भाषण [वापस जाएं]

January 8, 2014
नई दिल्‍ली


प्रवासी भारतीय दिवस, 2014 के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

नई दिल्‍ली में आज प्रवासी भारतीय दिवस, 2014 के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह के संबोधन का मूल पाठ निम्‍नलिखित है:-

"वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आप सभी का गर्मजोशी से स्‍वागत करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। मुझे प्रसन्‍नता है कि नये साल की शुरूआत एक बार फिर मातृ भूमि के साथ प्रवासी भारतीय समुदाय के भावनात्‍मक, आध्‍यात्मिक, आर्थिक और पारिवारिक संबंधों के उत्सव  साथ हो रही है। इस साल हम भारतवंशियों में विशेष रूप से युवा पीढ़ी का स्‍वागत कर रहे हैं। हमारे बीच उनकी मौजूदगी पीढि़यों को जोड़ने संबंधी इस साल के विषय को विशेष जीवंतता प्रदान कर रही है।

इस साल हमारे मुख्‍य अतिथि मलेशिया के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण मंत्री तथा मलेशियन इंडियन कांग्रेस के अध्‍यक्ष दातुक सेरी जी. पलानिवेल हैं। वे उन विचारों को मूर्त रूप प्रदान करते हैं जो प्रवासी भारतीय दिवस के लिए हमें एक साथ लाते हैं। सार्वजनिक सेवा और व्‍यक्तिगत योग्‍यताओं का उनका सिर्फ बेहतरीन रिकॉर्ड ही नहीं है, बल्कि वे ऐसे जीवंत भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, जिसने मलेशिया की प्रगति में अत्‍याधिक योगदान दिया है और भारत और मलेशिया के बीच आपसी समझ और मैत्री का प्रभावशाली पुल बांधने में भी भूमिका निभाई है। हम दोनों बहुलवादी लोकतंत्र हैं, जिनके अपने समान पड़ोस में साझा हित हैं और उन्‍होंने एक दशक में सशक्‍त भागीदारी कायम की है। दातुक सेरी पलानिवेल को आज अपने बीच पाकर हमें बेहद खुशी हो रही है।

प्रवासी भारतीय समुदाय अपने आकार के लिहाज से ही विश्‍व में दूसरे नंबर पर नहीं है, बल्कि आपकी उपलब्धियां भी आपको विश्‍व में बहुत महत्‍वपूर्ण स्‍थान देती हैं। इस भारतीय समुदाय का भारत में भी बहुमूल्‍य योगदान रहा है- विदेश में नौकरी करने वाले कामगार जो देश में रहने वाले अपने परिवार और समुदाय की मदद करते हैं, व्‍यवसायी जो अपने कौशलों को भारत के लिए साझा करते हैं, उद्यमी जो भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यहां निवेश करते हैं और सामुदायिक नेता जो विश्‍व को भारत के बारे में बताते हैं और विदेशों में उसके हितों को आगे बढ़ाते हैं।

हम आपको समर्थन देना, आपकी सहायता करना तथा भारत के साथ आपके संबंधों को हरसंभव प्रोत्‍साहन देना जारी रखेंगे। इसी उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए हमारी सरकार ने सत्‍ता में आने के बाद प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय बनाया था। हमने विदेशों में भारतीय कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए हाल ही में महात्‍मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना की शुरूआत की थी। इस साल दिल्ली में प्रवासी भारतीय केन्द्र का काम भी पूरा हो जाएगा। हम प्रवासी भारतीय भवनों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों की सहायता हेतु एक योजना शुरू करने के भी इच्छुक हैं। मैं इन प्रयासों के लिए प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय और मेरे सहयोगी श्री व्यालार रवि की सराहना करता हूं।

इस अवसर पर मैं विदेश मंत्रालय और प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय और सऊदी अरब सरकार की भी सराहना करना चाहता हूं, जिन्होंने सऊदी अरब की श्रम नीतियों में बदलाव के बाद से 10 लाख से ज्यादा भारतीय कामगारों के समक्ष आ रही चुनौतियों को सफलतापूर्वक हल किया। हमारा उद्देश्य सदैव प्रवासी समुदायों की सहायता करना रहा है और मुझे उम्मीद है कि इस साल का प्रवासी भारतीय दिवस एक बार फिर से इस बात पर चर्चा का अवसर प्रदान करेगा कि हम ज्यादा रचनात्मक भागीदारी किस प्रकार कायम करें।

