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1. बर्लिन में आयोजित भारत-जर्मन अंतर-सरकारी परामर्श के दूसरे दौर के दौरान चांसलर एंगेला मेर्केल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2000 में की गई रणनीतिक साझेदारी को और अधिक आगे बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने सरकार के प्रमुखों की अध्यक्षता तथा संबंधित मंत्रियों की भागीदारी वाले अंतर-सरकारी परामर्श के सफल प्रारूप को जारी करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही मौजूदा परामर्श संरचना को और अधिक विस्तृत बनाने के लिए अपेक्षित प्रारूपों को इसमें जोड़ने पर भी सहमति हुई।
2. भारत-जर्मन सहयोग दोनों देशों के लोगों के विकास के लिए अनेक आयाम खोलता है। भारत और जर्मनी का मानना है कि व्यापार, द्विपक्षीय निवेश, ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण, संस्कृति, शिक्षा, प्रशिक्षण, शोध, प्रौद्योगिकी और रक्षा के क्षेत्र में नए कदमों से आपसी द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक गतिशील और सक्रिय बनाया जा सकता है।
3. भारत-जर्मन सलाहकार समूह द्विपक्षीय सहयोग के लिए बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करता है। इसके सदस्यों के गहन और उत्पादक कार्यों को दोनों प्रमुखों ने सराहा है और इस बात की प्रसन्नता जाहिर की है कि यह समूह अपने कार्य को जारी रखे हुए है।
4. जर्मनी और भारत आपसी साझेदारी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों- उच्चतर शिक्षा, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी, को आगे बढ़ाने तथा सहयोग के नवीन और अभिनव क्षेत्रों को और आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प हैं। इस दिशा में जर्मनी और भारत संयुक्त निधियन वाले कार्यक्रम “उच्चतर शिक्षा में भारत जर्मन रणनीतिक साझेदारी” (आईजीएसपी) पर सहमत हुए हैं जिसका उद्देश्य उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में जर्मनी और भारत के बीच मौजूदा साझेदारी को और मजबूत बनाना है। यह कार्यक्रम संयुक्त शोध परियोजनाओं की स्थापना पर केन्द्रित होगा जिसमें संयुक्त निगरानी के साथ ही इस संदर्भ में विद्यार्थियों और विद्यानों के बीच परस्पर मेल-मिलाप शामिल होगा। भारत के कानूनी शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए डॉ. एंगेला मेर्केल छात्रवृत्ति की भारतीय पक्ष ने सराहना की है जिसकी 50 प्रतिशत राशि 2011 में चांसलर द्वारा प्राप्त जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार के ईनाम में से और बाकी की 50 प्रतिशत डचशेर एकेडमिशर ऑस्टसडाइन्ट (जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस-डीएएडी) से प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही जर्मन चांसलर फेलोशिप कार्यक्रम, जिसके तहत भारत को वर्ष में 10 अतिरिक्त फैलोशिप प्रदान की जाएगी, उसकी भी भारतीय पक्ष ने सराहना की है।
5. दोनों पक्षों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और जर्मनी के बीच के मौजूदा स्तर की भी सराहना की। जर्मनी में डीईएसवाई और एफएआईआऱ परियोजना के तहत सिंक्रोट्रोन सुविधा में भारतीय भागीदारी द्वारा समर्थित एडवांस्ड मटीरियल साइंस और हाई एनर्जी फिजिक्स में गठजोड़ इस भागीदारी का महत्वपूर्ण पहलू है। इसके अलावा भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केन्द्र द्वारा दोनों देशों के बीच औद्योगिक शोध और विकास परियोजनाओं का क्रियान्वयन भी एक अन्य सफल पहलू है।
6. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के गठजोड़ को और गहन तथा इसे और अधिक आगे बढ़ाने के संबंध में प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए दोनों पक्ष प्राकृतिक आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य संबंधी महामारियों, शहरी सुरक्षा और संयुक्त परियोजनाओं के जरिए लोगों के संरक्षण और बचाव जैसे समान हितों के क्षेत्रों में नागरिक सुरक्षा शोध पर सहयोग के नए कार्यक्रम को शुरू करने पर सहमत हुए।
