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प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने वर्ष 2012-12 के लिए अवसंरचना के लक्ष्यों को अंतिम रूप देने के लिए कल एक बैठक बुलाई। बैठक में अवसंरचना के मुख्य मंत्रालयों यथा बिजली, रेल, सड़कें, नौवहन, नागर विमानन और कोयला के मंत्रियों और सचिवों ने भाग लिया।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने एक प्रस्तुतिकरण किया जिसमें उन्होंने वह विस्तृत प्रक्रिया बताई जिसके जरिए इन लक्ष्यों को अंतिम रूप दिया गया और जिस उच्च स्तर की महत्वाकांक्षा का वे प्रतिनिधित्व करते हैं। श्री अहलुवालिया ने बाद में प्रत्येक क्षेत्र के मुख्य लक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला।
यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने सभी के लिए लक्ष्यों की सामुहिक जिम्मेदारी की भावना पैदा की। यह खासकर चुनौतिपूर्ण आर्थिक समय में अवसंरचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करने के लिए सामुहिक मंशा और गंभीरता का परिचायक है। यह अवसंरचना के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लक्ष्यों को प्राप्त करने को दिए जा रहे महत्व के बारे में बाहरी जगत को एक स्पष्ट संकेत है, ताकि इससे कुल मिलाकर आर्थिक विकास दर के बारे में विश्वास पैदा हो।
प्रधानमंत्री ने आगामी वर्ष (2012-13) के लिए लक्ष्यों की समीक्षा की और उनका अनुमोदन किया। अपने संबोधन में डा. मनमोहन सिंह ने अपने सहयोगी मंत्रियों और उनके अधिकारियों द्वारा इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को दिए जा रहे महत्व के प्रति प्रतिबद्धता के स्तर पर प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने अवसंरचना क्षेत्रों को दिए जा रहे महत्व की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भारत समृद्धि प्राप्त करने और गरीबी समाप्त करने के गंभीर दौर से गुजर रहा है। पिछले 8 वर्षों में उल्लेखनीय विकास दर प्राप्त करने और विश्व में सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली दूसरी अर्थव्यवस्था के रूप में उबरने के बाद हम इस समय अधिक गड़बड़ी के दौर से गुजर रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी कठिन दौर से गुजर रही है। इसका हम पर प्रभाव पडा है। इसलिए ऐसे उपाय करना जरूरी हो गया है जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके। कारोबारी और निवेशक भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक और निजी दोनों निवेशों को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है। निवेश के अनुकूल वातावरण तैयार करने और विकास के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने की भी जरूरत है। सरकार को न केवल चुनौतियों की जानकारी है बल्कि यह ऐसे आवश्यक उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है जिनसे स्थिति में सुधार हो और भारत की विकास गाथा फिर पटरी पर लौट आए। यह भारत की कायापलट कर देंगे और वह फिर 9 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करेगा।
इस संदर्भ में अवसंरचना निवेश की प्रमुख भूमिका है। संक्षेप में यह निवेश दरों को बढ़ावा देगा। व्यापक रूप में यह उद्योग और व्यापार को प्रभावित करने वाली आपूर्ति बाधाओं को दूर करेगा। इस क्षेत्र की आवश्यकता व्यापक हैं। अवसंरचना क्षेत्र को अगले पाँच वर्षों में एक ट्रिलियन डालर से अधिक की आवश्यकता है। सरकार अकेले इतनी बड़ी राशि नहीं जुटा सकती। इसलिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को महत्व दिया जा रहा है। अवसंरचना के मुख्य क्षेत्रों में लक्ष्य प्राप्त करना सफलता की कुंजी है और इससे आर्थिक विकास की समग्र दर के बारे में विश्वास बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि यह लक्ष्य निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण है। वे पहले के निष्पादन से उल्लेखनीय रूप में ऊंचे हैं। वे मंत्रियों द्वारा इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति व्यक्त प्रतिबद्धता से प्रोत्साहित है।
