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16 वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तेहरान रवाना होने से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के वक्तव्य का अनूदित पाठ इस प्रकार है-
"16 वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के निमंत्रण पर मैं आज तेहरान रवाना हो रहा हूं।
भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संस्थापक सदस्य है। शीतकाल की संपूर्ण अवधि और दोनों पक्षों के बीच इसके सैद्धांतिक और सामरिक मतभेदों के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने वैचारिक और संतुलित अभिव्यक्ति को दिशा दी। विध्वंस और व्यर्थ के मतभेदों को दरकिनार करते हुए हम सब का मेल आर्थिक और सामाजिक विकास की ओर रुख करना था इसके साथ ही आपसी समझ और तनाव को दूर देने पर भी हमारा बल रहा। मैं सम्मेलन में हमारे आंदोलन के मूल स्रोतों को प्रासंगिक बनाए रखने पर बल दूंगा खासतौर पर एक ऐसे परिप्रेक्ष्य में जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है और जहां भू-राजनैतिक परिस्थितियां अनिश्चित और अस्थिर माहौल में तबदील हो रही है।”
इस बात से सभी सहमत हैं कि वैश्विक व्यवस्था की पुरानी पड़ चुकी संरचना मौजूदा राजनैतिक और आर्थिक चुनौतियों के साथ तालमेल बैठा पाने में नाकाफी हैं। ऐसी बहुत सी चुनौतियां जैसे सीरिया में खराब होते हालात, वैश्विक आर्थिक मंदी और अन्य नवीन और उभरते हुए खतरों से निपटने के लिए विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय गतिविधि की आवश्यकता है। इसलिए 16वें गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का विषय – “संयुक्त वैश्विक व्यवस्था के ज़रिए चिरस्थायी शांति” बेहद अनुकूल है। मैं इस बात पर बल दूंगा कि हमारा आंदोलन वैश्विक व्यवस्था संरचना के सुधार और लोकतांत्रीकरण के लिए जारी प्रयास के लिए एक मज़बूत राजनैतिक दिशा प्रदान करे।
साझा विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए गुटनिरपेक्ष सदस्यों की विविधता और इसका आकार हमारे बीच गठबंधन और सहयोग के लिए काफी क्षमता प्रदान करता है। यह महत्वपूर्ण है कि साझा लाभ के लिए हमारा आंदोलन ऐसे अवसरों का प्रयोग करे। दक्षिण-दक्षिण सहयोग के ऐसे प्रयत्नों में भारत अपना योगदान देता रहेगा।
अपनी तेहरान यात्रा के दौरान मैं ईरानी नेतृत्व और शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे गुटनिरपेक्ष देशों के विभिन्न नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करूंगा। मैं इसे इन देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के रुप में देखता हूं। इसके साथ ही मैं इन नेताओं के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श की भी आकांक्षा करता हूं।"