7. दोनों पक्षों ने नई दिल्ली में हाल में शुरू जर्मन हाऊस फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन का उल्लेख किया। उन्होंने शोध और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और अधिक आगे बढ़ाने की आशा जताई। दोनों देश आईआईटी मद्रास में स्थापित इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनिबिलिटी (आईजीसीएस) के लिए संयुक्त रूप से निधियन पर सहमत हुए। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर उपयुक्त प्रणाली तैयार करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रमुख क्षेत्र में ज्ञान को बढ़ावा देना केन्द्र की गतिविधियों में शामिल है। यह अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रशिक्षण और ज्ञान के प्रसार का कार्य करेगा जो जलवायु परिवर्तन की प्रणाली में संगत वरीयता क्षेत्रों के लिए नीति निर्देशिका के विकास में मदद कर सकता है। आईआईटी –मद्रास के आईजीसीएस में जर्मनी के शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय के सहयोग से जर्मन विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक और शोधकर्ता चार वर्षों की अवधि के लिए जाएंगे। आईजीसीएस की शोध परियोजनाओं का निधियन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया जाएगा।
8. 31 मई 2011 को दोनों सरकारों के बीच हस्ताक्षरित सहमति ज्ञापन के प्रावधानों के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण साझेदारी की सफलता पर दोनों पक्षों ने प्रसन्नता जाहिर की। इस संदर्भ में जर्मन और भारतीय कंपनियां अभ्यासोन्मुखी प्रशिक्षण और दोनों देशों के व्यावसायिक प्रशिक्षण पैमानों के आधार पर प्रशिक्षण प्रदान करने में जुटी हैं। मौजूदा सहयोग को उच्चतर व्यावसायिक प्रशिक्षण की ऊर्जा-दक्ष निर्माण प्रौद्योगिकी के लिए विशिष्टता केन्द्र के उन्नत प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना जैसे प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में बढ़ाया जाएगा।
9. आपसी संपर्क और अंतर-सांस्कृतिक कौशल के संवर्धन तथा गहनता के लिए जर्मनी भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय विद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है ताकि उसके विद्यालय: भविष्य के लिए साझेदार अभियान (पीएएससीएच) और “1,000 विद्यालयों में जर्मन” कार्यक्रम के तहत भारतीय विद्यालयों में जर्मन शिक्षण को सहयोग प्राप्त हो सके।
10. दोनों पक्षों ने भारत में “ईयर ऑफ जर्मनी” और जर्मनी में “डेज ऑफ इंडिया” को काफी सफल माना। इसके तहत आयोजित कार्यक्रमों से दोनों देश के समाज आपस में काफी करीब आएं और परस्पर समझ का विकास हुआ। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विविधता, अकादमिक उपलब्धियों, प्रौद्योगिकीय प्रगति और आर्थिक अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में यह काफी महत्वपूर्ण रहा।
11. दोनों देश भारत-जर्मन शहरीकरण मंच की शुरूआत के साथ इन कार्यक्रमों द्वारा उभरी रुचियों को और आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। इससे विभिन्न कार्यकारी समूहों में शहरी नियोजन, वास्तुशिल्प, गतिशीलता, वाहन, वस्तुओँ की आपूर्ति और अवसंरचना जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकेगी।
12. करीबी व्यापार और निवेश संबंध हमारी साझेदारी का महत्वपूर्ण आयाम है और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दोनों देश व्यापारिक सहयोग को और गहन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों पक्ष परस्पर लाभप्रद संदर्भों में दुर्लभ मृदा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देंगे। दोनों सरकारें इस बात को समझती हैं कि उच्च प्रौद्योगिकी व्यापार और सहयोग आपसी रिश्तों को और अधिक मजबूत करने में काफी प्रमुख है। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाते रहने के लिए दोनों पक्ष नियमित तौर पर चर्चा करते रहने पर सहमत हुए और दोनों देशों की सरकारों और व्यापार सहित उच्च प्रौद्योगिकी साझेदारी समूह के निर्माण पर सहमत हुए।
