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प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि लगभग एक लाख करोड़ रूपए की लागत वाली समर्पित माल-भाड़ा गलियारा परियोजना (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट) को केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा राज्य सरकारों से भी उन्होंने ऐसा ही करने का आह्वान किया। इस परियोजना से देश की 3300 किलोमीटर से अधिक भूमि को जोड़ा जाएगा तथा यह भारत की आर्थिक परिवहन सुविधा के लिए रीढ़ की हड्डी साबित हो सकती है। उत्तर प्रदेश के दादरी से मुम्बई के निकट जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक पश्चिमी गलियारा 1499 किलोमीटर लंबा होगा तथा तेज़ गति के विशेष रेलेवे ट्रैक के साथ यह हरियाणा, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र को जोड़ेगा। लुधियाना से दानकुनी तक पूर्वी समर्पित माल-भाड़ा गलियारा 1839 किलोमीटर लंबा होगा तथा यह पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा। पश्चिमी गलियारे के अधिकांश हिस्सा को जापान द्वारा वित्तीय सहायता दी जाएगी तथा पूर्वी गलियारे का दो तिहाई हिस्सा विश्व बैंक की सहायता से बनाया जाएगा। सोनागर-दानकुनी खंड पीपीपी माध्यम के जरिए कार्यान्वित किया जाएगा। भारतीय रेल भी इस परियोजना में पर्याप्त राशि निवेश कर रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में मुख्य सचिवों तथा राज्यों के प्रतिनिधियों ने यह आश्वासन दिया कि इस परियोजना को आगे ले जाने में उनकी राज्य सरकारों द्वारा पूरा सहयोग किया जाएगा। बैठक में यह फैसला लिया गया कि समर्पित माल-भाड़ा गलियारा परियोजना से संबंधित मुद्दों विशेषकर भूमि अधिग्रहण को सुलझाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा। नोडल अथॉरिटी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कुओपरेशन इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के प्रतिनिधि इस परियोजना की प्रगति तथा इसे पूरा करने के लिए निर्धारित तिथि, मार्च 2017 तक इसका का निरीक्षण करेंगे।
डीएफसीसीआईएल ने कहा है कि रेलवे संशोधन अधिनियम 2008 के जरिए 67 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो गया है तथा अभी तक सामान्यत: परियोजना का कार्य निर्धारित लक्ष्य के अनुसार ही चल रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय, करीब से इस परियोजना की प्रगति की निगरानी करेगा ताकि समयबद्ध तरीके से आवश्यक कार्रवाई की जा सके।