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प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज के हिन्दू समाचार पत्र में छपी उन खबरों को गलत बताया है कि जिनमें कहा गया है कि उसने टू-जी मामले से पहले 2007 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा की कार्रवाइयों से सहमति जतायी थी। जिन दस्तावेजों के आधार पर खबर लिखी गई है, उनमें कोई नई सूचना नहीं थी और वे पहले से ही पब्लिक डोमेन में मौजूद थे। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी नोट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने महसूस किया था कि इस मामले का दूरसंचार विभाग द्वारा ट्राई और अन्य के साथ विस्तार से विचार-विमर्श करने की जरूरत है।
बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने महसूस किया था कि इस विषय पर ट्राई और अन्य विभागों के साथ सलाह किए बिना कोई फैसला करना उचित नहीं होगा, इसीलिए प्रस्ताव को अनौपचारिक सुझाव के रूप में भेजा गया था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई निर्देश जारी किया गया था। नोट में प्रस्ताव था कि नये ऑपरेटरों से सामान्य शुल्क लेकर ''थ्रेशहोल्ड स्तर'' तक स्पेक्ट्रम आवंटन किया जा सकता है। उसके बाद उन लोगों के बीच बाकी बचे स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सकती है जिनके पास न्यूनतम सीमा तक ही स्पेक्ट्रम हैं।
प्रधानमंत्री संसद में इसके बारे में स्थिति पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं और प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई थी।