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केन्द्रीय बजट 2012-13 के बाद दिया गया प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की भेंटवार्ता का आलेख नीचे दिया जा रहा है –
प्रश्न : हमारे सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में गिरावट आ रही थी। अब यह 6.9 प्रतिशत है। यह एक प्रकार का चौकस करने वाला आह्वान है। मुझे उम्मीद है कि अब हम चौकस हैं। इस बजट में ऐसे चौकस रहने के सवाल के जवाब में आप क्या मददगार प्रस्ताव देखते हैं ?
प्रधानमंत्री : फिलहाल देश के सामने आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने की चुनौती मौजूद है। लेकिन साथ ही, हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि हम मूल्यवृद्धि को घटाने की कोशिश में अपनी जिम्मेदारियों को न भुला बैंठे। मेरा विश्वास है कि वित्त मंत्री ने बजट में इन दोनों बातों का ध्यान रखा और अच्छी तरह ध्यान रखा है।
प्रश्न : इस बजट में आपकी राय में वह कौन सा वायदा है जो मुद्रास्फीति से निपटने में सहायक होगा ?
प्रधानमंत्री : मुद्रास्फीति को काबू करने में जो सबसे बड़ी चीज मददगार हो सकती है वह है राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण। चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे की दर काफी ऊँची पाँच दशमलव नौ प्रतिशत रही है। वित्त मंत्री ने इसे घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 प्रतिशत तक लाने का वादा किया है। अगर ऐसा करने में हम कामयाब हो जाते हैं तो यह कीमतों को स्थिर करने में बहुत बड़ा योगदान होगा। साथ ही, सरकार द्वारा उधार लेने में भी इसके कारण कमी आ सकती है।
प्रश्न : राजकोषीय घाटा नियंत्रण से बाहर हो गया-इसका एक कारण यह था कि ईंधन और उवर्रक की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय मंडि़यों में उछाल आ गया। प्रकट रूप में सब्सिडी पर होने वाला खर्च घटकर सकल घरेलू उत्पाद के 2.4 प्रतिशत से 1.9 प्रतिशत रह जाएगा। लेकिन ऐसा कैसे किया जाए ?
प्रधानमंत्री : वित्त मंत्री ने सब्सिडी नियंत्रण की जरूरत की तरफ इशारा किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वह सब्सिडी व्यय को अगले तीन वर्षो में सकल घरेलू उत्पाद के 1.7 प्रतिशत से नीचे लाएंगे। अब यह साफ है कि यह एक मुश्किल काम है, जो मेरे विचार में अपेक्षा करेगा कि सरकार पेट्रोलियम पदार्थो और अन्य कीमतों में समायोजन के लिए एक प्रभावी कार्यक्रम सामने लाये। इसलिए हमें डटकर काम करना है। कोई और तरीका नहीं है जिसके जरिये आप सब्सिडी में कमी ला सकें।
प्रश्न: महोदय, यह बहुत साहसपूर्ण बयान है। ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी मूल्य वृद्धि को लेकर बहुत चिंतित हैं। क्या उनके साथ सलाह-मश्विरा किया गया है ? क्या वह सलाहकारों में शामिल हैं ?
प्रधानमंत्री: मेरे विचार में ये गठबंधन सरकार के प्रबंधन और उसे चलाने की मजबूरियां हैं। मुश्किलें आएंगीं। मुश्किलें पहले भी रहीं हैं। लेकिन, आखिरकार सरकार चलानी है तो सरकार के पास अर्थव्यवस्था के प्रबंधन की एक निरंतर सशक्त कार्यनीति होनी चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि जब सही वक्त आएगा, सही और महत्वपूर्ण फैसले, भले ही वे मुश्किल फैसले हों, लिये जाएंगे। हम अपने सभी गठबंधन के सहयोगियों के साथ सलाह-मश्विरा करेंगे।
प्रश्न: आधार के विस्तार का एक प्रस्ताव आया है। इसे लेकर कुछ विवाद भी रहे हैं। क्या अब यह तय हो गया है कि आधार वह प्रमुख मंच होगा जहां से भारत के लोगों को लाभ बांटे जाएंगे?
