प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
1. तेल और गैस ब्लॉकों की खोज और उत्पादन गतिविधियों के लिए एनईएलपी (न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी) को मंजूरी।
निवेश संबंधी मंत्रिमण्डल समिति ने 22.04.2013 की अपनी बैठक में तेल और गैस का लगातार पता लगाने के लिए उन 31 ब्लॉकों, जिनमें रक्षा मंत्रालय द्वारा लगाए सुरक्षा प्रतिबंधों के कारण काम बंद हो गया था, में से 25 एनईएलपी ब्लॉकों को स्वीकृति दी। इस तरह इन ब्लॉकों में पहले ही किए जा चुके 2.71 बिलियन अमेरिकी डालर (14,766 करोड़ रुपए) का इस्तेमाल किया जाएगा और आगामी 3 से 5 वर्षों में तेल/गैस का पता लगाने की गतिविधियों में और 1.9 बिलियन अमेरिकी डालर (10,360 करोड़ रुपये) तक निवेश किए जाएंगे।
संक्षेप में, निवेश संबंधी मंत्रिमण्डल समिति ने 20.03.2013 और 22.04.2013 की अपनी बैठकों में कुल 40 ब्लॉकों में से 31 ब्लॉकों को स्वीकृति दे दी है। इन स्वीकृतियों से पहले से किए गए 13.42 बिलियन अमेरिकी डालर (73179.26 करोड़ रुपए) के निवेश का न केवल इस्तेमाल किया जा सकेगा बल्कि आगामी 3 से 5 वर्षों में तेल/गैस का पता लगाने की गतिविधियों में लगभग 2.5 बिलियन अमेरिकी डालर (13632 करोड़ रुपए) का अतिरिक्त निवेश भी प्राप्त होगा। इसके अलावा, हाइड्रोकार्बनों का पता लगाने से इन ब्लॉकों के विकास में भारी निवेश की संभावना है। इन 40 ब्लॉकों के 3,32,960 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में से अब 31 ब्लॉकों में 2,66,463 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल गैस/तेल का पता लगाने और उत्पादन करने की गतिविधियों के लिए उपलब्ध होगा।
2. विद्युत क्षेत्र की परियोजनाओं के संबंध में स्वीकृति।
निवेश संबंधी मंत्रिमण्डल समिति ने अपने दिनांक 22.04.2013 की बैठक में 20 परियोजनाओं की स्थिति की भी समीक्षा की। 20 परियोजनाओं में से लगभग 33,000 करोड़ रुपये की निवेश वाली 13 परियोजनाओं को अब स्वीकृति दे दी गई है। इनमें निवेश संबंधी मंत्रिमण्डल द्वारा अपने दिनांक 20.02.2013 की बैठक में स्वीकृत की गई लगभग 15,000 करोड़ रुपये की निवेश वाली नार्थ करणपुरा ताप-विद्युत परियोजना शामिल है। समिति ने यह निदेश भी दिया कि विष्णुगढ़ पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना, चमोली, उत्तराखंड को दो महीने के भीतर स्वीकृति दी जाए, कोटीभेल जल विद्युत परियोजना, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड और पाकुल दुल जल विद्युत परियोजना, डोडा, जम्मू और कश्मीर के काम में तेजी लाई जाए और चार से पांच महीने के भीतर काम आबंटित कर दिए जाएं। साथ ही समिति ने यह निदेश भी दिया कि फिरोज गांधी ऊंचाहार चरण IV, रायबरेली, उत्तर प्रदेश के मामले में एक सप्ताह के भीतर पर्यावरण संबंधी स्वीकृति जारी की जाए।
3. स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की कच्चे इस्पात की क्षमता बढ़ाने के लिए झारखंड में गुआ लौह अयस्क खान के मामले में स्वीकृति।
स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने 635.986 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए वन संबंधी स्वीकृति के लिए आवेदन किया था। इससे इन खानों से लौह अयस्क के उत्पादन को 2.4 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (दस लाख टन प्रति वर्ष) से 10 मीट्रिक टन प्रति वर्ष बढ़ाने के साथ-साथ बेनिफिशिएशन प्लान्ट और पैलेट प्लान्ट लगाने में मदद मिलेगी। इसके लिए 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूर्वी क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों की कच्चे इस्पात की क्षमता को 5.44 मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने की आवश्यकता होगी। इस अनुमानित लागत में से 33,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। समिति ने यह निदेश दिया है कि राज्य सरकार से अपेक्षित जानकारी प्राप्त होने के बाद पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा एक माह के भीतर स्वीकृति जारी कर दी जाएगी।
4. आयातित कोयले के मूल्य को घरेलू कोयले के साथ जोड़ना।
आर्थिक मामले संबंधी मंत्रिमण्डल समिति ने अपने दिनांक 5.02.2013 की बैठक में विस्तृत दिशा-निर्देशों को सैद्धांतिक रूप से अनुमोदित कर दिया था और यह निदेश दिया था कि दिशा-निर्देशों के आधार पर कोयला मंत्रालय पांच सप्ताह के भीतर एक प्रस्ताव लाए।
तदनुसार, समिति ने अपनी 22.04.2013 की बैठक में कोयला मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार किया और यह निर्णय लिया कि कोल इण्डिया लिमिटेड वर्ष 2009 से पहले की विद्युत परियोजनाओं को वार्षिक संविदा में निर्धारित मात्रा के 90 प्रतिशत तक घरेलू कोयला की आपूर्ति करता रहेगा। कोल इण्डिया लिमिटेड 2009 के बाद की उन विद्युत परियोजनाओं, जो 31.03.2013 तक अथवा इससे पहले स्थापित कर ली जाएंगी और जहां नियमित आश्वासन पत्र जारी किए जा चुके हैं तथा लागत के आधार पर विद्युत खरीद करार पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं, को वार्षिक संविदा में निर्धारित मात्रा के 65 प्रतिशत तक घरेलू कोयला की आपूर्ति करेगा। इस व्यवस्था में वे परियोजनाएं शामिल नहीं होंगी जहां टेपरिंग लिंकेजेज जारी कर दिये हैं। समिति ने यह भी निर्णय लिया कि 2009 के बाद की उन विद्युत परियोजनाओं, जो 31.03.2015 तक अथवा इससे पहले स्थापित कर ली जाएंगी और जहां क.) प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर विद्युत खरीद करार कर लिए गए हैं, ख.) कोई विद्युत खरीद करार नहीं किए गए हैं, ग.) टेपरिंग लिंकेजेज वाली परियोजनाएं और घ) हाई बैंक एक्पोजर वाली परियोजनाओं के ब्यौरों का पता लगाया जाएगा। समिति ने यह निदेश दिया कि दो सप्ताह के भीतर इस संबंध में विस्तृत तौर-तरीके निर्धारित किए जाएं।
5. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा विवादों के शीघ्र निपटान हेतु व्यवस्था।
अनेक राजमार्ग ठेकों में प्रायः कानूनी विवाद और वित्तीय दावे सामने आते हैं। परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की दृष्टि से ऐसे विवादों और दावों का शीघ्र निपटान महत्वपूर्ण है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आर्थिक मामले संबंधी मंत्रिमण्डल समिति को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा विवादों के निपटान के लिए अपनाई जाने वाली नई तीन-स्तरीय व्यवस्था की जानकारी दी। पुरानी व्यवस्था विवादों और दावों के शीघ्र निपटान करने में कारगर नहीं थी।