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प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने सरकारी स्वामित्व वाली भूमि के लिए सरकारी भूमि हस्तांतरण नीति में छूट की मंजूरी दे दी है, ताकि ढांचागत परियोजनाओं को प्रक्रियागत देरी का सामना न करना पड़े।
पिछले वर्ष के प्रारंभ में सिर्फ उन मामलों को छोड़कर सरकारी स्वामित्व वाली भूमि के सभी तरह के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जहां भूमि एक सरकारी विभाग से दूसरे सरकारी विभाग को दी जानी थी। इस बीच, आर्थिक मामलों के विभाग ने सरकारी स्वामित्व वाली भूमि के लिए व्यापक भूमि हस्तांतरण नीति तैयार की। यदि किसी विभाग को कोई परियोजना लागू करनी हो जिसके लिए भूमि को लीज़, लाइसेंस या किराय पर लेना है तो ऐसे मामले में उसे मंत्रिमंडल की विशेष मंजूरी लेनी होती थी।
इसके कारण ढांचागत परियोजनाओं खासतौर से सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिए अनुमति देने में देरी हो रही थी। सड़क , रेल, बंदरगाह, नागरिक उड्यन और मेट्रो जैसी सभी सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली ढांचागत परियोजनाओं को भूमि के हस्तांतरण की जरूरत होती है, क्योंकि ऐसी सभी परियोजनाएं प्राय: सरकारी भूमि पर बनाई जाती हैं। लीज़ पर लेने या देने के बाद भी भूमि पर सरकार का स्वामित्व जारी रहता है। प्रत्येक सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली परियोजना के लिए मंत्रिमंडल की अनुमति लेने की प्रक्रिया में कुछ महीनों का समय लग जाता है।
इसलिए प्रधानमंत्री ने भूमि हस्तांतरण की मंजूरी देने के लिए कुछ विशिष्ट श्रेणी की परियोजनाओं के लिए प्रतिबंध में छूट देने का फैसला किया है। यह योजनाएं इस प्रकार हैं- 1. मंत्रालयों से वैधानिक प्राधिकरणों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भूमि के हस्तांतरण के सभी मामलों को अनुमति दी जाएगी, बशर्ते भारत सरकार के सामान्य नियमों की अपेक्षाएं पूरी होती हों।
2. लीज़ या किराए या लाइसेंस पर छूट लेने वाले को भूमि हस्तांतरण के सभी मामले जो सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति के जरिए आकलित किए गए हों तथा वित्त मंत्रालय या संबंधित मंत्रालयों या मंत्रिमंडल (जैसा भी मामला हो) के जरिए परियोजना के मूल्य के आधार पर स्वीकार की गर्इ हों।
3. रेलवे संशोधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों और उसके बाद इसके तहत बनाए गए नियमों तथा रेल मंत्रालय और भारत सरकार की प्रचलित नीतियों तथा दिशा निर्देशों के अनुरूप रेल भूमि विकास प्राधिकरण द्वारा रेल भूमि का विकास तथा इस्तेमाल।
इस फैसले से इस महीने से सार्वजनिक निजी भागीदारी की परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा।