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प्रश्न- आपकी राय में क्या करने की जरूरत है, जिससे अर्थव्यवस्था फिर से 8 प्रतिशत की वृद्धि दर पर आ जाए? और जापानी निवेश के बारे में भारत की क्या उम्मीदे हैं? और किस क्षेत्र में तथा किस उद्योग में भारत, जापान से निवेश चाहेगा?
प्रधानमंत्री- अगर आप पिछले वर्ष की आर्थिक स्थिति को छोड़ दें, तो पिछले नौ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में औसतन लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि दर रही है। पिछली किसी दशाब्दी के मुकाबले भारत की यह वृद्धि दर सबसे अधिक है। पिछले वर्ष हमारी वृद्धि दर कुछ खास कारणों से घटकर लगभग पाँच प्रतिशत तक आ गई। इसके कुछ कारणों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की मंदी, यूरोजोन के निष्पादन और आय में गिरावट, यूरोप में मंदी, अमरीकी अर्थव्यवस्था की धीमी गति जैसे कारणों के साथ-साथ जापान की अर्थव्यवस्था की प्रगति की धीमी प्रक्रिया भी थी।
कुछ घरेलू कारण भी थे, क्योंकि जिन परियोजनाओं को आगे बढ़ना था, जो हमारी विकास योजना में शामिल थीं, वे पर्यावरण संबंधी मंजूरी में रूकावट तथा कोयला और अन्य संसाधनों की उपलब्धता की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाईं। हम अब इन सभी मुद्दों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि चालू वर्ष में हमारी वृद्धि दर छह से साढ़े छह प्रतिशत तक रहेगी और अगले दो-तीन वर्षों में हमें विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की वृद्धि दर लौट आएगी।
अब आप मुझसे पूछेंगे कि मुझे कैसे विश्वास है कि ऐसा होगा। एक बात जो मैं कहना चाहूंगा, वह यह है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में बचतों की दर सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 35 प्रतिशत तक रही है। हाल में यह घटकर लगभग 30 प्रतिशत हो गई है और हमारी निवेश दर अभी भी काफी ऊंची लगभग 35 प्रतिशत है। पूंजी और उत्पादन के 4:1 के अनुपात, 30 प्रतिशत से अधिक की बचत दर, 35 प्रतिशत की निवेश दर, को देखते हुए इस बात की पूरी उम्मीद है कि वृद्धि दर आसानी से लगभग आठ प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
इसलिए हमारा मुख्य जोर इस बात पर है कि हम निवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने की सोच को मजबूत करें, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के निवेश में, जिसमें काफी बड़ी रूकावट है और जिसके कारण हमारी विकास की प्रक्रिया बाधित हुई है, हम इन रूकावटों को दूर करना चाहेंगे। हमने निवेश के संबंध में एक कैबिनेट समिति का गठन किया है, जो मुख्य रूप से उन रूकावटों को दूर करेगी, जिनसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास में रूकावट आ रही है और हमें उम्मीद है तथा विश्वास है कि ऐसा होगा। और जैसा मैंने कहा, इस वर्ष हमारी वृद्धि दर लगभग छह से साढ़े छह प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है।
अब इस सब में, हमें भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में जापान के कारोबारियों, उद्योगपतियों की जोरदार भागीदारी की आवश्यकता है। आज भारत में पहले के मुकाबले ज्यादा जापानी कंपनियां काम कर रही हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर की प्रक्रिया में उनके योगदान को बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 2012-17 में हमारी योजना बुनियादी ढांचे में लगभग एक खरब अमरीकी डॉलर का निवेश करने की है और मैं समझता हूं कि न केवल भारत के बुनियादी ढांचा विकास में जापान के उद्योग एक बड़ी भूमिका निभा सकते है, बल्कि विनिर्माण क्षेत्र की गति को तेज करने में भी योगदान दे सकते हैं।
हमारे सामने मारुति सुजुकी का शानदार उदाहरण है, लेकिन ऐसे और उदाहरण भी बनने चाहिए। हमें ऊर्जा में, स्वच्छ ऊर्जा में और नवीकरणीय ऊर्जा में जापान के निवेश की जरूरत है। हम चाहेंगे कि जापान उसी तरह के उदाहरण और बनाए, जैसा उसने दिल्ली मैट्रो में बनाया है। हम अपने महानगरों में और ज्यादा मैट्रो रेले चलाना चाहेंगे। इन सभी क्षेत्रों में मुझे लगता है कि भारत और जापान के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के बहुत अवसर हैं। मैं जापान के उद्योग समुदाय को आमंत्रित करता हूं कि वह उदारीकृत भारतीय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध विशाल अवसरों का पूरा लाभ उठाएं।
प्रश्न 3- सर, ब्रिक्स बैंक क्या है? ब्रिक्स बैंक के बारे में आपकी क्या राय है?
प्रधानमंत्री- यह एक ऐसा विचार है, जिसे और गहराई से समझने की जरूरत है। मेरे विचार में विकासशील देशों को देखना चाहिए कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग के क्या लाभ हैं और ब्रिक्स उसका एक उदाहरण है। लेकिन, यह कहने से पहले कि यह विचार वास्तव में एक ऐसे स्तर पर आ गया है कि यह व्यावहारिक रूप ले सकता है, हमें बहुत कुछ करना होगा।
प्रश्न 4- चीन की ओर से समुद्री क्षेत्र में खतरे को देखते हुए, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत और जापान की ओर से सामूहिक तौर पर या अन्य किसी भी तरह के कदम उठाने की जरूरत के बारे में प्रधानमंत्री की क्या राय है?