13. भारतीय सरकार द्वारा योजनाबद्ध “दिल्ली –मुंबई औद्योगिक गलियारा” (डीएमआईसी) के तहत आने वाले वर्षों में सहयोग तथा निवेश और व्यापारिक अवसरों के लिए काफी स्थान है। नई दिल्ली में मई 2011 में हुए अंतर-सरकारी परामर्श के दौरान दोनों देशों के बीच व्यवसायिक और शैक्षणिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में और अधिक सहयोग पर बल दिया गया था। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के संबंध में कौशल विकास की पायलेट परियोजना के लिए भारत ने जर्मनी से सहयोग की मांग की है। इसी प्रकार मुंबई और बंगलौर के बीच योजनाबद्ध गलियारा भी भारत-जर्मन सहयोग के कई अवसरों को खोलता है।
14. व्यापार और निवेश प्रवाह के सतत विकास के लिए व्यापारिक आगंतुकों और पेशेवरों को आने-जाने की स्वतंत्रता पर दोनों पक्षों ने जोर दिया। दोनों देश इस प्रकार के कार्यक्रम की सुविधा पर साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।
15. जर्मनी और भारत इस बात से अवगत हैं कि विद्युत गतिशीलता में सहयोग ऊर्जा उपभोग को कम करने, पर्यावरण को सुधारने, उद्योग को रूपांतरित करने और पर्यावरण अनुकूल औद्योगिक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। विद्युत वाहन उत्पादन प्रौद्योगिकीयों, उत्पादन और बाजार विकास के क्षेत्र में विनिमय की सुविधा और सहयोग से वे अपने विद्युत वाहन उत्पादन के सतत और उपयुक्त विकास को समर्थन प्रदान करने के लिए तत्पर हैं।
16. दोनों सरकार इस बात को मानती हैं कि जर्मनी और भारत में लघु और मझौले उद्यमों के सहयोग की काफी अधिक क्षमता है। ये उद्यम विकास, नवाचार और रोजगार की गारंटी है। दोनों पक्षों ने भारत-जर्मन प्रबंधक प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की जो दोनों देशों के सूक्ष्म और मझौले उद्यमों को जोड़ता है और व्यापार संस्कृति की समझ को बढ़ाता है। दोनों पक्षों का मानना है कि दोनों देशों में मध्यम आकार की कंपनियों को शामिल करते हुए संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाएं तथा व्यापार-उन्मुख अनुसंधान प्रतिष्ठान काफी महत्वपूर्ण है। बाजार के अनुरूप नए उत्पादों, प्रक्रियाओं और तकनीकी सेवाओं के विकास के लिए कंपनियों और अनुसंधान प्रतिष्ठानों द्वारा भारत-जर्मन अनुसंधान और विकास सहयोग को दोनों देश अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों के जरिए बढ़ावा देंगे।
17. दोनों देश प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं से संबंधित आपसी विचारों और अनुभवों को व्यापक तौर पर और अधिक साझा करने पर सहमत हुए।
18. दोनों देशों ने पर्यटन क्षेत्र में सहयोग को रेखांकित किया और दोनों देशों के बीच पर्यटन बढ़ाने की क्षमता का भी उल्लेख किया। दोनों देश परस्पर पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए। इसके लिए उन्होंने टूर ऑपरेटरों, ट्रेवल एजेंटो, होटल मालिकों और एयरलाइनों से एक-दूसरे के पर्यटन मेलों और आयोजनों में भाग लेने का अनुरोध किया। भारत ने दोनों देशों के लिए उपयुक्त तिथि को नई दिल्ली में भारत और जर्मनी के बीच पर्यटन सहयोग पर सातवें संयुक्त कार्यकारी समूह के आयोजन का प्रस्ताव किया।
19. दोनों पक्षों ने बाजार खोलने के संदर्भ में नियमों और मानदंड़ों की भूमिका को स्वीकार किया और भारतीय तथा जर्मन अर्थव्यवस्था दोनों के लिए इस क्षेत्र में सहयोग को हितकर माना। इसके अलावा अनुपालन आकलन और उत्पादन सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने की योजना है। इसके अनुरूप दोनों पक्ष गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना पर कार्यकारी समूह की स्थापना पर सहमत हैं।
