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सीबीआई को सौंपी जाने वाली फाइलों/कागजातों के संबंध में लोक सभा में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के वक्तव्य का मूल पाठ इस प्रकार है:-
"कोयला आवंटन के बारे में चल रही जाँच से संबंधित तथाकथित गुम फाइलों या कागजातों के प्रश्न पर, मैं इस बात पर जोर देना चाहूँगा कि सरकार उन सभी कागजातों को ढूंढ़ने का पूरा प्रयास कर रही है जो सीबीआई द्वारा मांगे गए हैं। इस समय यह कहना जल्दबाजी होगी कि कुछ कागजात वास्तव में गायब हो गए हैं। सीबीआई द्वारा मांगे गए ज्यादातर कागजात उनको पहले ही सौंप दिये गए हैं। फिर भी इस वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज करते हुए कुछ सदस्यों ने अपने आप ही यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि मामले में कुछ गड़बड़ है और सरकार कुछ छिपा रही है।
मैं इस सम्मानित सदन को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार के पास छिपाने को कुछ भी नहीं है। मामले में चल रही जांच के साथ सहयोग करने की हमारी मंशा पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता क्योंकि 1,50,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज सीबीआई को पहले ही दे दिए गए हैं। उन्हीं दिनों से जब सीएजी ने अपनी परफार्मेंस ऑडिट प्रक्रिया शुरू की थी, सरकार ने हमेशा सीएजी के साथ और बाद में सीबीआई के साथ पूर्ण सहयोग किया है। हम ऐसा भविष्य में भी करते रहेंगे । और अगर मांगे जा रहे दस्तावेज वास्तव में गायब पाये जाते हैं तो सरकार गहराई से जांच करके यह सुनिश्चित करेगी कि दोषी लोगों को सजा मिले।
कोल ब्लॉक आवंटन का मामला न्यायालय के विचाराधीन है, देश का उच्चतम न्यायालय इन आवंटनों के सभी पहलुओं को देख रहा है। इसके अलावा, सीबीआई द्वारा की जा रही जांच की भी उच्चतम न्यायालय द्वारा नजदीकी से निगरानी की जा रही है। 29 अगस्त, 2013 के आदेश में न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई 5 दिनों के अंदर उन सभी कागजातों और दस्तावेजों की पूरी लिस्ट सरकार को देगी, जो अभी भी बकाया हैं और उसके बाद दो सप्ताह के अंदर सरकार सभी उपलब्ध कागजात सीबीआई को सौंप देगी। सरकार इन निर्देशों का अक्षरशः पालन करेगी और यह पूरा प्रयास करेगी कि मांगे हुए कागजात सीबीआई को उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंदर ढूंढ़कर दे दिए जाएं। यदि सरकार इन कागजातों में कुछ को निर्धारित समय-सीमा के अंदर नहीं ढूंढ़ पाती है, तो जैसा कि न्यायालय का निर्देश है, सीबीआई को एक प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा ताकि वह उचित जाँच कर सके।
इस स्थिति में, मैं इस माननीय सदन के सम्मानित सदस्यों से यह अनुरोध करूंगा कि वह जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष न निकालें और सदन की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने दें।"