प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा
प्रबंधित कराई गई सामग्री
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
द्वारा निर्मित एंव संचालित वेबसाइट
प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के दूसरे चरण को प्रारंभ करने के लिए भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों/विभागों के सचिवों को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला किया गया है कि चरण-1 और चरण-2 के अंतर्गत सभी 121 जिलों में डीबीटी के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रबंधित तीन पेंशन योजनाओं को भी लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह भी फैसला किया जा चुका है कि 15 मई, 2013 से 20 जिलों में एलपीजी सब्सिडी को प्रारंभ किया जाएगा। उन्होंने अपील की कि डीबीटी को प्रारंभ करने से संबंधित देश के सभी जिलों में डाटा बेसों का डिजिटलीकरण प्रारंभ हो जाना चाहिए क्योंकि डीबीटी को प्रारंभ करने से पूर्व की यह एक जटिल गतिविधि है।
प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव ने संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों के सचिवों को पत्र लिखते हुए कहा कि 5 अप्रैल, 2013 को डीबीटी पर आयोजित राष्ट्रीय समिति की पिछली बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। इस संदर्भ में सचिवों को जानकारी देने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के समापन वक्तव्य की एक प्रतिलिपि भी पत्र के साथ भेजी।
बैठक में यह फैसला किया गया कि डीबीटी का अगला चरण 1 जुलाई, 2013 से प्रारंभ किया जाएगा, इस चरण में डीबीटी में पहले से ही शामिल 43 जिलों के अलावा 78 और जिलों को शामिल किया जाएगा। इन जिलों में आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से जुड़े दोनों मामलों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, 1 जुलाई 2013 से चरण-1 और 2 के 121 जिलों में डीबीटी के अंतर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रबंधित तीन पेंशन योजनाओं को भी शामिल किया जाएगा। यह भी फैसला किया गया था कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को 15 मई, 2013 से 20 जिलों में प्रारंभ किया जाएगा। इसके अलावा, यह भी सहमति बनाई गई कि डीबीटी को प्रारंभ करने से पूर्व सभी जिलों में डाटा बेसों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की जानी चाहिए क्योंकि यह एक जटिल प्रक्रिया है।
अगले चरण को प्रारंभ करने की तैयारियों के लिए अभी पर्याप्त समय है। डीबीटी को कार्यान्वित करने के मामले में प्रत्येक विभाग से यह उम्मीद की जाती है कि वह डीबीटी प्रक्रिया को प्रारंभ करने में अविलम्ब कार्य शुरू कर दे ताकि इसे तय समय सीमा के मुताबिक शुरू किया जा सके। इस प्रक्रिया को शुरू करने में कुछ जटिलताओं को देखते हुए निम्नलिखित गतिविधियों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए:-
1. लाभार्थी डाटाबेसों का डिजिटलीकरण:- प्रथम चरण में यह एक प्रमुख चुनौती रही है। डिजिटल डाटाबेस न होने से डीबीटी के अन्य कदमों में भी मुश्किल पैदा होती है। इसलिए सिर्फ चरण दो में शामिल जिलों को ही नहीं बल्कि सभी जिलों में डिजिटल डाटाबेस की तैयारी पर काम करना होगा ताकि इस प्रक्रिया को समय पर प्रारंभ किया जा सके।
2. चरण दो को प्रारंभ करने के लिए निर्देश:- आपके विभाग को स्पष्ट तौर पर, बिना किसी महत्वाकांक्षा के यह निर्देश जारी करने चाहिए कि इन 78 जिलों में अगले चरण का प्रारंभ 1 जुलाई, 2013 से किया जाएगा।
3. डीबीटी कोषों के प्रवाह के लिए पुन: अभियांत्रिकी प्रक्रिया को पूर्ण करना:- लाभार्थियों के खातों और सही समय की निगरानी के लिए प्रत्यक्ष कोषों के हस्तांतरण को सुनिश्चित करने हेतु पुन: अभियांत्रिकी प्रक्रिया आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने इस पक्ष पर जोर देते हुए कहा कि डीबीटी के लिए पुन: अभियांत्रिकी प्रक्रिया सरकारी स्तर पर आवश्यक है। हमें उन तरीकों को बदलने की जरूरत है, जिनके माध्यम से हम कारोबारी लेन-देन करते हैं, कोषों को जारी करते हैं और लाभार्थियों के बारे में सूचना प्राप्त करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि पुन: अभियांत्रिकी प्रक्रिया को चरण दो के लिए समय रहते पूरा कर लिया जाए।
4. प्रक्रिया प्रारंभ करने की निगरानी:- डीबीटी की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के मामले में इस पर करीब से निगरानी की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि डीबीटी के मामले में यह जानकरी मिली है कि विभागों में जारी ट्रैकिंग और निगरानी व्यवस्था में कमजोरी व्याप्त है। यदि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह व्यवस्था समय पर उपलब्ध कराई जा सके तो हमें एक मजबूत निगरानी तंत्र की आवश्यकता होगी। इसलिए प्रत्येक विभाग को एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र गठित करना चाहिए, जो लाभार्थियों को शामिल करने और हस्तांतरण की प्रक्रिया की निगरानी कर सके। यह भी घोषणा की जा चुकी है कि डीबीटी कार्यक्रम को देशभर में चरणों में प्रारंभ किया जाएगा। अब तक आप सभी डीबीटी को कार्यान्वित करने से संबंधित सभी मूलभूत आवश्यकताओं से परिचित हो चुके हैं, इसलिए आपसे अपील की जाती है कि डीबीटी को कार्यान्वित करने के लिए उपर्युक्त मुद्दों पर खास ध्यान दिया जाए।