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भारत और अमरीका के संबंधों में समग्र रूप से प्रगाढ़ता के साथ भारत-अमरीका रक्षा सहयोग और संबंधों में पिछले दशक में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। हम 2005 में नई रूपरेखा समझौते के अनुरूप रक्षा सहयोग में विस्तार की पूर्ण संभावना हासिल करने की दिशा में काम करते रहेंगे।
इस संदर्भ में, भारत और अमरीका इस विजन को पूरा करने के लिए निम्नलिखित सामान्य सिद्धांतों की पुनः पुष्टि करते हैं:-
- संयुक्त राज्य अमरीका और भारत के साझा रक्षा हित हैं और दोनों निकट सहयोगी के रूप में उन्हें समान स्तर पर रखते हैं। यह सिद्धांत रक्षा प्रौद्योगिकी अंतरण, व्यापार, शोध, अत्यधिक उन्नत एवं परिष्कृत रक्षा सामान एवं सेवाओं के सह-विकास और सह-उत्पादन के संबंध में लागू होगा। वे लाइसेंस प्रक्रिया सुधारने के लिए काम करेंगे और जहां लागू है, इस सहयोग को सुगम बनाने के लिए लाइसेंस अनुमोदन में तेजी लाने के लिए कार्य करेंगे। अमरीका और भारत एक दूसरे की संवेदनशील प्रौद्योगिकी और जानकारी की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
- अमरीका चार अंतर्राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण संगठनों में भारत की पूर्ण सदस्यता का पूरा समर्थन करता है जिससे प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान और सुगम होगा। - दोनों पक्ष संबंधित खरीद प्रणालियों और अनुमोदन प्रक्रियाओं की आपसी समझ को मजबूत करने और रक्षा व्यापार, प्रौद्योगिकी तबादले एवं सहयोग में प्रक्रिया संबंधी मुश्किलों को दूर करने के लिए प्रयास जारी रखेंगे।
- दोनों देश अगले वर्ष के अंदर एन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों एवं प्रणालियों में सहयोग एवं साझा परियोजनाओं के लिए विशेष अवसरों की पहचान की दिशा में काम करेंगे। दोनों पक्ष ऐसे अवसरों को अपनी राष्ट्रीय नीतियों एवं प्रक्रियाओं के अनुरूप इस ढंग से आगे बढ़ाएंगे कि उससे संबंधों की पूरी क्षमता की झलक मिलेगी।