मैं इस बात से अवगत हूं कि आप में से बहुत से लोगों के जहन में भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर सवाल हैं और हमारी सामाजिक चुनौतियों, हमारी राज्य व्यवस्था के आकार और हमारे देश के शासन के मामलों के बारे में चिंताएं हैं। भारत के बाहर कुछ वर्गों में यह अवधारणा है कि हमारा देश पिछले दशक में कायम रही वृद्धि दर को खो रहा है। यह अवधारणा भारत में राजनीतिक प्रतिवादों की वजह से और प्रबल हुई है, जो उस चुनावी मौसम में और ज्यादा मुखर हो जाते हैं, जो अब काफी निकट है। मैं आप लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारे वर्तमान के बारे में हताश होने की या हमारे भविष्य के बारे में चिंता करने की कोई वजह नहीं है। दरअसल, जैसा मैं पहले भी कह चुका हूं कि हमारा बेहतर समय आने वाला है और मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूं कि आप भरोसे और आशा सहित भविष्य में भी इस देश के साथ जुड़े रहें।

इस तर्क को आगे बढ़ाने के लिए मैं मोटे तौर पर पांच बिंदुओं में अपनी बात कहना चाहता हूं।

पहला– अगले चुनावों के परिणाम चाहे कुछ भी रहें, वे दुनिया के सामने एक बार फिर से हमारे लोकतंत्र और हमारी संस्थाओं की ताकत तथा उन आदर्शों की स्थायी प्रकृति का प्रदर्शन करेंगे, जो विविधताओं से भरपूर हमारे देश की प्रगति और सभी नागरिकों को अवसर, न्याय तथा समानता का जीवन प्रदान करने की हमारे प्रयासों का सुदृढ़ आधार हैं ।

हाल की घटनाएं हमारे लोकतंत्र के व्यापक संवर्धन की ओर संकेत करती हैं, जो जनता  द्वारा प्रचार और संचार के लिए परम्परागत पद्धतियों के साथ-साथ नये डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करने की वजह से ज्यादा सहभागी और संवादात्मक बन चुका है। यह देखना विशेष रूप से उत्साहजनक है कि समाज के सभी वर्गों के युवा अपनी आकांक्षाएं और महत्वकांक्षाएं व्यक्त ही नहीं करते बल्कि अपने भविष्य को आकार देने के लिए राजनीति में भी सक्रिय हो रहे हैं। इस बात का स्वागत किया जाना चाहिए। ऐसा सिर्फ इसलिये हैं क्योंकि हमारे देश में विभिन्न स्तरों पर जो अभूतपूर्व बदलाव हो रहा है, वह हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में रचनात्मक रूप से सारभूत किया जा सकता है, जिसमें हमारी जनता की नई और उभरती चिंताओं तथा आशाओं और महत्वकांक्षाओं पर विचार करने का उत्साह और प्रतिक्रियाशीलता है। मुझे भरोसा है और आपको भी होना चाहिए कि बहुलवादी लोकतंत्र के रूप में हमारे देश का भविष्य सुरक्षित और महफूज है।

दूसरा– हमारी अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में अच्छा प्रदर्शन किया है। वर्ष 2004 के बाद से लेकर पिछले 9 वर्षों में हमारी सालाना औसत वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि हाल में आर्थिक मंदी का दौर रहा है और सम्भवत: इस साल की वृद्धि दर भी पिछले साल की 5 प्रतिशत वृद्धि दर के समान रहेगी। इन परिस्थितियों में अनेक अंतर्राष्ट्रीय कारणों के साथ-साथ घरेलू कारणों का भी योगदान रहा है। इन चुनौतियों के बावजूद, हमारी आर्थिक बुनियाद मजबूत रही है। हमारी बचत और निवेश दरें अभी भी हमारे सकल घरेलू उत्पाद के 30 प्रतिशत से ज्यादा हैं और भारत में उद्यमशीलता की भावना बेहद सक्रिय और गतिशील है।

