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प्रश्न– 1. सीरिया के मामले में भारत ने रूस के समान रूख अपनाया। क्या इसका आशय यह है कि हम प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मसलों विशेषकर पश्चिम एशिया की स्थिति पर रूस और भारत के बीच व्यापक सहक्रियता की अपेक्षा कर सकते हैं? भारत और रूस द्वारा इस दिशा में क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
उत्तर- भारत और रूस क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर परम्परागत रूप से समान दृष्टिकोण अपनाते आए हैं, जो हमारी नीतिगत भागीदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ है।
सीरिया में जारी संघर्ष न सिर्फ उस देश की जनता के लिए त्रासदीपूर्ण है, बल्कि क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी खतरा है और क्षेत्र से परे भी उसके व्यापक आर्थिक और सुरक्षा संबंधी परिणाम हो सकते हैं। रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल, चाहे किसी भी पक्ष ने किया हो, इस संघर्ष में निहित खतरों को उजागर करता है।
भारत ने सदैव कहा है कि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान संभव नहीं है और वह लगातार कहता आया है कि विदेशी सैन्य हस्तक्षेप से सिर्फ यह संघर्ष व्यापक ही होगा। जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य था, तो इस मसले पर हमने रूस के साथ मिलकर काम किया था। सीरिया की जनता की वाजिब अभिलाषाओं को पूरा करते हुए इस संघर्ष का राजनीतिक हल ढूंढे जाने की तत्काल आवश्यकता है। यह बहुत आवश्यक है कि जिनेवा-2 सम्मेलन जल्द से जल्द बुलाया जाए। मैं इस संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए राष्ट्रपति पुतिन और रूस सरकार की ओर से किये गये प्रयासों की सराहना करता हूं और सीरिया में रासायनिक हथियारों के सफाये के लिए रूस द्वारा अमरीका के साथ मिलकर बनाए गए समयबद्ध प्रारूप का पूरी तरह समर्थन करता हूं।
प्रश्न-2. रूस की पिछली यात्राओं से जुड़ी अपनी पसंदीदा यादों के बारे में बताएं। आपको इस देश में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
उत्तर– मैं कई वर्षों से इस खूबसूरत और ऐतिहासिक देश की यात्रा करता रहा हूं और मुझे मॉस्को के अलावा सेंट पीटर्सबर्ग और येकतेरिनबर्ग जैसे कई शहरों को देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। मैंने सदैव संस्कृति, कला और वास्तुशिल्प में रूस की समृद्धि धरोहर को पसंद किया है। मैं रूसी लोगों की प्रतिभा और लचीलेपन का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा भारत के प्रति रूसी जनता की गर्मजोशी और मैत्री पसंद है, जिसका भारतीय जनता पूरी तरह प्रतिदान करती है। रूस भारत का पुराना और विशेष सहभागी रहा है। समझ, विश्वास, भरोसे और गर्मजोशी के संदर्भ में ये रिश्ते बेजोड़ हैं। मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपने करीबी और मैत्रीपूर्ण रिश्ते को बहुत महत्व देता हूं और मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ 2013 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मॉस्को शहर की अपनी यात्रा की प्रतिक्षा कर रहा हूं।
प्रश्न-3. भारत ने रूस, बेलारूस और कजाकिस्तान द्वारा बनाए गए कस्टम यूनियन से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है। कस्टम यूनियन में भारत के क्या हित हैं ?
उत्तर- हम रूस के साथ-साथ बेलारूस और कजाकिस्तान से भी अपने आर्थिक सहयोग को अहमियत देते हैं। भारत ने थाईलैंड, सिंगापुर, आसियान और जापान जैसे कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते या समग्र आर्थिक भागीदारी समझौते किये हैं और हम यूरोपीय संघ के साथ व्यापक आधार वाले व्यापार और निवेश समझौते के लिए भी बातचीत कर रहे हैं। भारत और बेलारूस, कजाकिस्तान तथा रूस के कस्टम यूनियन के बीच हुए एक समेकित आर्थिक सहयोग समझौते से भारत और आपके कस्टम यूनियन के बीच आर्थिक संबंध और प्रगाढ़ होंगे। भारत और रूस के संबंधों से मुख्य रूप से व्यापार और पूंजी निवेश के क्षेत्र में काफी फायदा होगा। इससे दोनों देशों के बीच अन्य क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रश्न-4. जहां तक अगले ब्रिक्स सम्मेलन के मामले में आपकी अपेक्षाओं का सवाल है, ब्रिक्स की प्रक्रिया और संरचना को और प्रभावी बनाने के लिए क्या किया जा सकता है? ब्रिक्स के लिए नए सदस्यों को स्वीकार करने में भारत का क्या रुख है?
