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सेंट पीटर्सबर्ग में जी-20 शिखर वार्ता की औपचारिक शुरूआत से पहले आज 05 सितम्बर, 2013 को ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के नेताओं ने बैठक की।
नेताओं ने कुछ देशों में आर्थिक बहाली की धीमी गति, उच्च बेरोजगारी तथा विश्व अर्थव्यवस्था की कमजोरियों और मौजूदा चुनौतियों, खासतौर से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, को रेखांकित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जी-20 सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मांग और बाजार में भरोसा पैदा करने के लिए अधिक काम कर सकती हैं।
ब्रिक्स नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सुधार प्रक्रिया के रुकने के प्रति भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने 2010 आईएमएफ कोटा और प्रशासन सुधार के जल्द क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जनवरी 2014 तक अगली आम कोटा समीक्षा पूरी कर ली जाए जैसा कि जी-20 सियोल शिखर वार्ता में स्वीकार किया गया था।
ब्रिक्स नेताओं ने दिसम्बर 2013 में विश्व व्यापार संगठन की नवें मंत्रिमंडल स्तरीय सम्मेलन की चर्चा की और यह उम्मीद जाहिर की कि इस सम्मेलन में दोहा विकास चक्र के नतीजों को कामयाबी के साथ पूरा किया जाएगा।
ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने 2013 में जी-20 का सफल नेतृत्व करने के लिए रूस को बधाई दी और विकास एजेंडा पर रूसी अध्यक्षता द्वारा जोर दिए जाने की प्रशंसा की।
नेताओं ने ब्रिक्स के नेतृत्व में न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) और कॉन्टिनजेन्ट अरेंजमेंट (सीआरए) के गठन के प्रति होने वाली प्रगति का स्वागत किया।
एनडीबी के संबंध में उसके पूंजी ढांचे, सदस्यता, शेयर धारण और प्रशासन पर चर्चा में प्रगति हुई है। ब्रिक्स देशों द्वारा बैंक की आरंभिक निर्धारित पूंजी 50 अरब डॉलर होगी।
सीआरए के संबंध में उसके गठन के बारे में विभिन्न प्रमुख पहलुओं और संचालन विवरणों पर सहमति हो गयी है। जैसा कि डरबन में मंजूर किया गया था, सीआरए का आरंभिक आकार 100 अरब डॉलर होगा, जिसमें चीन 41 अरब डॉलर, ब्राजील, भारत और रूस 18-18 अरब डॉलर तथा दक्षिण अफ्रीका पांच अरब डॉलर देंगे।
ब्रिक्स नेताओं ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में अभी हाल में आयोजित ब्रिक्स व्यापार परिषद की पहली बैठक का स्वागत किया और व्यापार समुदाय को संपर्क तथा सहयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
नेताओं ने विश्व अर्थव्यवस्था में हाल के विकासों का जायजा लिया और ब्रिक्स देशों के पारसपरिक आर्थिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।