20 जर्मनी और भारत गरिमापूर्ण रोजगार के सृजन के समान हितों को साझा करते हैं जिसमें कर्मचारियों के अधिकार, सामाजिक सुरक्षा और बीमारी के मामले में पर्याप्त सुरक्षा तथा साथ ही प्रत्येक देश के विधायी कानूनों के मुताबिक उपयुक्त आय प्रदान करना शामिल है। दोनों ही निष्पक्ष और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां चाहते हैं। श्रम और रोजगार मंत्रियों के जी 20/एएसईएम बैठकों में इस संबंध में आपसी सहयोग को जारी रखा जाएगा और दोनों सामाजिक सुरक्षा के मंच पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की संस्तुतियों का समर्थन करते हैं। दोनों पक्ष कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के क्षेत्र में अपनी सर्वोत्तम परंपराओं को साझा करने पर भी सहमत हुए।
21. दोनों पक्षों ने भारत-जर्मनी ऊर्जा मंच (आईजीईएफ) में चल रही ऊर्जा नीति वार्ता की सराहना की। इसका समन्वयन भारत का बिजली मंत्रालय तथा फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक्स एवं टेक्नॉलिजी करता है। साथ ही उन्होंने नई दिल्ली में आईजीईएफ सहयोग कार्यालय खुलने की भी प्रशंसा की। थर्मल पावर के बिजली घरों की कुशलता बढ़ाने के क्षेत्र में बेहतर प्रणालियों के आदान-प्रदान में आपसी सहयोग के लिए आईजीईएफ के तत्वाधान में 'उत्कृष्टता विकास केंद्र' की स्थापना की गई है। नई दिल्ली में 2014 की पहली तिमाही में आयोजित होने वाले छठे भारत और जर्मनी ऊर्जा मंच में निजी क्षेत्र की भागीदारी के स्तर को और अधिक बढ़ाने की योजना है। संबंधित मंत्रालयों के बीच चल रही नीति वार्ता ऐसे ही जारी रहेगी और बढ़ेगी।
22. 2008 से जर्मनी और भारत ने कृषि, खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में अपने सहयोग को बढ़ाया है तथा इस संबंध में द्विपक्षीय कार्य समूह में बातचीत कर रहे हैं। टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए कार्य समूह ने पौधा किस्म संरक्षण और बीज विधान में सहयोग के लिए नई परियोजना की योजना बनाई है।
23. जर्मनी और भारत ने जलवायु परिवर्तन तथा मानवता पर उसके प्रभाव संबंघी समस्याओं के प्रभावी समाधान निकालने की तुरंत आवश्यकता पर भी ध्यान दिया। इसमें विकासशील देशों में जारी आर्थिक और सामाजिक विकास में सहयोग देने के लिए राहत और अनुकूल रणनीति बनाना शामिल है।
24. दोनों पक्षों ने उनके बीच इन क्षेत्रों में चल रहे सहयोग की सराहना की तथा वे इसे जारी रखने के इच्छुक हैं। दोनों पक्षों ने 2014 में नई दिल्ली में होने वाले दूसरे भारत-जर्मनी पर्यावरण मंच में जलवायु परिवर्तन संरक्षण संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के प्रति सहमति व्यक्त की।
25. भारत और जर्मनी स्वच्छ विकास प्रणाली (सीडीएम) में सहयोग को जारी रखने के इच्छुक हैं। दोनों पक्षों ने इस पर सहमति व्यक्त की कि भविष्य में सीडीएम के लिए प्रारूप बनाने की तैयारी को सुगम बनाने तथा राष्ट्रीय स्तर से उपयुक्त राहत कार्यों के डिज़ाइन बनाने और उसमें सहयोग के कार्यो को बढ़ाया जा सकता है।
26. जर्मनी और भारत ने सहभागिता की भावना में सफलतापूर्वक चल रहे विकास सहयोग को ऐसे ही जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। ऊर्जा, पर्यावरण तथा टिकाऊ विकास के आपसी रूप से चिन्हित प्राथमिक क्षेत्रों की परियोजनाओं में नवाचार दृष्टिकोण के साथ सहयोग देना। । यह वैश्विक स्तर के विकास हासिल करने तथा जलवायु परिवर्तन मुद्दों के समाधान में भी योगदान देता है।
