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प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वित्त वर्ष 2013-14 के लिए बुनियादी ढांचे के लक्ष्यों को तय करने के लिए आज बैठक आयोजित की। इस बैठक में वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और बिजली, कोयला, रेलवे, सड़क, जहाजरानी और नागरिक उड्डयन जैसे प्रमुख ढांचागत मंत्रालयों के मंत्री भी उपस्थित हुए।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने 2012-13 में लक्ष्यों को हासिल करने में छह ढांचागत मंत्रालयों के प्रदर्शन पर प्रस्तुति दी और इस वर्ष अर्थात 2013-14 के लिए तय किए गए लक्ष्यों का ब्यौरा भी दिया। ये लक्ष्य विस्तृत प्रक्रिया के जरिए तय किए गए हैं। यह लक्ष्य पहले योजना आयोग के सदस्य (बुनियादी ढांचा) की बैठक और उसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में दूसरे दौर की बैठक के जरिए तय किए गए हैं।
प्रधानमंत्री की समीक्षा की मुख्य विशेषताएं और 2013-14 के लिए लक्ष्य इस प्रकार हैं:-
1- नागरिक उड्डयन
क) भुवनेश्वर और इंफाल में दो नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे
ख) भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण कम लागत वाले 50 नए हवाई अड्डे बनाएगा [सूची देखें-ख(1)]
ग) इस वर्ष सरकारी-निजी भागीदारी के जरिए 8 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का काम सौंपा जाना है: नवीं मुंबई, जूहू (मुंबई), गोवा, कन्नूर, पुणे (राजगुरू नगर चकन), श्रीपेरेम्बदूर, बेल्लारी और रायगढ़
घ) भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के हवाई अड्डों में सरकारी-निजी भागीदारी के जरिए हवाई अड्डा परिचालन और रखरखाव शुरू किया जाएगा। चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, गुवाहाटी, जयपुर और अहमदाबाद हवाई अड्डों पर विचार किया जा रहा है।
ख(1)- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के नए कम लागत वाले हवाई अड्डे
आंध्र प्रदेश: विजयवाड़ा, नेल्लूर, कुर्नूल, कडपा, निजामाबाद, तिरूपति, अनंतपुर और करीमनगर
झारखंड: धनबाद, बोकारो और हजारीबाग
बिहार: मुजफ्फरपुर, छपरा और सासाराम
पंजाब: लुधियाना, जालंधर और फीरोजपुर
उत्तर प्रदेश: आगरा, इलाहाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और आजमगढ़
अरुणाचल प्रदेश: तेजू, मोमडिला और अलोंग
असम: सिलचर, जोरहाट और तेजपुर
मध्य प्रदेश: ग्वालियर, सिंगरौली, बुरहानपुर, खांडवा, जबलपुर, सिधी और शहडौल
ओडिशा: ब्रह्मपुर, राउरकेला और केंदुझर
राजस्थान: अजमेर, कोटा, भीलवाड़ा और अलवर
महाराष्ट्र: कोल्हापुर, नासिक, जलगांव, सोलापुर और अमरावती
2- बंदरगाह
क) मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित सरकारी-निजी भागीदारी माध्यम में दो नए बंदरगाह सागर (पश्चिम बंगाल) और दुर्गाराजपटनम (आंध्र प्रदेश) का कार्य सौंपा जाएगा।
3- रेलवे
क) रेलवे, वित्त और योजना आयोग का अंतर-मंत्रालय समूह बनाया जाएगा जिसे प्राथमिकता और समय बद्ध ढंग से 2,00,000 करोड़ रुपये से अधिक की लंबे समय अटकी परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए दो महीनों में रचनात्मक वित्त व्यवस्था-सह कार्यान्वयन तंत्र बनाने का कार्य सौंपा जाएगा।
ख) रेल टैरिफ प्राधिकरण बनाने के प्रस्ताव को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा और शीघ्र ही मंत्रिमंडल के समक्ष लाया जाएगा।
ग) दो लोको निर्माण परियोजनाओं, एलीवेटिड रेल गलियारे, समर्पित माल गलियारा और स्टेशन पुनर्विकास जैसी रेलवे की फ्लैगशिप परियोजनाओं की कड़ी निगरानी की जाएगी और अगले छह महीनों में इनका काम सौंपा जाएगा।
4- सड़कें
क) सरकारी-निजी भागीदारी माध्यम वाली सड़क परियोजनाओं को पहले ही बहुत अधिक छूट उपलब्ध कराई जा रही है इसके मद्देनजर सड़क परियोजनाओं का काम सौंपने में सुस्ती को तेज किया जाना चाहिए।
ख) एक्सप्रेसवे पर ध्यान दिया जाएगा और एक्सप्रेसवे के लिए कार्यान्वयन तंत्र का सुझाव देने के लिए योजना आयोग सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा।
5- बिजली
क) मंत्रालय बिजली क्षेत्र में मुद्दों को हल करने तथा बिजली निर्माण एवं पारेषण क्षमता में सुधार के लिए योजना आयोग एवं वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा।
ख) बिजली मंत्रालय ओपन एक्सेस को चालू करने के अलग प्रावधान पर काम कर रहा है।
6- कोयला
क) कायेला उत्पादन बढ़ाने के लिए नई नीतियां बनाई जाएंगी।
इन लक्ष्यों के अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने निवेश की धारणा को फिर से पटरी पर लाने के लिए बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस उद्देश्य से अगले छह महीनों में कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी-निजी भागीदारी परियोजनाओं का लक्ष्य रखा गया। इनका कार्य प्राथमिकता के आधार पर सौंपने और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए स्थायी समूह बनाया जा रहा है:-
1. मुंबई एलीवेटिड रेल गलियारा- रु. 30,000 करोड़
2. दो लोकोमोटिव परियोजनाएं- रु. 5,000 करोड़
3. एक्सेलरेटिड ई-डीएफसी- रु. 10,000 करोड़
4. दो बंदरगाह परियोजनाओं में से एक- रु. 10,000 करोड़
5. हवाई अड्डे की दो परियोजनाएं- रु. 20,000 करोड़
6. बिजली और पारेषण परियोजनाएं- रु. 40,000 करोड़
कुल योग- रु. 1,15,000 करोड़
प्रधानमंत्री ने बैठक के अंत में इस बात पर बल दिया कि अभी बहुत काम करने की जरूरत है तथा काम करने के मामले में कोई ढील नहीं दी जानी चाहिए।