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प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पर इस मामले की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुला रहे हैं, ताकि नये जिलों में यह स्कीम लागू करते समय इसकी कार्यनीतियों को विस्तार करते समय अपनाया जा सके। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण व्यवस्था की शुरूआत 1.1.2013 को की गई थी। इसे चरणबद्ध तरीके से 43 जिलों में 26 योजनाओं के साथ लागू किया गया। शुरू-शुरू में प्रारंभिक मुश्किलें पेश आईं, लेकिन बाद में संबद्ध मंत्रालय अवधारणाओं और तौर-तरीकों से वाकिफ हो गए। मंत्रालयों और विभागों में अब यह व्यवस्था अपनाने के लिए तरीके तय किए जा रहे हैं। इस विषय पर होने वाली प्रगति की, डाटाबेस के आधार पर समीक्षा की जाएगी। बैंक खाते खोलने और आधार में नाम लिखाने तथा आधार नंबरों के जरिए डाटा बेस तैयार करने पर भी विचार किया जाएगा। सभी जिलों में लाभार्थियों के आंकड़ों का डिजिटाइजेशन किया जाएगा, भले ही उन जिलों में यह योजना लागू न हो। वित्तीय सेवा विभाग को निर्देश दिए जाएंगे कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी लाभार्थियों ने बैंक खाते खुलवा लिए हैं। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस काम के लिए माइक्रो-एटीएम खरीद लिए गए हैं और वे आधार के अनुसार संचालित किए जा सकते हैं। मंत्रालयों को यह प्रक्रिया जल्दी पूरी करने के निर्देश दिए जाएंगे ताकि समय की बर्बादी न हो।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना का उन राज्यों में विस्तार किया जाएगा, जो शुरू-शुरू में भारत के रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को बायोमीट्रिक डाटा इकट्ठे करने के लिए सौंपे गए थे। इन राज्यों में बड़ी संख्या में गरीब रहते हैं, जो योजना के लाभार्थी हैं। ऐसे राज्यों में ओडीशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। भारत के रजिस्ट्रार जनरल इन राज्यों में बायोमीट्रिक आंकड़े इकट्ठे करने के काम में तेजी लाएंगे ताकि जून 2013 तक वहां 70 से 80 प्रतिशत तक लाभार्थियों को इस योजना में शामिल कर लिया जाए। इसके बाद स्कीम को 78 और जिलों में लागू किया जाएगा।