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परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन में सबसे बड़ी बाधा एजेंसियों की तरफ से सुरक्षा संबंधी अनुमति समय पर न मिलना है। यह अड़चन परियोजनाओं को चलाने वाली एजेंसियों और निजी फर्मों को उठानी पड़ती है। उदाहरण के लिए एनईएलपी के अंतर्गत 70 तेल ब्लाकों में होने वाले कार्य में विलम्ब होना है, जिसका कारण अनुमति मिलने में देरी है।
एनईपीएल के अंतर्गत तेल और गैस ब्लाकों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में यह तय किया गया कि एफआईपीबी की तरह ही केबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक प्रोजेक्ट क्लियरेंस बोर्ड का गठन किया जाए ताकि सुरक्षा अनुमति सहित सभी प्रकार के मुददों की समीक्षा की जा सके। बोर्ड में गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग तथा ऊर्जा सम्बन्धी मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
समिति की बैठक नियमित रूप से हर महीने होगी और ऊर्जा तथा बुनियादी ढांचा सम्बन्घी परियोजनाओं की अनुमति की स्थिति की समीक्षा करेगी। समिति सुरक्षा एवं अन्य मामलों पर भी विचार करेगी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में डीजीएच में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया जा रहा है, जो सचिवालय के तौर पर काम करेगा।