उत्तर- राष्ट्रपति पुतिन ने मुख्य रूप से ब्रिक्स ग्रुप का गठन किया है। बहु-ध्रुवीय विश्व के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है। मुझे खुशी है कि ब्रिक्स, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर सहयोग और विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मंच है। 50 बिलियन अमरीकी डॉलर की शुरूआती राशि से एक नये विकास बैंक की स्थापना और 100 बिलियन अमरीकी डॉलर की आकस्मिक निधि की व्यवस्था सहित कई नए कदम उठाए गए हैं। उभरते बाजारों में व्यापार और विनिवेश को बढ़ावा देने में यह महत्वपूर्ण कदम है। ब्रिक्स देश, जी-20 सम्मेलन के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर अपनी समन्वित स्थिति के लिए बैठक करते हैं। पिछले महीने सेन्ट पीटर्सबर्ग में जी-20 सम्मेलन से अलग हमने ब्रिक्स नेताओं की अनौपचारिक बैठक की।
उन मुद्दों पर ब्राजील में होने वाली अगले ब्रिक्स सम्मेलन में विचार-विमर्श होगा। दक्षिण अफ्रीका हाल ही में ब्रिक्स का सदस्य बना है और ब्रिक्स ग्रुप को और बढ़ाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
प्रश्न- 5. भारत और रूस के बीच दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू और बहुउद्देश्यीय मालवाहक विमान तथा सैन्य-तकनीकी सहयोग के बारे में आपका क्या आकलन है? पहले मॉडल परीक्षण उड़ान के लिए कब तक तैयार हो सकेंगे और उन्हें कब भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा?
उत्तर- हम भारत और रूस के सैन्य-तकनीकी सहयोग में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और बहु-उद्देश्यीय मालवाहक विमान का निर्माण दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं के रूप में देखते हैं। इन परियोजनाओं के जरिए हमारे पुराने खरीददार-विक्रेता के संबंध के स्थान पर अब एक नया सैन्य-सहयोग का संबंध स्थापित हुआ है, जिसमें मिलजुल कर सुरक्षा उपकरण के डिजाइन, विकास और उत्पादन करना शामिल है। यह परियोजना इस बात का भी प्रतीक है कि भारत और रूस, सैन्य के क्षेत्र में एक दूसरे पर काफी भरोसा करते हैं। मुझे खुशी है कि दोनों परियोजनाएं अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं और परियोजना का प्रारंभिक डिजाइन का चरण इस वर्ष पूरा हो चुका है। उत्पादन शुरू करने से पहले विस्तृत डिजाइन और प्रोटोटाइप के विकास सहित विभिन्न जटिल और तकनीकी चरण अभी बाकी हैं। हम चाहते हैं कि सारी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो सके ताकि इसे भारतीय वायु सेना में शामिल किया जा सके।
प्रश्न-6. आपकी मॉस्को यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, किस समझौते को लेकर आप आशान्वित हैं? आपको क्या लगता है कि आधुनिक भारत-रूस सहयोग के क्षेत्र में क्या सबसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर- भारत और रूस के बीच सही मायने में बहु-आयामी संबंध हैं। आपसी राजनीतिक समझ, ऊर्जा सहयोग, सैन्य संधियां, बढ़ता व्यापार और विनिवेश, सांस्कृतिक और शैक्षिणक संबंधों के साथ हमारे लोगों के बीच हर स्तर पर दोस्ताना संबंध हैं। मुझे लगता है कि मेरी मॉस्को यात्रा के दौरान कई क्षेत्रों में समझौते किए जा सकते हैं। हालांकि समझौतों पर हस्ताक्षर के आधार पर किसी यात्रा या सम्मेलन को सफल कहना उचित नहीं होगा। मुझे लगता है कि जो भी कागजात पर हम हस्ताक्षर करते हैं वह महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न क्षेत्रों में हमारी खास और विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने में मददगार होते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि भारत और रूस के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर समेकित रुख हो तथा आपसी दोस्ती और भरोसे का संबंध बना रहे।
प्रश्न-7. पिछले साल भारतीय अधिकारियों ने रूस का उल्लेख ऐसे देशों में किया था, जिन्हें आगमन पर पर्यटक वीजा प्राप्त करने के लिए सरल प्रक्रिया प्रदत्त की जाने वाली थी। रूसी कब तक इस फैसले को मंजूरी मिलने की अपेक्षा कर सकते हैं?
