प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
पिछले कुछ दिन से भारत - यूएई (आबू धाबी) द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते और जेट एयरवेज-एतिहाद इक्विटी स्टेक प्रस्ताव पर मीडिया में खबर आ रही है। इनमें से कुछ खबर में कहा गया है कि प्राधानमंत्री कार्यालय जेट एयरवेज-एतिहाद प्रस्ताव में भूमिका निभा रहा है।
2- मीडिया के कुछ समाचारों में लगाए जा रहे आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत तथा आधारहीन हैं। सरकार में या मंत्रालयों और प्रधानमंत्री के बीच इस बारे में कोई असहमति नहीं है। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते हाथ नहीं खींचा है और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय इस मुद्दे पर पीछे हटने की तैयारी कर रहा है।
दो अलग मामले - द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौता और निजी इक्विटी स्टेक प्रस्ताव
3- मीडिया में दो अलग-अलग मामले उठाए जा रहे हैं। पहला भारत और आबू धाबी के बीच द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते के तहत सीट बढ़ाने के हक के बारे में है। यह द्विपक्षीय हवाई यायात सीटों के हक के बारे में दो सरकारों के बीच समझौता है और दोनों देशों की सरकारों से संबंधित है। दूसरा जेट एयरवेज और एतिहाद के बीच इक्विटी की हिस्सेदारी के प्रस्ताव के बारे में है जो निजी क्षेत्र की दो कंपनियों के बीच समझौता है। ऐसे समझौते में विदेशी निवेश होता है तथा इसलिए ये इस संबंध में किसी सरकार की नीति एवं कानून के अनुसार होने चाहिए। अलग-अलग मुद्दे होने और विभिन्न श्रेणी के निकायों के बीच के मुद्दे होने के नाते इन दोनों मामलों को अलग-अलग देखा जाना चाहिए और इन्हें एक जगह मिलाकर नहीं देखा जाना चाहिए।
भारत-यूएई (आबू धाबी) द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते के तहत सीट का हक
4- जहां तक द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते की बात है, तथ्य सरल हैं। द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौतों के तहत सीटों के हक में बदलाव आमतौर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और दूसरे देश के संबंधित मंत्रालय करते हैं। यह परिवर्तन सहमति ज्ञापन के तहत किए जाते हैं तथा इनके लिए उच्च स्तर पर अनुमोदन की जरूरत नहीं होती।
5- हालांकि 22-04-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्री ने सीट के हक के बारे में आबू धाबी के साथ सहमति ज्ञापन सम्पन्न करने के लिए प्रधानमंत्री की अनुमति मांगी थी जो अंतर-मंत्रालय समूह की सिफारिश से भिन्न थी। इसलिए यह मामला प्रधानमंत्री के स्तर तक आया। प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री को निर्देश दिया कि मामले पर विस्तार से विचार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री, विदेश मंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की बैठक बुलाए। मंत्री मिले और द्विपक्षीय विचार विमर्श के लिए प्रस्ताव पर सहमत हुए। इस बैठक का कार्यवृत्त वित्त मंत्रालय ने जारी कर दिया है।
6- उसी दिन मंत्री मामले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिले। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी शामिल हुए। बैठक में पिछली बैठक के कार्यवृत्त में उल्लेखित फार्मूले के अनुसार वार्ता में आगे बढ़ने पर सैद्धांतिक सहमति बनी।
7- इसके बाद 26-04-2013 को प्रधानमंत्री ने यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इस संबंध में उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्री से भी बात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को औपचारिक रूप से यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इ यंबंध में भेजा गया नोट जारी कर दिया गया है।
8- इसके बाद हमारे विमानन क्षेत्र पर मध्य पूर्व की विमानन कंपनी के असर के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक नोट प्राप्त हुआ। इसे विचार के लिए 22-05-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेज दिया गया।
9- मंत्रिमंडल ने जब इस नोट की समीक्षा की तो महसूस किया गया कि इसे सिलसिलेवार ढंग से पुन- तैयार करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 13-6-13 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कैबिनेट नोट को फिर से तैयार करने के लिए नोट भेजा। प्रधानमंत्री कार्यालय से भेजा गया यह नोट जारी कर दिया गया है।
जेट एयरवेज एतिहाद इक्विटी स्टेक प्रस्ताव
10- यह निजी कंपनियों के बीच का मामला है जिसके लिए वर्तमान नीतियों और कानून के अनुसार संबंधित एजेंट के अनुमोदन की जरूरत है। यह सरकारों के बीच समझौता नहीं है तथा इस मामले में पीछे हटने या प्रस्ताव का सम्मान न करने का सवाल ही नहीं उठता।
समझौते के बारे में शिकायत
11- इस मामले में प्रधानमंत्री को निम्नलिखित शिकायतें मिलीं:-
(i)- प्रधानमंत्री ने 1-5-2013 को श्री गुरूदास दासगुप्ता का पत्र प्राप्त हुआ।
(ii)- 2-5-2013 को श्री प्रबोध पांडा का पत्र प्राप्त हुआ।
(iii)- 3-5-2013 को श्री सुचारू रंजन हलदर, सांसद का पत्र प्राप्त हुआ।
(iv)- 29-5-2013 को डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी का पत्र प्राप्त हुआ।
(v)- 13-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्त हुआ।
(vi)- 21-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्त हुआ।
इन सब पत्रों पर की गई कार्रवाई के तहत मामले की जांच और उचित कार्रवाई करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कहा गया। इस मामले में मीडिया की रिपोर्ट विभिन्न मंत्रालयों को भेजे गए चुनिंदा नोट पर आधारित हैं। इसलिए इनसे पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती। इस मामले पर अभी विचार किया जा रहा है तथा इसलिए पीछे हटने या प्रस्ताव का सम्मान न करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
अनुबंध के लिए यहाँ क्लिक करें