-साथ वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ आपसी सहमति के स्‍थानों पर टेलीफोन संपर्क दूर-संचार संपर्क भी स्‍थापित कर सकते हैं। दोनों देशों के सैनिक मुख्‍यालयों के बीच एक हॉट लाइन स्‍थापित करने पर भी विचार किया जा सकता है। दोनों पक्षों के बीच आपसी सलाह-मशवरे से विशिष्‍ट व्‍यवस्‍थाओं के बारे में भी निर्णय लिया जाएगा।

धारा-5

दोनों पक्षों की सीमा रक्षा सेनाओं के बीच समझ-बूझ और सहयोग बढ़ाने के लिए प्रत्‍येक पक्ष दूसरे पक्ष को प्रमुख राष्‍ट्रीय अथवा सैनिक दिवसों अथवा उत्‍सवों पर संयुक्‍त समारोह के लिए और सांस्‍कृतिक गतिविधियां, गैर-संपर्कीय खेल प्रतियोगिताओं और भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के साथ छोटे स्‍तर पर सामरिक अभ्‍यासों के लिए दूसरे पक्ष को आमंत्रित कर सकता है। इसके अलावा, दोनों पक्षों एक दूसरे के देश में नियमित आधार पर सेना के स्‍तर पर संयुक्‍त सैनिक प्रशिक्षण अभ्यास भी आयोजित कर सकते हैं। ऐसे संयुक्‍त अभ्यासों के विषय आपसी सलाह-मशवरे से तय किये जाएंगे।

धारा-6

दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के बारे में आम सहमति न होने वाले क्षेत्रों में दूसरे पक्ष के गश्‍ती दलों का पीछा नहीं करेंगे।

धारा-7

वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के बारे में आम सहमति न होने वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी पक्ष की कोई गतिविधि के बारे में शंका होने की स्थिति में दोनों पक्षों को अन्‍य पक्ष से स्‍पष्‍टीकरण मांगने का अधिकार है। ऐसे मामलों में स्‍पष्‍टीकरण मांगा जाएगा और उन्‍हें भेजा गया उत्‍तर इस समझौते की धारा-3 के अधीन स्‍थापित व्‍यवस्‍था के जरिए पहुंचाया जाएगा।

धारा-8

दोनों पक्षों इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि यदि दोनों पक्षों की सीमावर्ती रक्षा सेनाएं ऐसे क्षेत्रों में टकराव की स्थिति में आती हैं जहां वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के बारे में आम सहमति नहीं है, तो दोनों पक्ष सर्वाधिक आत्‍म संयम बरतेंगे, उकसाने की कोई कार्रवाई नहीं करेंगे और दूसरे पक्ष के विरूद्ध न शक्ति का प्रयोग करेंगे और नहीं शक्ति का प्रयोग करने की धमकी देंगे, एक दूसरे के साथ विनम्रतापूर्ण व्‍यवहार करेंगे और गोलीबारी या सशस्‍त्र संघर्ष का परिहार करेंगे।

धारा-9

दोनों पक्ष इस समझौते को वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के रेखांकन तथा सीमा के प्रश्‍न पर अपनी-अपनी स्थिति से ऊपर उठकर लागू करेंगे।

धारा-10

यह समझौता हस्‍ताक्षर किये जाने की तिथि से लागू होगा। इसे दोनों पक्षों की सलाह से संशोधित अथवा समाप्‍त किया जा सकता है। दोनों पक्षों द्वारा आपसी सहमति से किया गया कोई संशोधन इस समझौते का अभिन्‍न अंग होगा।