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मैं राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर अमरीका आया। राष्ट्रपति के साथ मेरी बैठक बहुत अच्छी रही। अंत में उसके परिणाम संयुक्त बयान में सामने रखे गए और हमारे अधिकारियों ने भी आपको उस बैठक के परिणामों के बारे में जानकारी दी। न्यूयार्क में, मैंने संयुक्त राष्ट्र की महासभा को संबोधित किया और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, शेख हसीना और नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ मेरी बातचीत भी उपयोगी रही। मुझे विश्वास है कि इन सभी बैठकों के परिणामों के बारे में अधिकारी आपको जानकारी दे चुके हैं और इसलिए मैं एक बार फिर से उन्हें बताने पर समय नष्ट नहीं करूंगा। मुझे आपके सवालों के जवाब देने में खुशी होगी।
प्रश्न: सर, राष्ट्रपति ओबामा के साथ आपकी बैठक बहुत सफल रही और अमरीका में हर किसी को विश्वास है कि अमरीकी राष्ट्रपति से आपके अनुकरणीय व्यक्तिगत संबंध हैं। मेरा प्रश्न यह है कि खासतौर से रक्षा सहयोग के क्षेत्र में राष्ट्रपति के साथ आपकी चर्चा के क्या विशिष्ट नतीजे रहे ?
उत्तर: रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हम खरीद-फरोख्त के संबंध से आगे बढ़कर सह-अनुसंधान के आधार पर, सह-उत्पादन पर आधारित संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं और रक्षा सहयोग पर वार्ता के परिणाम हमारी सोच के अनुरूप हैं। हम चाहते हैं कि हमारा घरेलू उद्योग घरेलू उत्पादन में संलग्न हो। हम यह भी चाहते हैं कि 26 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश रक्षा उत्पादन में आए। इसलिए मैं सोचता हूं कि यह आगे की तरफ कदम है। और बाकी के लिए, हमें असैन्य परमाणु सहयोग के क्षेत्र में सहयोग मिला है। अब वेस्टिंगहाउस और हमारे एनपीसीआईएल के बीच समझौते पर कार्य हो रहा है। अंतर-सरकारी स्तर पर, इसके कार्यान्वयन में कोई क्षोभ नहीं हैं। ज्ञान पहल के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, ऊर्जा के क्षेत्र में, पर्यावरण संबंधी मुद्दों के क्षेत्र में सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हुई हैं इन सभी क्षेत्रों में, यह सतत संबंध हैं और हमने पुनः समीक्षा की है तथा हमने समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता प्रकट की है।
प्रश्नः सर, भारत-अमरीका आर्थिक संबंध कुछ हद तक अमरीकी बिजनेस लॉबी और भारतीय व्यापार परिपाटियों की अमरीकी जांच के साथ खराब हुए हैं। क्या आपको अमरीका में इस निराशा की किसी भावना या कारणों की जानकारी हुई ? क्या भारत सरकार आपकी वापसी पर बिजनेस में अमरीकी निवेशकों को पुनः आश्वासन देने के लिए कुछ कदम उठाएगी ?
उत्तर: अमरीकी बिजनेस वर्ग की चिंताएं हैं लेकिन बहुत व्यापक रूप से वे चिंता भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी से उपजी हैं। जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8 से 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी, तो मैं सोचता हूं कि हर कोई बहुत खुश था, यहां तक कि जब हमारी नीतियों में त्रुटियां भी थीं तब भी उन्होंने इसकी अनदेखी की और जब अर्थव्यवस्था सुस्त हुई तो लोगों ने दोष और बहाने तलाशने के प्रयास किए। राष्ट्रपति ने इस बारे में मुझसे विस्तार से बात नहीं की। उन्होंने हमारी चिंताएं समझीं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि समय आ गया है जब दोनों देशों के सीईओ फोरम साथ बैठें और इन मुद्दों पर चर्चा करें तथा मिलकर समाधान तलाशें।
प्रश्न: सर, आपने श्री नवाज शरीफ से बात की और आपने कहा कि उनके साथ उपयोगी चर्चा हुई। मुझे याद है कि नियंत्रण रेखा पर सिर कलम करने की घटना के बाद आपने कहा था कि अब संबंध सामान्य नहीं रह सकते। क्या वह स्थिति अब बदल गई है ?
