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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सकारात्मक कार्रवाई पर समन्वय समिति ने प्रगति की समीक्षा की। प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित इस बैठक में तीन राष्ट्रीय उद्योग मंडलों फिक्की, सीआईआई और एसोचैम के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महत्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे औद्योगिकी नीति तथा संवर्धन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता तथा जनजातियों मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सकारात्मक कार्रवाई में प्रगति की समीक्षा की गई। इसका उल्लेख किया गया कि स्वैच्छिक आचार संहिता अपनाने और कमजोर वर्गों को रोजगार के योग्य बनाने के उद्देश्य से कौशल विकास तथा व्यवसायपरक शिक्षा कार्यक्रमों को चलाने में प्रगति हुई है।
फिक्की ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले को विकास के लिए अपनाया है जिसमें अनुसूचित जाति/ जनजाति की आबादी 47 प्रतिशत से अधिक है। फिक्की ने हाल ही में दो पहल शुरू किये है पहला आईएल और एफएस के साथ साझेदारी में दो कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र खोले गये है तथा एक रोजगार केन्द्र भी जल्द खोला जायेगा। यह बताया गया कि फिक्की के तहत 39 कंपनियों ने अब तक स्वैच्छिक आचार संहिता अपनाया है। एसोचैम ने बताया कि सकारात्मक कार्रवाई के लिए उनका एक राष्ट्रीय परिषद है तथा ऐसी कार्रवाई के लिए उनके औद्योगिक सदस्यों को संवेदनशील बनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किये गये।
सीआईआई के प्रतिनिधि ने कहा कि उनका संगठन शिक्षा, रोजगार के लिए तैयार करने, रोजगार सृजन करने और उद्यमशीलता पर जोर दे रहा है। उसने कहा कि किसी भी सकारात्मक कार्रवाई का लक्ष्य आर्थिक होना चाहिए।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने अनुसूचित जाति/ जनजाति तथा अन्य वंचित समूहों के रोजगार संवर्धन में उद्योग सघों के कार्यों की सराहना की तथा समन्वय समिति के सदस्य के सुझावों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। निम्नलिखित मुद्दों पर सहमति बनी।
1. ऐसे प्रयासों को और बढाने की संभावना तथा इसका प्रभाव दृष्टिगोचर होने की संभावना बताई गई। कहा गया कि ढेर सारे प्रयास किये गये पर ये छिटपुट और बिखरे हुए हैं। यह सुझाव दिया गया कि प्रत्येक उद्योग मंडल को 5 वर्ष के स्वेच्छिक दृष्टि कार्यक्रम तैयार करना चाहिए जिससे उन्हें लक्ष्य तैयार करने में मदद मिलेगी। यह भी महसूस किया गया कि सकारात्मक कार्रवाई के क्षेत्र में बहुत से काम किये गये लेकिन इन्हें भली-भांति नहीं संग्रहित नहीं किया गया। इसके लिए एक डाटा बेस बनाने और इसे सरकार के साथ साझा करने की आवश्यकता बताई गई। इसके लिए फैसला किया गया कि सचिव डीआईपीपी एक व्यवस्था गठित करेगे जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए की गई सकारात्मक कार्रवाई के तिमाही आंकडें तीनों उद्योग संघों से जुटाए जायेगे। उद्योग संघों से विशेष भौगोलिक क्षेत्रो पर ध्यान केन्द्रित करने और सरकार के ऐसे ही अन्य कार्यक्रमों का लाभ पहुंचाने का अनुरोध किया गया। 2011 की जनगणना के अनुसार ऐसे 27 जिलों को चिह्नित किया गया है जहां अनुसूचित जाति/जनजाति की आबादी 47 प्रतिशत से अधिक है। उन्हें उद्योगों से अपनाने का अनुरोध किया गया। यह कहा गया कि राष्ट्रीय प्राथमिकता के तौर पर कौशल विकास को अपनाते हुए कमजोर वर्गों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए ताकि उन्हें सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठाने के योग्य बनाया जा सके। प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में कोचिंग की बेहद मांग को देखते हुए इसे अनुसूचित जाति/जनजाति और कमजोर वर्गों के लिए मुहैया कराने के लिए अच्छे उपाय के तौर पर माना गया।