27. जर्मनी और भारत अपने राष्ट्रीय ऊर्जा रणनीति के तहत नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका को बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध हैं। नवीकरणीय ऊर्जा का विकास आपसी सहयोग का एक मख्य मुद्दा है। इस संदर्भ में प्रमुख तकनीकी और भौतिक चुनौतियों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को उनके संबंधित ग्रिड से जोड़ना तथा पहुंचाना एक मूलभूत मुद्दा है। इन चुनौतियों से निपटने में भारत को सहयोग देने के लिए जर्मनी की सरकार तकनीकी के साथ-साथ वित्तीय विकास सहयोग के जरिए भारत में 'पर्यावरण अनुकूल गलियारे' बनाने में सहयोग करने की इच्छुक है। उन्होंने जर्मनी द्वारा दिए गए ऋण सहयोग से भारत के महाराष्ट्र के साकरी में मार्च 2013 में शुरू हुए 70 मेगावॉट की सौर ऊर्जा परियोजना का स्वागत किया है।
28. 2011-12 के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जर्मनी और भारत ने अपने सहयोग को याद किया तथा संयुक्त राष्ट्र तथा बहुपक्षीय प्रणाली में सुधारों और उसे सुदृढ़ करने में सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में उन्होंने जी-4 के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र परिषद में सुधार के अपने प्रयासों को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए एक-दूसरे की उम्मीदवारी का समर्थन करने के प्रति भी वचनबद्धता व्यक्त की।
29. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य होने के नाते जर्मनी और भारत अपनी स्थितियों में आपस में सहयोग देंगे और मानवाधिकार के संरक्षण के प्रति प्रयासों का प्रोत्साहन करेंगे।
30. संयुक्त परियोजनाओं में सहयोग करके जर्मनी और भारत अफगानिस्तान के लिए स्थिर तथा शांतिपूर्वक भविष्य में योगदान देने के इच्छुक हैं। इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय हार्ट ऑफ एशिया की प्रक्रिया के महत्व पर ज़ोर दिया जिसमें भारत निवेश और व्यापार संवर्धन के क्षेत्र में विश्वास-निर्माण गतिविधियों का समन्वयन करता है। इन गतिविधियों का जर्मनी भी समर्थन करता है। दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश तथा विभिन्न (आर्थिक) क्षमता-निर्माण क्षेत्रों में सहयोग सहित राजनीतिक मुद्दों तथा सामाजिक और आर्थिक विकास के संबंध में आपसी विचार-विमर्श पर भी सहमति व्यक्त की।
31. जर्मनी और भारत ने भारत और यूरोपीय संघ के आपसी संबंधों की मज़बूती पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ को एक दीर्घकालिक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप मे माना तथा सभी क्षेत्रों में अपने रिश्तों को मज़बूत करने के लिए एक-साथ काम करने के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की।
32. नेताओं ने एक व्यापक, महत्वाकांक्षी और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते के लिए भारत और यूरोपीय संघ वार्ता के सफल परिणाम के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की। इस समझौते से दोनों देशों में नौकरियों का सृजन होगा और आर्थिक वृद्धि होगी । इस समझौते को 2013 में अंतिम रूप देने की उम्मीद है।
33. जर्मनी और भारत जी 20 में विचार-विमर्श में तेज़ी लाने की कोशिश करेंगे और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक तथा वित्तीय सहयोग के लिए अग्रणी मंच के रूप में जी 20 की भूमिका को मज़बूत करने का प्रयास करेंगे।
34. दोनों पक्ष इस वर्ष 9वें डब्ल्यूटीओ मंत्रालयीय सम्मेलन में व्यापार को सुगम बनाने पर आम सहमति बनाने का पूरा प्रयास करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दोहा वार्ता को संपन्न करने की संभावना अब भी बाकी है।
35. दोनों पक्ष आतंकवाद से निपटने में विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के साथ-साथ इस संबंध में व्यावहारिक सहयोग को ओर बढ़ाने पर सहमत हुए। वे आतंकवाद का मुकाबला करने के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों पर भारत-जर्मनी कार्य समूह में सहयोग देने पर भी राज़ी हुए।
36. दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय साइबर नीति संबंधी मुद्दों पर नियमित रूप से विचार-विमर्श करने के पक्ष में हैं।