प्रधानमंत्री: मेरे विचार में वित्त मंत्री ने यह बात बिल्कुल साफ कर दी है। आधार समिति ने अपनी रिपोर्ट में 40 करोड़ अतिरिक्त लोगों की बात कही है, जो मंजूर कर ली गई है। इसलिए मेरे ख्याल में कुछ विवाद हो सकते हैं, और इस तरह के विवाद दुनियाभर में होते रहते हैं। लेकिन मेरे विचार में हमने अच्छी शुरूआत की है और हम आधुनिक टेक्नोलॉजी और साधनों का इस्तेमाल करके विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं में बर्बादी रोकते हुए उन्हें चुस्त-दुरूस्त बना सकेंगे।
प्रश्न: उर्वरकों में, फास्फेट और पोटेशियम के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। क्या यह प्रावधान यूरिया के लिए भी किया जाएगा?
प्रधानमंत्री: इस बात पर आम सहमति है कि तीनों उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी होनी चाहिए। लेकिन यह भी महसूस किया गया कि जब यूरिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि हो रही हो, मुझे लगता है कि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी की दिशा में धीरे-धीरे चलने के साथ ही यूरिया पर नियंत्रण हटाना बुद्धिमानी होगी। इसलिए मुझे लगता है, यह सवाल समय की उपयुक्तता का है। लेकिन कुछ ऐसी मजबूरियां है कि सरकार को समझदारी भरे निर्णय लेने होंगे जो कठोर भी हो सकते हैं। यद्यपि मुझे लगता है कि वे निर्णय शायद बहुत लोकप्रिय नहीं होंगे।
प्रश्न: पिछले तीन वर्षों में, संप्रग -2 की सबसे बड़ी उपलब्धियां क्या थी और सबसे बड़ी निराशा क्या है?
प्रधानमंत्री: सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि हम अपनी अर्थव्यवस्था की विकास दर को अधिकांश दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा बेहतर ढ़ंग से बनाये रखने में सक्षम रहे। हालांकि इस साल हमारी विकास दर बीते वर्षों की तुलना में कम हो जाएगी लेकिन फिर भी जब हम दुनिया के बाकी हिस्सों में हो रही हलचलों को देखते हैं तो पाते हैं कि अपनी स्थितियां बहुत अच्छी हैं। हम अभी भी विकास के क्षेत्र में अग्रणी लीग में हैं और सच यह है कि हम अपनी विकास दर को बनाये रखने में सक्षम हैं। वर्ष 2008-2009 में विकास दर 6.5% तक गिर गयी था, लेकिन यह अगले ही साल यह 8.4% पर वापस आ गयी और उसके बाद भी 8.4 रही। इस साल यह फिर से नीचे गयी है, लेकिन हमारी चुनौती 8 और 9 प्रतिशत की राह पर वापस लौटना है और इस सरकार ने अपने लिए यही लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्रश्न: तो क्या इस बजट से यह संदेश मिल रहा है, कि सरकार अगले विधानसभा चुनावों और आम चुनावों के लिए तैयार है?
प्रधानमंत्री: मुझे लगता है कि यह बजट विस्तृत आर्थिक नीतियों का एक महत्वपूर्ण सहायक उपकरण है और तीव्र, न्यायसंगत, टिकाऊ तथा अधिक समावेशी विकास उन सभी आर्थिक नीतियों के उद्देश्यों में शामिल है जो हमारे नेतृत्व में हमारी सरकार ने देश के समक्ष पेश किया है। अब हमारे सामने यही चुनौती है कि अर्थव्यवस्था के तीव्र, स्थायी और अधिक समावेशी विकास का मार्ग हम कैसे सुनिश्चित करें।