उत्तरः एक स्थिति में हम अपने संबंध सामान्य बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं और पहला कदम नियंत्रण रेखा पर शांति और प्रशांति लाना होगा। और उसके लिए हम सहमत हुए हैं कि दोनों देशों के डीजीएमओ मिलेंगे और समझौते के लिए काम करेंगे। यह पता चलने में समय लगेगा कि क्या किया गया है तथा जिस पर सहमति बनी उस पर अमल किया गया या नहीं। लेकिन यह सभी कदम संबंध सामान्य बनाने की दिशा में हैं।
प्रश्नः प्रधानमंत्री अनेक निर्धारित अपाइंटमेंट रही लेकिन अनिर्धारित अपाइंटमेंट भी रही। मैं आपसे खासतौर पर राष्ट्रपति ओबामा से आपकी मुलाकात के कुछ घंटे पहले अध्यादेश के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणियों के बारे में पूछना चाहता हूं। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ आपकी मुलाकात से पहले उनकी टिप्पणी की भी खबर है। मैं पूछना चाहता हूं कि आपकी बैठकों पर इन टिप्पणियों को क्या असर पड़ा ?
उत्तर: मैंने भी यह सब बातें सुनी हैं लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ऐसी किसी भी टिप्पणी से इनकार किया है।
प्रश्न: जब आप अमरीका में थे, आपकी पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को कूड़ा-करकट बताया जिसे हाल ही में आपकी कैबिनेट ने मंजूरी दी थी जिसने सेवारत सांसदों को दोषी होने पर अयोग्य ठहराए जाने से सुरक्षा दी थी। क्या आप अध्यादेश को वापस लेने की सोच रहे हैं ? क्या इसने आपके प्राधिकार को कम किया है, क्या आप इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं ?
उत्तर: मैं सोचता हूं, मैंने राहुल गांधी का बयान देखा है। उन्होंनेे इस संबंध में मुझे लिखा भी है और मैं कहना चाहता हूं कि जब लोकतंत्र में मुद्दे लोकतांत्रिक राजशासन में उठाए जाते हैं, तब यह जानने के लिए कि संबंधित व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है उसे समझने के प्रयास की शुरुआत होती है। जब मैं वापस जाउंगा तो मैं श्री राहुल गांधी के साथ इन मामलों पर चर्चा करूंगा। उन्होंने मुझसे मुलाकात की बात कही है तथा मैं अपने कैबिनेट सहयोगियों को भी विश्वास में लूंगा। हम देखेंगे कि हवा किस तरफ बहती है ?
इस्तीफा देने का कोई सवाल नहीं है। मैंने कहा, मैं यह सब मसले अपने कैबिनेट साथियों के आगे रखूंगा। ये सभी मामले हैं जिन पर पहले सर्वोच्च निकाय, कांग्रेस पार्टी के कोर ग्रुप ने चर्चा की है। कैबिनेट ने इस मामले पर एक बार नहीं, दो बार चर्चा की है। लेकिन व्यक्ति का मन बदलना हमेशा संभव है तथा मैं इन सभी मुद्दों पर अपने साथियों से परामर्श करूंगा।
प्रश्न: सर, जैसा आपने कहा कि कोर ग्रुप और कैबिनेट ने अध्यादेश पर निर्णय को मंजूरी दी थी। मेरा प्रश्न प्रशासन के बारे में कुछ-कुछ दार्शनिक है। क्या आप विश्वास करते हैं कि किसी व्यक्ति को भले ही वह पार्टी में कितना भी वरिष्ठ हो, क्या कैबिनेट और कोर ग्रुप के निर्णयों को दरअसल क्षति पहुंचाने की गुंजाइश होनी चाहिए ? क्या आप सोचते हैं कि आपके प्राधिकार को क्षति पहुंचाई गई है ?
