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केन्द्र सरकार स्वच्छ और अविरल गंगा प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्ध है।
इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं। एक अभूतपूर्व कार्रवाई करते हुए केन्द्र सरकार ने इससे पहले पाला मनेरी, भैरोंघाटी और लोहारी नागपाला पन बिजली परियोजनाओं का काम रुकवा दिया था। यह परियोजनाएं भागीरथी नदी पर स्थित हैं। गोमुख से उत्तर काशी तक भागीरथी नदी को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील घोषित करने के भी उपाय किए गए हैं। गंगा कार्य योजना के अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू शहरी पुनर्निर्माण मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय गंगा नदी थाला प्राधिकरण ने गंगा नदी पर प्रदूषण रोकने की कई योजनाएं मंजूर की हैं। देश के सात आईआईटी के कंसोर्टियम को गंगा नदी थाला प्रबंधन योजना बनाने का काम सौंपा गया हैं।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय गंगा नदी थाला प्राधिकरण की 17 अप्रैल 2012 को एक बैठक बुलाई जिसमें गंगा सेवा अभियानम के प्रतिनिधियों को खासतौर से आमंत्रित किया गया । लेकिन इन प्रतिनिधियों ने विचार के लिए कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किए।
इस बैठक के बाद गतिविधियों की रफ्तार बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने योजना आयोग के नेतृत्व में अंतर मंत्रालयी ग्रुप के गठन के निर्देश दिए ताकि आईआईटी को सौंपी गई जिम्मेदारी जल्दी पूरी कराते हुए गंगा नदी थाला प्रबंधन योजना तैयार की जा सके। यह ग्रुप नदी के ऊपरी हिस्से में प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए अल्प अवधि के उपाय भी कर रहा है। इसके लिए तीन महीने के अंदर सिफारिशें की जाएंगी।
प्रधानमंत्री ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को खासतौर से निर्देश दिये हैं कि वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश जारी करके तुरन्त कार्रवाई करने और स्थिति रिपोर्ट मांगने को कहे। उन्होंने मंत्रालय से अनुरोध किया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सतर्कता शाखा के टोही स्कंद को तुरंत मजबूत बनाया जाए और निर्देशों का पालन करने को कहा जाए।
प्रधानमंत्री ने अपने कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद से भेंट करने के लिए भेजा है जो उनके साथ गंगा सेवा अभियानम द्वारा उठाये गए मुद्दे सुलझाने के लिए बात करेंगे।
केन्द्र सरकार गंगा नदी के पर्यावरण स्वास्थ्य में सुधार करने और इस नदी के अविरल प्रवाह को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए वचनबद्ध है। केन्द्र यह सुनिश्चित करने के लिए भी वचनबद्ध है कि इलाहाबाद में जनवरी 2013 में महाकुम्भ के समय गंगा नदी में पर्याप्त प्रवाह बना रहे।