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प्रधानमंत्री ने विकास केंद्रों के कराधान और आयकर क्षेत्र की समीक्षा करने के लिए एक समिति गठित की है। यह समिति हितधारकों और संबद्ध सरकारी विभागों की सलाह से सुरक्षित बंदरगाह के प्रावधानों को क्षेत्रवार अंतिम रूप देगी। इस बारे में सन् 2010 के बजट में घोषणा की गई थी। यह समिति विकास केंद्रों के कराधान के प्रति अपनाया जाने वाला दृष्टिकोण भी सुझाएगी।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले कर चोरी की रोकथाम के सामान्य नियमों (गार) को तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। डा. पार्थो शोम की अध्यक्षता में गठित यह समिति व्यापक सलाह मशविरे के बाद गार मार्ग निर्देशों को अंतिम रूप देगी। इस बारे में प्रतिक्रिया अत्यधिक सार्थक रही है।
यह समिति गार प्रावधानों पर जताई गई चिंताओं पर विचार करेगी और जहां एक ओर निवेशकों को कर व्यवस्था के औचित्य के बारे में सुनिश्चित करेगी, वहीं दूसरी ओर यह भी महसूस किया गया कि आयकर क्षेत्र के कराधान से संबंधित कुछ अन्य मामलों पर विचार करने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में विकास केंद्रों के कराधान के प्रति दृष्टिकोण, स्वदेशी साफ्टवेयर फर्मों की ‘ऑनसाइट सर्विस’ पर कर, और 2010 के बजट में घोषित सुरक्षित बंदरगाह संबंधी प्रावधानों को अंतिम रूप देने का मामला शामिल है।
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपनी गतिविधियां जैसे उत्पाद विकास, विश्लेषणात्मक कार्य, सॉफ्टवेयर विकास आदि जारी रखे हुए हैं। वे आईटी सॉफ्टवेयर, आईटी हार्डवेयर, औषधीय अनुसंधान और विकास, ऑटोमोबाइल अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। ये क्षेत्र आमतौर पर विकास केंद्र कहलाते हैं। भारत में 750 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 1100 से अधिक स्थानों पर ऐसे केंद्र हैं। भारत में इतनी बड़ी संख्या में विकास केंद्रों के होने का कारण उसका लागत की दृष्टि से प्रतिस्पर्धी होने और जानकारी की गुणवत्ता के रूप में दुनिया में लोकप्रियता है। इस तरह के विकास केंद्र हमारे वैज्ञानिकों को उच्च गुणवत्ता कार्य उपलब्ध कराते हैं और इस प्रकार के ज्ञान केंद्रों के लिए भारत को वैश्विक केंद्र बनाते हैं। तथापि, भारत का इन विकास केंद्रों पर एकाधिकार नहीं है। यह एक उच्च प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है जिसमें अन्य देश भी अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन पर कर लगाने के मामले को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
जहां तक सुरक्षित बंदरगाह के प्रावधानों का संबंध है, इनके बारे में वित्त विधेयक 2010 में घोषणा की गई थी। लेकिन इन्हें अभी तक कार्यरूप नहीं दिया गया। सुरक्षित बंदरगाह प्रावधान खतरे को कम करने का एक अच्छा उपाय होने के कारण करदाता को निश्चितता प्रदान करता है।
उपरोक्त कर संबंधी मामले के प्रस्ताव पर व्यापक दृष्टिकोण बनाने की आवश्यकता है जिसमें सरकार के अन्य विभागों से सलाह ली जाती है और उद्योग के सदस्यों को बोर्ड में शामिल किया जाता है। कुल मिलाकर इसका उद्देश्य सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय परंपरा के अनुरूप उचित कर प्रणाली अपनाना है। इससे भारत के साफ्टवेयर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और पूंजी निवेश के गंतव्य स्थल के रूप में तथा विकास केंद्रों की स्थापना के लिए भारत का स्तर बढ़ेगा।
इसलिए प्रधानमंत्री ने एक समिति गठित की है जिसमें आयकर विभाग के सेवानिवृत्त और कार्यरत विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह समिति मामलों की विस्तार से जांच करेगी और अल्पावधि में रिपोर्ट देगी। इस प्रकार की कार्यवाही से मामलों के तत्काल समाधान के अलावा कई संदेह भी दूर हो जाएंगे।
इस कार्य के लिए विकास केंद्रों और आईटी क्षेत्र के कराधान से संबंधित एक समिति गठित की गई। इस समिति में सीबीडीटी और आईआरडीए के पूर्व अध्यक्ष श्री एन रंगाचारी अध्यक्ष होंगे और सुश्री अनीता कपूर, महानिदेशक (आयकर), सुश्री रश्मि साहनी सक्सेना, डीआईटी (टीपी) सदस्य होंगी। अध्यक्ष द्वारा आयकर विभाग के किसी एक अन्य अधिकारी को सहयोगी सदस्य भी बनाया जाएगा।
यह समिति 31 अगस्त 2012 तक विकास केंद्रों के कराधान के प्रति दृष्टिकोण को अंतिम रूप देगी और आवश्यक स्पष्टीकरण सुझाएगी।
सुरक्षित बंदरगाह के नियमों को क्रमबद्ध रूप से अंतिम रूप दिया जाएगा। समिति 30 सितंबर 2012 को तीन क्षेत्रों के लिए सुझावों का पहला प्रारूप प्रस्तुत करेगी और 31 दिसंबर 2012 तक सभी प्रावधानों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।