प्रधानमंत्री- भारत और जापान दोनों अहम समुद्री देश हैं। इस लिए समुद्री क्षेत्र, खास कर हिन्द और प्रशांत महासागर में संचार मार्गों की सुरक्षा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत नौवहन की स्वतंत्रता और अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में अबाधित, वैध व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय कानून के मान्य सिद्धांतों के अनुसार आवागमन के अधिकार का समर्थन करता है। हम मानते हैं कि जब विवाद हो, तो उसे संबंधित पक्षों द्वारा आपसी बातचीत से शांतिपूर्वक निपटाया जाना चाहिए। यह हमारे क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के लिए जरूरी है।
भारत और जापान के बीच समुद्र क्षेत्र में सहयोग और तालमेल बढ़ा है। भारत और जापान ने पिछले साल मिलकर नौसेना अभ्यास शुरू किया। हमने समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों सहित समुद्र क्षेत्र के मामलों पर विचार करने के लिए नई वार्ता शुरू की है। ये गतिविधियां किसी तीसरे देश के विरूद्ध नहीं हैं, बल्कि हमारे साझे हितों को बढ़ावा देने के लिए हैं। जैसा कि आप जानते होंगे, अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती के खिलाफ भारत, जापान, कोरिया और चीन ने व्यापारिक जहाजों के सुरक्षित लाने के लिए आपस में सहयोग किया था। यह एशियाई देशों के बीच व्यावहारिक सहयोग का एक उदाहरण है।
प्रश्न 5- एशिया प्रशांत क्षेत्र में व्यापार के उदारीकरण को, खास तौर पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) और ट्रांच पैसिफिक भागीदारी (टीपीपी) के संदर्भ में आप कैसे देखते हैं? इस पर भारत का क्या रूख है?
प्रधानमंत्री- व्यापार में उदारीकरण और आर्थिक एकीकरण पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में समृद्धि और आर्थिक विकास को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। भारत पूर्वी एशिया में आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। जापान की तरह हम भी पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के एक संस्थापक सदस्य हैं। हम लोग क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की वार्ता में भाग ले रहे हैं। हम ट्रांस पैसिफिक भागीदारी का हिस्सा नहीं हैं और हम इसके परिणामों का अध्ययन कर रहे हैं। हालांकि, क्षेत्रीय व्यापार व्यवस्थाएं खुली और बहुस्तरीय व्यापार व्यवस्था की कीमत पर नहीं होनी चाहिएं। हम दुनिया के अधिकतर देशों में जारी संरक्षणवाद की प्रवृत्ति से भी चिंतित हैं।
प्रश्न 6- मेरा सवाल एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा माहौल के बारे में है? इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बनाये रखने के लिए भारत किस तरह की भूमिका निभाना चाहता है और भारत जापान से किस तरह की भूमिका की उम्मीद करता है? आप पाकिस्तान की नव-निर्वाचित सरकार से भविष्य में कैसा रिश्ता देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री- एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थायित्व और समृद्धि को लेकर भारत के महत्वपूर्ण हित जुड़े हैं। हमारी रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी तय करने में हमारे साझा मूल्य, आपसी हित और आर्थिक साझेदारी की संभावनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह साझेदारी क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, सहयोग एवं संपर्क, समुद्री सुरक्षा और नियम आधारित खुली एवं संतुलित क्षेत्रीय व्यवस्था के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। मुझे उम्मीद है कि जापान के प्रधानमंत्री श्री आबे के साथ बातचीत में हम इन लक्ष्यों को आगे बढ़ा सकेंगे।
मैं पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, दोस्ताना और सहयोगी संबंधों की लगातार हिमायत करता रहा हूं। हमने हमेशा आतंक और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत को आगे बढ़ाने की बात कही है। हम पाकिस्तान के साथ संबंधों को और आगे ले जाने के लिए वहां की नई सरकार के साथ काम करना चाहते हैं।
प्रश्न 7- उम्मीद की जाती है कि जापान सरकार वित्तीय सहयोग सहित द्रुतगामी रेल प्रणाली का निर्माण करने में भारत को सहयोग दे। आप शिनकांसेन जैसी जापान की द्रुतगामी रेल प्रणाली जैसी व्यवस्था के लिए जापान सरकार से किस तरह के समझौते की उम्मीद करते हैं? इसके लिए आपकी सरकार को क्या करने की जरूरत है?
प्रधानमंत्री- भारतीय रेलवे ने अपने दीर्घावधि के कार्यक्रम के तहत यात्रियों की सुविधा के लिए द्रुतगामी रेल गलियारे की संभावना पर विचार किया है। जापान की शिनकांसेन रेल प्रणाली अपनी कार्य क्षमता और सुरक्षा रिकॉर्ड के लिए जानी जाती है। ऐसी बड़ी पूंजीगत परियोजनाओं पर हम अपनी ढांचागत जरूरतों, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रख कर विचार करेंगे। हम जापान के दिलचस्पी का स्वागत करते हैं और यदि हम भारत में द्रुतगामी रेल प्रणाली रेल शुरू करने का फैसला लेते हैं, तो जापान के साथ सहयोग करके हमें खुशी होगी।