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व्यापार और उद्योग से सम्बद्ध प्रधानमंत्री की परिषद ने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुडें मुद्दों पर चर्चा के लिए कल बैठक की। बैठक में चालू खाता घाटे में सुधार, औद्योगिक मंदी और उसे पटरी पर लाने के उपायों, रूपए में गिरावट तथा उसका व्यापार और उद्योग पर असर, कौशल विकास तथा औद्योगिक गलियारों के विकास पर चर्चा हुई।
बैठक में वित्त मंत्री, वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए। साथ ही उद्योग जगत से श्री राहुल बजाज, डॉ0 अशोक गांगुली, श्री मुकेश डी. अम्बानी, श्री नारायणमूर्ति, श्री आजिम प्रेमजी, सुश्री स्वाती पिरामल, श्री दीपक पारेख, श्री जमशेद एन गोदरेज, सुश्री चंदा कोच्चर, श्री वेणु श्रीनिवासन, श्री सुनील पंत मंजल, श्री एस. गोपालाकृष्णन, डॉ0 राना कपूर, श्री सुनील बी. मित्तल, श्रीमती नैनालाल किदवई भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने सभी का स्वागत किया और उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों से अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सुझाव देने को कहा तथा कुछ वर्गो में अनवाश्यक रूप से फैले निराशावाद के माहौल को दूर किया। उसके बाद वित्त मंत्री और वाणिज्य मंत्री ने परिषद को इस एजेंडा पर सरकार के विचारों के बारे में बताया।
इन मुद्दों पर काफी विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में कुछ लोगों ने अपनी चिंताए जाहिर की तथा कुछ व्यक्तियों ने इन विषयों में सुधार के लिए ठोस सुझाव दिए।
बैठक में सकारात्मक माहौल बनाने, फैसलों पर अमल करने तथा देश को 8 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि दर की राह पर ले जाने पर ज़ोर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने अंत में परिषद को उसके सुझावों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह एक उपयोगी चर्चा रही। प्रधानमंत्री ने अगले 2-3 महीनों में क्या किया जा सकता है इस पर एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें हैं कुछ निम्नलिखित हैं:-
क्र. सं. |
सीएडी |
वृद्धि दर को फिर से पटरी पर लाना |
औद्योगिक गलियारे |
कौशल विकास |
1. |
उपभोक्ता और लक्जरी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाना |
समावेशन के साथ-साथ वृद्धि पर भी उतना ही ध्यान देना |
क्षेत्र विशेष जोन और क्लस्टर होना |
व्यापक स्तर पर अच्छे प्रमाणन की जरूरत |
2. |
बॉन्ड आदि के जरिए सोने के आयात को कम करने के नवाचार उपाय |
एसएमई तक एक्जलेरिटड डेप्रिसिएशन बढ़ाना |
बेहतर सुविधाएं और एक ही जगह सक्षम मंजूरी प्रदान करने की व्यवस्था |
घरेलू सेवा बाजार पर विशेष ध्यान |
3. |
एफडीआई पर शर्तों को घटाना तथा एफआईपीबी को गति देना |
फार्मा क्षेत्र की कमियों को सुधारना और अनुसंधान तथा विकास को बढ़ाना |
पूर्व स्वीकृत परियोजनाओं को अनुमति देना |
कौशल विकास के लिए नरेगा का उपयोग |
4. |
सरकारी बॉन्ड और रेसीप्रोकल स्वेपलीनेस |
परियोजनाओं में देरी के लिए ऋण चुकाने में छूट |
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता गलियारे को गति देना क्योंकि यह क्षेत्र वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है |
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5. |
घरेलू स्तर पर लोगों के आने-जाने को आसान बनाने, कर मुद्दों को सुलझाने, इनवर्ड वीजा को आसान बनाने तथा अमरीका के साथ वीजा विधेयक के मुद्दे को उठाने के जरिए सॉफ्टवेयर निर्यात को गति देना |
वार्षिकी आधारित पीपीपी परियोजनाओं पर ध्यान देना |
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6. |
एसयूयूटीआई, बीएएलसीओ, एचजेडएल शेयरों को बेच कर आसान संसाधन बढ़ाना |
प्राप्य राशियों का भुगतान करके कंपनियों के नकद प्रवाह को सुधारना |
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7. |
कृषि निर्यात को बढ़ावा देना |
घरेलू इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ावा देना |
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8. |
मुद्रा बाज़ार में सुधार करना |
औद्योगिक पार्कों के लिए पीएसयू भूमि का उपयोग |
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9. |
पीपीपी के जरिए कोल इंडिया के कार्यों में सुधार |
नवीकरीणीय ऊर्जा संबंधित परियोजनाओं को फिर से शुरू करना |
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10. |
टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देना |
अल्पकालीन के लिए पदस्थ निवेशकों पर विशेष ध्यान देना |
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11. |
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कर मुद्दों को सुलझाना और कर से जुड़ी अनिश्चिता को समाप्त करना |
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12. |
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स्थनीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारी खरीद का उपयोग करना |
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13. |
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शहरी बुनियादी ढांचा पर विशेष ध्यान देना |
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