उत्तर- हम चाहते हैं कि भारत में यात्रा के दौरान रूसी नागरिकों को किसी तरह की परेशानी न हो। भारत पहले से ही रूसी पर्यटकों और कारोबारियों के लिए काफी हद तक उदार वीजा प्रणाली लागू कर चुका है। दिसम्बर 2010 में दोनों देशों ने पर्यटकों सहित कुछ विशिष्ट श्रेणी के नागरिकों की आपसी भ्रमण संबंधी आवश्यकताओं का सरलीकरण करने के लिए एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। मुझे खुशी है कि रूस को हमारी ओर से जारी होने वाले पर्यटक वीजा की संख्या में पिछले साल 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस साल के शुरूआती 9 महीनों के दौरान इसमें 55 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। मुझे आशा है कि यह रूझान भविष्य में भी जारी रहेगा। जहां तक रूसी नागरिकों के लिए आगमन पर वीजा के प्रस्ताव का प्रश्न है, अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
प्रश्न-8. भारत और रूस की ओर से कई वर्ष पहले हस्ताक्षरित परमाणु सहयोग पर संबंधी योजना के अनुसार दोनों पक्षों ने भारत में 14-16 परमाणु बिजली रियक्टरों का निर्माण करने की मंशा व्यक्त की है। इनमें से प्रथम पहले ही कुडनकुलम एनपीपी में चालू होने की अंतिम अवस्था में है। दूसरे का काम जल्द ही पूरा हो जायेगा। लेकिन ब्लॉक्स 3 और 4 के लिए व्यावसायिक अनुबंधों पर बातचीत अवरूद्ध है। क्या शेष बचे 12-14 एनपी ब्लॉक्स के लिए योजनाएं अब तक वैध हैं? पिछले चार साल से भारत परमाणु परियोजना के लिए कुडनकुलम के अलावा किसी अन्य जगह का नाम बताने का वादा कर रहा है। आखिर यह कब तक होगा?
उत्तर- असैन्य परमाणु सहयोग रूस के साथ हमारी द्विपक्षीय भागीदारी का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। जब दूसरों ने हमारे साथ परमाणु व्यापार बंद कर दिया था ऐसे में भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास में रूस की ओर से दिए गए सहयोग की मैं तहेदिल से सराहना करता हूं। मुझे खुशी है कि कुडनकुलम परमाणु बिजली घर की यूनिट-1 जल्द ही ग्रिड को बिजली मुहैया कराने लगेगी। कुडनकुलम की यूनिट-2 निर्माण की उन्नत अवस्था में है। भारत रूस के साथ परमाणु बिजली के उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग बढाने का इच्छुक है और वह मार्च 2010 में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित योजना के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। हम कुडनकुलम के अलावा पश्चिम बंगाल के हरिपुर को रूस के सहयोग से परमाणु बिजली घर का निर्माण करने के लिए नामित कर चुके हैं। हमने अपने रूसी दोस्तों को यह भरोसा भी दिलाया है कि यदि हरिपुर व्यवहार्य नहीं पाया गया तो एक वैकल्पिक स्थल आवंटित किया जायेगा। मुझे यकीन है कि दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा उत्पादन की दिशा में सहयोग निरंतर प्रगाढ़ होता जायेगा।
प्रश्न-9. भारत-रूस व्यापार वर्ष 2015 तक 20 बिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंच सकता है। क्या आपको यह योजना वास्तविक लगती है? मौजूदा रूकावटों को दूर करने और आपसी व्यापार की वृद्धि में तेजी लाने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए? क्या हमारे आर्थिक सहयोग को आगे बढाने के लिए भारत-रूस तेल पाइपलाइन के निर्माण के ओएनजीसी के प्रस्ताव के समान कोई अन्य नवीन संभावित परियोजनाएं भी हैं?
