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नवीन उत्खनन लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) के तहत पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से तेल और गैस उत्खनन तथा उत्पादन के लिए स्वीकृति प्रदान किए जाने के मद्देनज़र, इस बात पर गौर करने की आवश्यकता है कि इस नीति की रुपरेखा ने किस प्रकार तेल और गैस उत्खनन तथा उत्पादन पर प्रभाव डाला है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ने हाइड्रोकार्बन उत्खनन के क्षेत्र में भविष्य के लिए उत्पादन साझा अनुबंधों (पीएससी) की रुपरेखा तय करने के लिए समिति के गठन को मंजूरी दे दी है।
समिति के सदस्य इस प्रकार हैं-
i. प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. सी. रंगराजन- अध्यक्ष,
ii. योजना आयोग के सदस्य श्री बी. के. चतुर्वेदी
iii. उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री जगन्नाथ राव
iv. प्रो. रामप्रसाद सेनगुप्ता
v. भूतपूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी श्री जे. एम. मौसकर
vi. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री जोमन थॉमस
यह समिति भविष्य में उत्पादन साझा अनुबंधों के लिए आवश्यक सभी ज़रुरी सुधारों पर विचार करेगी ताकि तेल और गैस के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही सरकारी हिस्सेदारी में भी वृद्धि हो सके और साथ ही उत्पादकों के निगरानी खर्चे की प्रक्रिया को कम किया जा सके।
समिति द्वारा निम्नलिखित मुद्दों पर विचार किया जाएगा
(i) वर्तमान लाभ- साझा प्रणाली के संदर्भ में आधारभूत मानदंड के रुप में कर-पूर्व निवेश गुणज (पीटीआईएम) सहित मौजूदा पीएससी की समीक्षा
(ii) समय पर हाइड्रोकार्बन उत्पादन और सरकारी हिस्से के साथ समझौता किए बगैर संविदाकार के निगरानी व्यय को कम करने के दृष्टिकोण के साथ अनुबंध के विभिन्न मॉडलों पर विचार करना
(iii) पीएससी के अनुबंध क्रियान्वयन का प्रबंधन करने के लिए एक उपयुक्त प्रणाली
(iv) भारत सरकार के पेट्रोलियम लाभ की निगरानी और अंकेक्षण के लिए उपयुक्त सरकारी प्रणाली
(v) घरेलू रुप से उत्पादित गैस की कीमतों का आधार अथवा सूत्र तय करने के लिए तथा वास्तविक मूल्य निर्धारण की निगरानी के लिए संरचना और दिशानिर्देश के तत्व
(vi) पीएससी से संबंधित अन्य मामले।