उत्तर: नहीं मैं ऐसा महसूस नहीं करता। ईमानदारी से मैं महसूस करता हूं कि यदि कांग्रेस पार्टी के किसी सदस्य, मेरी कैबिनेट के किसी सदस्य के मन कोई महत्वपूर्ण विचार है तो वह उस मुद्दे को उठाने और उस पर आवश्यक विचार के लिए स्वतंत्र है। मैं मानता हूं कि यही लोकतंत्र है। मैं नहीं सोचता कि हम ऐसी प्राधिकार संरचना हैं जिसमें एक व्यक्ति सभी तरह की लाइन तय करता है और इसलिए मेरा विनम्र अहसास है कि जब कोई बिंदु अभिव्यक्त किया गया, तो हमें साथ बैठना चाहिए और समझना चाहिए कि उस व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है जिसने ये मुद्दे उठाए हैं और वही हम करेंगे।
प्रश्न: पाकिस्तान से हमारे रिश्ते हमेशा मुद्दा बने रहते हैं। आपने एक हिम्मत तो दिखाई लेकिन क्या लगता है कि आने वाले वक्त में ऐसा कुछ हो सकेगा जिसका देश और पार्टी दोनों पर कोई असर पड़ेगा ?
उत्तरः जी, हमारे पास जो कुछ भी समय बचा है, हमारा इरादा यह देखना होगा कि देश की अर्थव्यवस्था बेहतर ढंग से व्यवस्थित की जाए, वृद्धि दर बढ़े, मुद्रास्फीति काबू में लाई जाए और देश की बाहरी सीमाएं सुरक्षित एवं संरक्षित रहें। ये हमारी तात्कालिक चिंता हैं और यही किसी सरकार की चिंता होनी चाहिए। इसके अलावा, मैं यह भी सोचता हूं कि अब कई जनकेंद्रित कार्यक्रम भी हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि वे समुचित रूप से कार्यान्वित किए जाएं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है और यह देखना हमारा प्रयास होगा कि इसके लाभ जल्द से जल्द संभव लोगों तक पहुंचें।
प्रश्न: अरुणाचल प्रदेश को 350 बांध बनाने की अनुमति दी जा रही है। नदी की धारा के निचले इलाके में रहने वाले लोगों को अचानक ऊंचे और इतने अधिक बांधों के कारण चिंता है। क्या इस संख्या की समीक्षा या कम की जा सकती है ?
उत्तर: यदि आप तिब्बत में बांधों की बात कर रहे हैं, तो हमने चीन यात्रा के दौरान हर बार चीन सरकार के साथ पिछले तीन या चार अवसरों पर यह मुद्दा उठाया है। हमने यह मामला चीन सरकार के साथ उठाया है। और अब यह समझ बनी है कि यह ये बांध नदी की धारा पर बनने वाले हैं, उनमें पानी का भंडारण शामिल नहीं है तथा वे नदी के प्रवाह को बाधित नहीं करेंगे। अतीत की तरह हम आगे भी अंतर-राज्य चिंता वाली नदियों के प्रबंध के लिए बेहतर सहकारिता व्यवस्था करने की तरफ चीन सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहेंगे।
प्रश्नः संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंकाई सूत्र ने मुझे बताया कि राष्ट्रपति राजपक्षे संयुक्त राष्ट्र से इतर आपसे मुलाकात के उत्सुक हैं और उत्तरी श्रीलंका में शानदार जीत के साथ तमिल गठबंधन के साथ। क्या हमें इस अवसर का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं करना चाहिए कि उत्तरी प्रांत को ज्यादा अधिकार प्रदान किए जाएं ?
उत्तर: जहां तक उत्तरी प्रांत को ज्यादा अधिकार प्रदान करने की बात है, हमारे विचार सब जानते हैं। अनेक अवसरों पर हमने 13वें संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ चर्चा की है। इसलिए श्रीलंका सरकार हमारी पॉजीशन को अच्छी तरह जानती है। जहां तक राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ बैठक की बात है, मुझे उनके साथ बैठक करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। उन्होंने बैठक की तिथियों के बारे में बात की जो मेरे लिए सुविधाजनक नहीं थी क्योंकि मैं न्यूयार्क 27 तारीख को आया और डनहोंने 24 और 27 के बीच बैठक के लिए कहा था। इसलिए बैठक का इंतजाम नहीं किया जा सका। इसका और कोई कारण नहीं है।
प्रश्न: क्या आप सोचते हैं कि राष्ट्रीय परिदृश्य में श्री नरेंद्र मोदी के उभरना हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष राजशासन के लिए खतरा है ?