लक्ष्यों के मुख्य अंश
क. बंदरगाह
1. वर्ष 2012-13 के लक्ष्य में कुल 42 परियोजनाएं हैं। ये 14,500 करोड़ रूपये के मूल्य की होंगी और इनकी क्षमता 244 मिट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) होगी। यह पिछले वर्ष प्राप्त लक्ष्य से तीन गुणा है।
2. आलोच्य वर्ष के दौरान नई बंदरगाहों की दो परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
(i) यह परियोजनाएं ईस्ट कोस्ट (आंध्र प्रदेश) और पश्चिम बंगाल में होगा।
(ii) कुल निवेश 20,500 करोड़ रूपये का होगा और उनकी क्षमता 116 मिट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) होगा।
3. इस वर्ष के दौरान 35,000 करोड़ रूपये के कुल 360 एमटीपीए क्षमता के अनुबंध दिये जाएंगे।
ख. सड़कें
1. वित्त वर्ष 2012-13 में कुल 9,500 किलोमीटर लंबी सड़कों का अनुबंध किया जाएगा जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 18.7 प्रतिशत अधिक है। निवेश 73.6 प्रतिशत बढ़ जाएगा।
2. पहली बार ओएमटी (बनाओ, रखरखाव करो और हस्तांतरित करो) प्रणाली के अधीन 4,360 किलोमीटर सड़कें रखरखाव के लिए अनुबंध पर दी जाएंगी।
ग. नागर विमानन
1. एएआई द्वारा ईटानगर हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। एएआई की परियोजनाओं पर 2100 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे।
2. इस वित्त वर्ष के दौरान नवी मुंबई, गोवा और कन्नूर में तीन नई ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के अनुबंध दिये जाएंगे।
3. लखनऊ, वाराणसी, कोयम्बटूर, त्रिचि और गया में से तीन या चार स्थानों पर नये अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे घोषित किए जाएंगे।
4. एयरलाइन हब नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और इस वर्ष दिल्ली और चेन्नई में हबों को चालू किया जाएगा।
5. जुलाई, 2012 के अंत तक और मौजूदा 10-12 हवाई अड्डों और 10-12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के लिए अतिरिक्त पीपीपी परियोजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा। इनके अनुबंध इस वर्ष के दौरान दिए जाएंगे।
6. हवाई अड्डा संचालन में पीपीपी परियोजनाओं को लागू करने का पता लगाया जाएगा।
घ. रेलें : ये लक्ष्य केवल पीपीपी परियोजनाओं के लिए हैं। संचालन और निवेश के नियमित लक्ष्य सुपरिचित हैं।
1. समर्पित माल गलियारा – सोननगर-धनकुनी क्षेत्र का पीपीपी इस वर्ष दिया जाएगा।
2. कुल 20,000 करोड़ रूपये की लागत पर एलिवेटेड रेल गलियारा, मुंबई का अनुबंध इस वर्ष दिया जाएगा।
3. मधेपुरा और मरोवरा में रेल ईंजन बनाने के दो कारखानों के ठेके दिए जाएंगे।
4. 4/5 स्टेशनों का पीपीपी अनुबंध आधार पर पुनर्विकास किया जाएगा।
5. मुंबई से अहमदाबाद तक हाई स्पीड कोरिडोर (बुलेट ट्रेन) के प्रस्ताव और दृष्टिकोण पत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा।
ड. बिजली
1. इस वर्ष का क्षमता निर्माण लक्ष्य 18,000 मेगावाट होगा। इसमें कुडमकुलम आणविक ऊर्जा परियोजना के 2000 मेगावाट भी शामिल हैं।
2. बिजली उत्पादन का लक्ष्य 930 बिलियन यूनिट है, जो कि 6.2 प्रतिशत अधिक है।
3. विद्युत मंत्रालय ने उच्च वोल्टेज वाली प्रेषण लाइनें बिछाने का लक्ष्य बढ़ा दिया है और यह 400 किलोवाट के स्थान पर 765 किलोवाट की होंगी और परिणाम स्वरूप प्रति किलोमीटर प्रेषण क्षमता भी बढ़ जाएगी।
च. कोयला
1. कोल इंडिया लिमिटेड सभी क्षेत्रों को 470 मिलियन टन (एमटी) कोयला भेजेगी, जो कि 8.8 प्रतिशत अधिक है। इसमें से 347 एमटी कोयला इस वित्त वर्ष के दौरान बिजली क्षेत्र को भेजा जाएगा जबकि पिछले साल 312 एमटी कोयला भेजा गया था। इस प्रकार यह 11.2 प्रतिशत की वृद्धि है।