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प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इंडियन नेशनल आर्मी के अंतिम जीवित सदस्यों में से एक श्रीमती लक्ष्मी सहगल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने लक्ष्मी सहगल को भारतीय महिलाओं के साहस और त्याग का प्रतीक बताते हुए कहा कि श्रीमती सहगल अंतरात्मा की एक ऐसी आवाज थीं जिसने धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी मूल्यों को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान किया।
प्रधानमंत्री के संदेश का मूलपाठ इस प्रकार है: -
''लक्ष्मी सहगल के निधन की खबर सुनकर मुझे काफी दुख हुआ। वह इंडियन नेशनल आर्मी के अंतिम जीवित सदस्यों में से एक थीं, जिनके द्वारा वीरता पूर्वक किए गए कार्य भारत के इतिहास में एक कांतिमान अध्याय बन गए हैं। वह झांसी की रानी रेजीमेंट के साथ अपने संबंध के कारण लोकप्रिय थीं और उन्होंने भारतीय महिलाओं के साहस, त्याग और आजादी के आंदोलन में उनके द्वारा निभाई गयी महत्वपूर्ण भूमिका को जीवंत कर दिया।
भारत के आजाद होने के बाद भी उन्होंने अपनी मेडिकल प्रेक्टिस के माध्यम से स्वार्थ रहित सेवा प्रदान करना और देशभक्ति से जुडे कर्तव्यों का पालन करना जारी रखा। उन्होंने विभाजन के बाद और उसके पश्चात 1971 में शरणार्थियों को सहयोग प्रदान किया। बाद के वर्षो में वह राजनीति से जुड़ीं और अंतरात्मा की एक ऐसी आवाज बन गयीं जिसने धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी मूल्यों को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान किया ; लक्ष्मी सहगल जी का जीवन उन उच्चतम मूल्यों और आदर्शों का एक गतिमान और प्रेरणा दायक उदाहरण है, जिनपर हमारा देश स्थापित किया गया है। अपने पूरे जीवन में उन्होंने राष्ट्र सेवा के प्रति निस्वार्थ भाव से काम किया और सभी नागरिकों के सामने अनुसरण करने के लिए एक उदहारण स्थापित किया।
मैं उनके परिवार, मित्रों और शुभचिंतकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना और शोक व्यक्त करता हूं।