उत्तर: मुझे पूरी उम्मीद है कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें श्री नरेंद्र मोदी जैसे लोगों के आक्रमण का सामना करने के लिए एक हो जाएंगी। और यह विश्वास करने का मेरे पास हर कारण है कि वह होगा। आप कुछ समय इंतजार करें ताकि लोग यह समझ जाएं कि वे किसके खिलाफ हैं।
प्रश्न: यह प्रशन शेख हसीना के साथ आपकी मुलाकात के बारे में है। बांग्लादेश में इस बात पर असंतोष है कि हम तीस्ता और भूमि सीमा समझौते का कार्यान्वयन हासिल नहीं कर सके। क्या आप हमें अपने विचार विमर्श के बारे में बताएंगे ?
उत्तर: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। मैं खुद निराश हूं कि समझौते की पुष्टि करने में हमें लंबा समय लग गया है तथा मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि अभी हमारे पास संसद के अगले सत्र के रूप में समय है, हम अपने विपक्षी दलों को समझाने के लिए पूरे प्रयास करेंगे जिन्हें अब तक इससे समस्या है।
प्रश्न: क्या आप सोचते हैं कि यूपीए-3 को सत्ता में आने के लिए आपका 10 साल का प्रदर्शन पर्याप्त अच्छा है ?
उत्तरः मेरे लिए यह आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। यह आकलन लोगों को करने दें। मेरे पास यह विश्वास करने के पूरे कारण हैं कि हो सकता है हमने कुछ गलत भी किया हो लेकिन हमने बहुत सी अच्छी बातें की हैं तथा भारत के लोग उदार और सहनशील हैं, वे अपना वोट देने से पहले अच्छे काम, यूपीए की ठोस उपलब्धियों को ध्यान में रखेंगे।
प्रश्न: आप हिंदुस्तान वापस जा रहे हैं। बहुत मुम्किन है कि आपकी कैबिनेट में तेलंगाना का मसला डिस्कस होगा। आप कुछ अपनी राय देना चाहेंगे ?
उत्तर: तेलंगाना मसला शुरू से सरकार का ध्यान आकर्षित करता रहा है। जैसे ही मैं वापस जाउंगा मुझे गृह मंत्री से जानकारी हो जाएगी कि वे किस स्थिति में पहुंच गए हैं। लेकिन यह बहुत कुछ हमारे दिमाग में है।
प्रश्न: क्या आप इस बात को प्राथमिकता देते कि सारा मसला जो श्री राहुल गांधी ने उठाया जब आप देश से बाहर थे तथा जब आप देश से बाहर हों तो ऐसा नहीं होना चाहिए था?
उत्तर: देखिए मैं उसका विशेषज्ञ नहीं कि लोग क्या कहते हैं। यह हो चुका है और जैसा कि मैंने कहा जब मैं वापस जाउंगा तो उन कारणों का पता लगाने का प्रयास करूंगा कि क्यों यह उस तरह से किया गया और हम इससे कैसे निपटें।
हस्तक्षेपः क्या आप खफा हैं ?
उत्तर: मैं सोचता हूं, मैं उतार-चढ़ाव का अभ्यस्त हूं और मैं आसानी से खफा नहीं होता।
हस्तक्षेप: क्या उतार था ?
तब भी नहीं ........(सुना नहीं जा सका) ......
प्रश्न: श्री नवाज शरीफ के साथ यह आपकी पहली बात थी। क्या आपको ऐसा लगा कि वे किस्मत का धनी हैं या आपके विदेश मंत्री की तरह जिसने कहा कि उसे आईएसआई और पाकिस्तानी सेना द्वारा रोका जा रहा है।
उत्तर: मुझे पूरी उम्मीद है कि नवाज शरीफ सफल होंगे। वह लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने भारत-पाक संबंधों के बारे में सभी अच्छी बातें कही हैं। इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है और प्रार्थना करता हूं कि वह अपने मिशन को आगे बढ़ाने में सफल हों।