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अमृतसर-दिल्ली–कोलकाता कॉरीडोर (एडीकेआईसी) अन्त: मंत्रालयीन समूह की स्थापना हेतु तैयारी के लिए प्रधानमंत्री ने अपना अनुमोदन दे दिया था। अन्त: मंत्रालयीन समूह को ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट को आधार बनाकर कॉरीडोर की स्थापना एवं संरचना की सम्भाव्यता एवं इसे कार्यशील बनाने के लिए अपेक्षित वित्तीय व्यवस्था की जांच करनी थी।
2. बैठकों की श्रृंखला चलने के उपरान्त आई.एम.जी. ने अपना काम पूरा किया और अपनी रिपोर्ट सौंप दी। आई.एम.जी. की महत्वपूर्ण सिफारिशें निम्नानुसार है:-
(i). एडीकेआईसी को ईडीएफसी से जोड़ा जाएगा और इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल के सात राज्यों के 20 शहरों में विस्तार दिया जाएगा। एडीकेआईसी का प्रस्ताव है कि इस रूट पर वर्तमान हाइवे प्रणाली को गतिशील बनाया जाए तथा राष्ट्रीय वाटरवे-1 के साथ इनलैंड वाटर प्रणाली के विकसित किया जा रहा है।
(ii). एडीकेआईसी के विकास को ईडीएफसी की ओर 150-200 कि. मी. की परिधि में चरणबद्ध ढंग से किया जाना है। प्रथम चरण में, प्रत्येक राज्य 10 वर्ग कि. मी. के न्यूनतम एक समूह को विकसित करेंगे, जिसे समन्वित विनिर्माण समूह (आईएमसी) कहा जाएगा। जिसमें 40 प्रतिशत क्षेत्र को विनिर्माण एवं संसाधन गतिविधियों के लिए स्थायी रूप से चिन्हित किया जाएगा।
(iii). एडीकेआईसी में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) दृष्टिकोण एवं गैर-पीपीपी दृष्टिकोण दोनों का उपयोग किया जाएगा। गैर-पीपीपी योग्य ट्रंक संरचना को विशेष उद्देश्य संचालक (एसपीवी) अथवा आईएमसी स्थापना कार्य के लिए अनुदान के माध्यम से विकसित किया जाएगा।
(iv). सम्यक मार्गदर्शन, आयोजना तथा अनुमोदन, कार्यान्वयन एवं इसकी निगरानी हेतु केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में (क) एक शीर्षस्थ निगरानी प्राधिकरण की गठन, (ख) सिद्धान्त रूप से स्वीकृति तथा समूहों एवं एनआईएमजेड (द्वितीय चरण में) के प्रस्तावों के मूल्यांकन की अन्तिम स्वीकृति के लिए सचिव, औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन (एसआईपीपी) और (ग) डेडीकेटेड एजेंसी (डीए)-अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरीडोर विकास निगम, जिसे दिल्ली–मुम्बई डंडस्ट्रियल कॉरीडोर विकास निगम (डीएमआईसीडीसी) की तर्ज पर एक कार्पोरेट निकाय के रूप् में स्थापित किया जाएगा।
(v). राज्य स्तर पर मुख्य सचिव/औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक डेडीकेटेड कक्ष की स्थापना की अनुशंसा की गई है।
(vi). समूह स्तर पर, समूहों के प्रशासन के लिए राज्य सरकारों द्वारा एक विशेष उद्देश्य संचालक (एसपीवी) की स्थापना की जा सकती है।
(vii). प्रथम चरण में, केन्द्र सरकार द्वारा बजटीय स्वीकृति के माध्यम से लगभग 5749 करोड़ रुपये (1000 डेडीकेटेड प्रत्येक के सात आईएमसी के लिए) 15 वर्षों तक विस्तारित अवधि हेतु अनुमानित अधिकतम वित्तीय वचनबद्धता का प्रस्ताव है। इसमें (i) ब्याज अंतर (ii) ट्रंक संरचना का विकास (iii) इक्विटी में हिस्सा तथा (iv) एडीकेआईसीडीसी को परियोजना विकास के लिए प्रारम्मिक अनुदान हेतु सहायता सम्मिलित है।
(viii). आईएमजी ने दो चरणीय अनुमोदन अर्थात "सैद्धान्तिक" और अन्तिम स्वीकृति तकनीक की सिफारिश की है।
3. अगले कदम को अन्तिम रूप देने की दृष्टि से, प्रमुख सचिव शुक्रवार 20.09.2013 को आईएमजी के सदस्यों तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ एक बैठक करेंगे।