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प्रश्न- प्रधानमंत्री जी, बजट पर आपके मन में पहला विचार क्या आता है?
प्रधानमंत्री- हमारी अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने सराहनीय कार्य किया है। श्रमिकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देश में प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें अपनी विकास दर को तेज करना होगा। जैसा कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना में स्पष्ट उल्लेख है, हमें लगभग 8 प्रतिशत विकास दर की आवश्यकता है। यह विकास दर हमारी अंतर्निहित क्षमता के अनुरूप है। हमें इसे प्राप्त करना है। हालांकि यह सफर मुश्किल है, इसे एक साल में हासिल नहीं किया जा सकता, लेकिन वित्त मंत्री ने निवेश के माहौल के प्रति, हमारी विकास क्षमता के प्रति और हमारी अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के प्रति निराशाजनक दृष्टिकोण को बदलने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं।
प्रश्न- अगले 6 महीनों में आप किस तरह के सुधार ला रहे हैं?
प्रधानमंत्री- ऐसा है, वित्त मंत्री ने इसकी रूपरेखा बनाई है। प्रत्येक मंत्रालय के लिए पर्याप्त मसाला है, जिसका वह उपयोग कर सकता है और प्रत्येक मंत्रालय को खुद से यह सवाल पूछना है- यदि भारत को 8 प्रतिशत विकास दर हासिल करनी है और यह विकास समावेशी और सतत भी होना चाहिए, तब प्रत्येक मंत्रालय को क्या करना चाहिए? मेरा खयाल है, वित्त मंत्री ने इन चुनौतियों का जिक्र किया है। अब यह मेरे मंत्रि परिषद के सामूहिक विवेक पर निर्भर करता है कि विकास की गति को तेज करने के लिए और इसे अधिक समावेशी तथा सतत बनाने के लिए वह इन चुनौतियों को अवसरों में बदले।
प्रश्न- क्या आपकी सरकार को संसद में पर्याप्त समर्थन मिलेगा? विपक्ष के दृष्टिकोण में स्पष्ट बदलाव नजर आ रहा है, लेकिन क्या अफसरशाही इसके लिए तैयार है? क्या परियोजनाओं को मंजूरी दी जा रही है?
प्रधानमंत्री- परियोजनाओं को मंजूरी के सिलसिले में समस्यायें हैं। ये समस्यायें पर्यावरण संबंधी मंजूरी, वन विभाग की मंजूरी, भूमि अधिग्रहण आदि से जुड़ी हैं, जिनमें से अधिकतर राज्य सरकार की जिम्मेदारी हैं। केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत जितना संभव है, उसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं कि अपनी व्यवस्था में मौजूद इन परेशानियों से निपटने के लिए हम निवेश संबंधी मंत्रिमंडल समिति की प्रणाली का इस्तेमाल करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि रास्ते की रूकावटें, चाहे वे पर्यावरण संबंधी हैं या वन-क्षेत्र संबंधी हैं अथवा अन्य रूकावटें हैं उन पर ध्यान दिया जाये और उन्हें दूर किया जाये।
प्रश्न- क्या आपको विश्वास है कि परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए सकारात्मक माहौल मौजूद है?
प्रधानमंत्री- वित्त मंत्री पूरे मंत्रिमंडल की ओर से कह रहे हैं और मेरा भी यह निश्चित मत है कि देश की भावना भी इसके अनुरूप है कि देश को अपना समय नहीं गंवाना चाहिए। हमें आर्थिक विकास, सतत विकास, न्याय संगत विकास की गति को तेज करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और मेरा विश्वास है कि अगर देश की आम सोच सही है, तो इसका अफसरशाही पर भी असर पड़ेगा, विपक्ष पर भी असर पड़ेगा और इस में न किसी की जीत है न किसी की हार। अगर भारत 8 प्रतिशत या इससे अधिक की विकास दर हासिल करने के रास्ते पर चलता है, तो मेरे विचार में जीत भारत के लोगों की होगी, विजेता हमारे युवक और युवतियां होंगी, जिन्हें रोजगार के नये उपयोगी अवसरों की सख्त जरूरत है।
प्रश्न- हमारी अर्थव्यवस्था में ढांचा संबंधी जो कमियां आ गई हैं, उनके बारे में आपकी चिंताएं कितनी हैं?
प्रधानमंत्री- तीन प्रकार की रूकावटें हैं, जो हमारी विकास क्षमता को हासिल करने पर असर डाल सकती हैं। एक है- वित्तीय घाटा। वित्त मंत्री ने वित्तीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए रूपरेखा तैयार की है और अगर हम उस दिशा में कामयाब होते हैं तो मेरा ख्याल है हम निवेश के लिए बेहतर माहौल पैदा कर लेंगे। हम मुद्रास्फीति को और अधिक सामान्य स्तर पर लाने के लिए भी बेहतर माहौल पैदा कर सकेंगे, जो पिछले दो वर्षों में नहीं हो पाया।
दूसरी समस्या, मुद्रास्फीति की है, जो नियंत्रण से बाहर हो गई है। इसलिए अगर वित्तीय घाटा नियंत्रण में आता है, तो इससे मुद्रास्फीति की रफ्तार को भी धीमा करने में मदद मिलेगी।
तीसरी समस्या है, चालू खाता घाटा। हम एकबारगी चालू खाता घाटा कम नहीं कर सकते। जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा है हमारा चालू खाता घाटा लगभग 75 अरब डॉलर का है। कुछ समय तक हमें इसके लिए वित्त पूर्ति करनी होगी। अगले कुछ समय में इसे कम किया जाना चाहिए। हमें तेल, कोयला, सोना और पैट्रोलियम पदार्थों के आयात पर निर्भरता कम करनी होगी। यह मध्य अवधि लक्ष्य है और इसे प्राप्त किया जा सकता है, कुछ तो गैर-जरूरी आयात को कम करके और कुछ देश के निर्यात को बढ़ाकर।
इसलिए, इन तीनों समस्याओं- वित्तीय घाटा, मुद्रास्फीति और चालू खाता घाटा से निपटने के लिए और विश्वसनीय समाधान के लिए एक बहु-सूत्री नीति अपनानी होगी।
प्रश्न- हमारे लिए सुरक्षित चालू खाता घाटा क्या है?
प्रधानमंत्री- मेरे विचार में सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 से 3 प्रतिशत जितना घाटा एक सुरक्षित चालू खाता घाटा होगा।
प्रश्न- अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में आप कितनी वृद्धि की उम्मीद रखते हैं?
प्रधानमंत्री- वित्त मंत्री ने बताया है और आर्थिक समस्या से भी संकेत मिलता है कि लगभग 6.2 से 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करना यथार्थपरक होगा और इसे तीन वर्षों में प्राप्त करना होगा। अगर हम कड़ी मेहनत करते हैं और अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सुधार आता है तो हम 2 से 3 वर्ष के समय में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकते हैं।