37. सुरक्षा की नई चुनौतियों को देखते हुए दोनों पक्ष अपने सुरक्षा नीति वार्ता और विचारों के आदान-प्रदान में तेज़ी लाने के इच्छुक हैं। दोनों पक्षों ने रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्र सहित आपसी हितों के मामलों पर वार्ता और विचारों के आदान-प्रदान के जरिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में अपनी इच्छा व्यक्त की।
38. दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के उच्चतम मानक वाली एक प्रभावी राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के महत्व पर ध्यान दिया। दोनों देशों के प्रमुख निर्यात नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था पर आपसी वार्ता को जारी रखना चाहते हैं। भारत और विभिन्न निर्यात व्यवस्थाओं (एनएसजी, एमटीसीआर, एजी और डब्ल्यूए) के बीच चल रही वार्ता का जर्मनी ने स्वागत किया। दोनों पक्षों ने भारत के निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में एक पूर्ण सदस्य के रूप में सम्मिलित करने के लिए एक ज़मीनी माहौल बनाने में एक साथ कार्य को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की जिससे अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार व्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।
39. जर्मनी और भारत ने दोहराया कि वे परमाणु हथियार के बगैर एक विश्व बनाने, सबके लिए और बिना किसी भेद-भाव के परमाणु निरस्त्रीकरण तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों और सुरक्षा सिद्धांतों में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करने के प्रति मिलकर कार्य करेंगे। दोनों पक्ष वैश्विक परमाणु अप्रसार के प्रयासों में सहयोग करने पर सहमत हुए। उन्होंने पिछले दशकों के दौरान मिसाइल प्रसार और प्रसार सुरक्षा पहल के खिलाफ हेग आचार संहिता जैसे प्रयासों के योगदान का उल्लेख किया और उन्हें भविष्य में आगे बढ़ाने की संभावना व्यक्त की। दोनों देशों ने आईएईए की सुरक्षा प्रणाली का अंतरराष्ट्रीय सत्यापन नियम के रूप में समर्थन किया। दोनों पक्षों ने निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार के मुद्दों पर नियमित वार्ता आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की।
40. दोनों देशों ने परमाणु और रेडियोलॉजिकल आतंकवाद के जोखिम को कम करने के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने रासायनिक हथियारों और जैविक तथा ज़हरीले हथियार संबंधी समझौतों के प्रभावी कार्यान्वयन में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। जर्मनी व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि को जल्दी लागू करने के महत्व को समझता है। इस संदर्भ में भारत ने भी विस्फोटक परमाणु परीक्षण पर एकपक्षीय और स्वैच्छिक प्रतिबंध के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की। दोनों पक्षों ने परमाणु हथियारों या अन्य विस्फोटक परमाणु उपकरणों के लिए विखंडनीय सामग्री के उत्पादन पर प्रतिबंध बहुपक्षीय, बिना किसी भेद-भाव तथा अंतरराष्ट्रीय और प्रभावी रूप से सत्यापन योग्य समझौते में पूरा समर्थन देने की इच्छा प्रकट की। इस संबंध में निरस्त्रीकरण संबंधी सम्मेलन में बातचीत शुरू करने को भी कहा।
41. अलमाटी में ईरान और ई3+3 के बीच हाल ही में हुई वार्ता के संदर्भ में दोनों पक्षों ने ईरान के परमाणु मुद्दे के कूटनीतिक प्रस्ताव के महत्व पर ज़ोर दिया तथा ईरान से सभी उपयुक्त अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने का आग्रह किया। साथ ही उसे विशेष रूप से अपने शांतिपूर्वक परमाणु कार्यक्रम के संबंध में अंतरराष्ट्रीय विश्वास हासिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। उन्होंने 12 फरवरी को उत्तर कोरिया द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण की निंदा की। उन्होंने इसे डीपीआरके की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन बताया।