उत्तर- भारत-रूस व्यापार जो 2011 में 8.85 बिलियन अमरीकी डॉलर था वह 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हुए 2012 में बढ़कर 11.04 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। यदि यही गति बनाई रखी जा सकी, तो 2015 तक हमारा व्यापार 20 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। संकटपूर्ण वैश्विक आर्थिक वातावरण की चुनौतियों के बीच भी मैं दोनों देशों के बीच व्यापार तथा निवेश संबंधों के भविष्य को लेकर आशावादी हूं। हम भारत और रूस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परिषद तथा भारत-रूस व्यापार एवं निवेश मंच के माध्यम से दोनों देशों के बीच सक्रिय व्यावसायिक संबंधों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग के लिए गठित हमारे अंतर-सरकारी आयोग ने आर्थिक संबंधों के विस्तार को अपनी प्राथमिकता में रखा है। हम एक-दूसरे की व्यावसयिक क्षमताओं उपलब्धियों तथा अवसरों के विषय में जानकारियों के बेहतर आदान-प्रदान के लिए प्रयासरत हैं। हम रसायन, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार, आधारभूत ढांचा, उर्वरक तथा ऊर्जा के क्षेत्र में पारस्परिक निवेश बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत हैं। आर्थिक सहयोग के नये क्षेत्रों की पहचान किये जाने का कार्य भी जारी है। हाईड्रोकार्बन क्षेत्र प्राथमिकता का एक क्षेत्र है। हम रूसी तेल तथा गैस क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने की संभावनाएं देख रहे हैं। हम रूस से भारत के बीच प्रत्येक्ष थल परिवहन के प्रस्ताव की व्यवहारिकता पर भी विचार कर रहे है। हमने भारत तथा बेलारूस, कज़ाकिस्तान तथा रशिया के कस्टम यूनियन के बीच ‘व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता’ के लिए भी प्रस्ताव रखा है जिसके शीघ्र ही आरम्भ होने की आशा है।
प्रश्न-10. रूस भारत के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव अभी भी रक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय सम्पर्कों से काफी पीछे है। क्या हम इस विषय में विशेष रूप से बॉलीवुड फिल्मों के रूसी पर्दों पर दिखाए जाने को लेकर किसी सकारात्मक पहल की उम्मीद कर सकते है?
उत्तर- भारत रूस के बीच का सांस्कृतिक जुड़ाव आपसी समझ, सम्मान तथा एक दूसरे की कला, संस्कृति, संगीत, नृत्य एवं सिनेमा के लिए प्रशंसा की मजबूत नींव पर आधारित है। पिछले वर्ष दिसम्बर में हमने 2013-15 के लिए ‘सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम’ के लिए समझौता किया था। सितम्बर तथा दिसम्बर 2013 के बीच हम रूस के 10 शहरों में छ: समूहों में ‘रूस में भारतीय संस्कृति’ नामक एक उत्सव का आयोजन करने जा रही है। मोस्को में भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र ‘जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र’ सक्रिय है तथा इसी प्रकार के रूसी सांस्कृतिक केन्द्र भारत में सक्रिय है। हमें उम्मीद है कि रूसी थिएटरों तक भारतीय फिल्मों की पहुंच अधिक से अधिक बन पाएगी।
रूसी साहित्य विख्यात रहा है और भारत में काफी लोकप्रिय है। फ्योदोर दोस्तोवस्की, लेव टोलसटॉय, एन्तॉन चेखव, इवान तुर्गनेव तथा मिखाइल लेरमोन्तोव जैसे रूसी लेखक भारत में खूब पढ़े जाते है। ‘बर्न्ट बाय द सन, मोस्को डज़ नॉट बिलिव इन टियर्स, अन्ना कारेनिना जैसी रूसी फिल्मों को वैश्विक स्तर पर और भारत में काफी पसन्द किया गया है।
प्रश्न-11. अद्वितीय रोरिख परिवार रूस तथा भारत के बीच एक आध्यात्मिक पुल के रूप में है। उनका कुल्लु स्थित संग्रहालय वैश्विक महत्व का है। रूसियों ने एक बार फिर से आपकी सरकार से आइआरएमटी को अपनी शाखा के तहत लाने का आग्रह किया है। क्या हम यह आशा करें कि भारत की केन्द्रीय प्राधिकारी संस्थाएं रोरिख परिवार की विरासत को सुरक्षित करने के लिए तथा मेमोरियल ट्रस्ट का विकास करने में भागीदारी के लिए अधिक सक्रिय होंगी।
उत्तर- भारत में रोरिख की धरोहर एक मूल्यवान साझा विरासत है और हम इसकी उचित देख-रेख और विकास के लिए सभी जरूरी कदम उठाते रहेंगे।