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प्रधानमंत्री का अमेरिका रवाना होने से पूर्व वक्तव्य का मूलपाठ इस प्रकार है:-
मैं 27 सितंबर को राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए वाशिंगटन रवाना हो रहा हूं। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें अधिवेशन को संबोधित करने के लिए न्यूयार्क जाऊंगा।
पिछले एक दशक से अमेरिका के साथ हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंध अब वैश्विक सामरिक भागीदारी में बदल चुके हैं।
पिछले कुछ महीनों में गहन, उच्चस्तरीय द्विपक्षीय यात्राएं हमारे संबंधों की गतिशीलता का परिचायक हैं। हमने संबंधों के पूर्ण परिप्रेक्ष्य में सहयोग की दिशा में भी प्रभावशाली प्रगति दर्ज की है।
हम अमेरिका को अपने विकास प्रयासों में दीर्घकालिक भागीदार और हमारी वृद्धि के लिए वैश्विक पर्यावरण को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। भारत के लिए अमेरिका प्रौद्योगिकी, निवेश, नवोन्मेष और संसाधनों का स्रोत और हमारे सामानों और सेवाओं का अति महत्वपूर्ण गंतव्य है। व्यापार और निवेश, रक्षा, आतंक निरोध, खुफिया जानकारी, आंतरिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, नागरिक परमाणु ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति में हमारे सार्थक और गहरे संबंध हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क हमारे इस रिश्ते का विशेष आकर्षण है। हमने तीसरे देशों में विकास भागीदारी भी शुरू की है।
मेरी यात्रा हमारे संयुक्त प्रयासों की समीक्षा और भविष्य में सहयोग की राह तलाशने के लिए एक अवसर है।
मैं वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों और इस बात पर भी विचार विमर्श करूंगा कि हम आपसी हित को आगे बढ़ाने के लिए कैसे मिलकर काम करें।
संयुक्त राष्ट्र महासभा इस वर्ष रियो डी जेनेरियो में धारणीय विकास पर 2012 में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो पृथ्वी सम्मेलन की 20वीं वर्षगांठ भी है।
महासभा 2015 के बाद वैश्विक विकास एजेंडा की रूपरेखा भी तय करेगी, जो 2000 में तय सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों (एमडीजी) के लिए निर्धारित तिथि है। विभिन्न मानदंडो पर सफलताओं के बावजूद विश्व सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों (एमडीजी) को हासिल नहीं कर सकता और यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने प्रयास जारी रखें। मैं 2015 के बाद विकास एजेंडा के मूल में गरीबी उपशमन और समावेशी विकास के महत्व पर जोर दूंगा। रियो+20 के फालोअप के रूप में धारणीय विकास लक्ष्यों की जो रूपरेखा तय होने की उम्मीद है उसके लिए सम्मेलन को धारणीय विकास उद्देश्यों आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों के साथ वैश्विक उपयोगिता के लिए संतुलित व्यवहार के बारे में समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करना होगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक ऐसे समय हो रही है, जब पश्चिम एशिया में जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल के साथ वैश्विक आर्थिक मंदी ने उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। मैं अपने इस दृढ़ विश्वास को व्यक्त करूंगा कि संयुक्त राष्ट्र को केन्द्र में रखकर वैश्विक चुनौतियों का विविध प्रयासों से सामना किया जा सकता है। मैं वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक गवर्नेंस की संस्थाओं खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अति शीघ्र सुधारों की जरूरत पर भी बल दूंगा, जिससे संयुक्त राष्ट्र प्रभावी और विश्वसनीय भूमिका निभा सके।
वर्ष 2015 संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का 70वां साल होगा और जारी सुधार प्रयासों के समापन का बेहतर मौका होगा।
अपनी न्यूयार्क यात्रा के दौरान मैं अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान के नेताओं से द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत करूंगा।