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जर्मनी रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के भाषण का अनुदित पाठ इस प्रकार है:-
मैं जर्मनी की चांसलर डॉ. आंगेला मैर्कल के आमंत्रण पर भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी वार्ता के दूसरे दौर के लिए 10 से 12 अप्रैल 2013 तक जर्मनी की यात्रा पर जा रहा हूं। 2006 में मेरी पहली जर्मनी की यात्रा के बाद जर्मनी की यह मेरी तीसरी द्विपक्षीय यात्रा और पांचवीं शिखर वार्ता है। मेरे साथ नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, वाणिज्य, उद्योग और वस्त्र मंत्री, विदेश मंत्री तथा मानव संसाधन विकास मंत्री भी जा रहे हैं।
अंतर-सरकारी वार्ता पहली बार दिल्ली में मई 2011 में हुई थी। इसने हमारे रिश्ते को प्रगाढ़ करने के संबंध में वार्ता के लिए एक बहुत उपयोगी मंच उपलब्ध कराया तथा भारत-जर्मनी सहयोग को व्यापक क्षेत्रों में आगे बढ़ाने में मदद की। जर्मनी के साथ हमारे काफी महत्वपूर्ण संबंध हैं जो साझा मूल्यों, सदियों पुराने बौद्धिक और सांस्कृतिक रिश्तों, आपसी सहयोग के लिए अवसरों को बढ़ाने तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में एक-दूसरे को समझने की ठोस नींव पर आधारित हैं।
आर्थिक क्षेत्र के संबंध में जर्मनी, यूरोप में हमारा सबसे बड़ा भागीदार है और व्यापार, निवेश तथा प्रौद्योगिकी के लिए हमारे मुख्य वैश्विक हिस्सेदारों में से एक है। घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के लिए उपायों को जारी रखने, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने तथा अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत की संभावित दीर्घकालिक वृद्धि दर पर वापस लाने में हमारे द्वारा जारी उपायों के साथ मैं जर्मनी से व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाना चाहता हूं। बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी जर्मनी हमारा एक मुख्य भागीदार है। इन क्षेत्रों में सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच संतुलित व्यापार और निवेश समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने मे, मैं चांसलर डॉ. मैर्कल से सहयोग का आग्रह भी करूंगा। मैं यूरोप को भारतीय निवेशकों और पेशेवरों के लिए अपने दरवाज़े खुले रखने का भी प्रस्ताव करूंगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था विशेष रूप से यूरो ज़ोन (जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ता है) की स्थिरता और वृद्धि में जर्मनी की एक प्रमुख भूमिका है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता और संकट के दौर में, मैं इन मुद्दों पर चांसलर डॉ. मैर्कल से चर्चा करने का इच्छुक हूं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों में हमारे साझा हितों पर चर्चा के साथ हम अफगानिस्तान, पश्चिमी एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ सहित व्यापक वैश्विक घटनाक्रम पर भी हम वार्ता करेंगे।
इस यात्रा के दौरान मैं जर्मनी के राष्ट्रपति एच.ई. जोएचिम गॉक से भी मुलाकात करूंगा। मैं भारत और जर्मनी के कूटनीतिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के रूप में आयोजित भारत दिवसों के समापन समारोह में भी भाग लूंगा।
भारत जर्मनी के साथ नज़दीकी, सहयोगात्मक और लाभदायक भागीदारी के प्रति भारत वचनबद्ध है।