हाल के महीनों में हमने विशाल ढांचागत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने, कर प्रणाली में सुधार लाने, वित्तीय प्रबंधन में सुधार लाने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने तथा प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन और उपयोग की प्रणाली को तर्कसंगत बनाने की दिशा में व्यापक फैसले लिये हैं। व्यापक राजनीतिक समर्थन मिलने पर वित्तीय और बीमा जैसे क्षेत्रों में सुधार के गहन उपाय कर सकते थे। हालांकि हमारे फैसलों का असर दिखना शुरू हो चुका है और भारत निवेश के आकर्षक स्थल के रूप में एक बार फिर से उभरने लगा है। मुझे यकीन है कि आप अगले कुछ महीनों में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखेंगे।

तीसरा– भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है, लेकिन यह उन लोगों को सदैव दिखाई नहीं देता, जो इसे बड़े परिदृश्‍य पर नहीं देखना चाहते। पिछले 10 वर्षों में हमारे संचार नेटवर्क में व्यापक विस्तार हुआ है और निकट भविष्य में ग्रामीण भारत का काफी हिस्सा ब्रॉडबैंड से जुड़ जाएगा। उच्च शिक्षा की करीब एक हजार संस्थाएं आज त्वरित गति वाले राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का हिस्सा है। टेलीफोनी या दूरभाषी अब हर किसी की पहुंच में है।

शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या 17 से 44 हो गई है तथा आईआईटी और आईआईएम की संख्या भी दोगुनी हो गई है। प्राथमिक स्तर पर भारत में तकरीबन हर बच्चा आज स्कूल जा रहा है। राष्ट्रीय कौशल विकास प्राधिकरण निजी क्षेत्र सहित अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि अगले पांच वर्षों में 5 करोड़ लोगों का कार्यबल तैयार किया जा सके।

हमने राजमार्गों में 17000 किलोमीटर से ज्यादा हिस्सा जोड़ा है और ग्रामीण क्षेत्रों में 2,00,000 किलोमीटर से ज्यादा नई सड़कें बनाई हैं। हमारी बिजली उत्पादन की क्षमता तेजी से बढ़ रही है। सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पहल से हम अपने लिए ज्यादा टिकाऊ ऊर्जा का भविष्य तैयार कर रहे हैं।

चौथा– भारत की आर्थिक वृद्धि में ही तेजी नहीं आई है, बल्कि यह सामाजिक रूप से ज्यादा समावेशी और क्षेत्रीय रूप से ज्यादा संतुलित भी हुई है। समावेशी विकास हमेशा हमारी सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है और हमने हाल के वर्षों में ज्यादा जोश और संकल्प के साथ इसका अनुसरण किया है। गरीबी के स्तरों में तेजी से कमी आ रही है, आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य तेजी से बढ़ रहे हैं, कृषि विकास में तेजी आई है और वास्तविक ग्रामीण मजदूरी वर्ष 2004 से तीन गुना बढ़ गई है।

यह उन ऐतिहासिक कानूनों और योजनाओं का परिणाम है, जिन्होंने काम करने का अधिकार, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार जैसे अभूतपूर्व हक दिए हैं। हमारी सरकार के लिए समावेशी विकास महज एक नैतिक आवश्यकता अथवा राजनीतिक जरूरत ही नहीं है, बल्कि निरंतर दीर्घकालीक आर्थिक वृद्धि और सामाजिक स्थिरता का अनिवार्य संघटक भी है।

अंत में– मुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह और स्वच्छ सरकार देना हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है। सूचना का अधिकार, लोकपाल कानून, सरकारी खरीद विधेयक, प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन की प्रणालियों में बदलाव तथा हमारी कानून प्रवर्तन एवं लेखा परीक्षा एजेंसियों को सशक्त बनाना, इस दिशा में उठाए गए हमारे कुछ कदमों में शुमार है। यह कार्य जटिल रहा, क्योंकि हमें अपनी राज्य व्यवस्था की संघीय प्रकृति का सम्मान करते हुए मजबूत पद्धतियों और प्रणालियों को पूरी तरह बदलना पडा। प्रशासन को सशक्त बनाना एक सतत प्रक्रिया है और हम यह कभी नहीं कह सकते कि हमने बहुत कुछ कर लिया है, लेकिन मुझे यकीन है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं।

भारत में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और उसी समय उसे तेजी से बदलते विश्व के साथ तालमेल भी बैठाना है। हमारे जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश के लिए यह एक विकट चुनौती है, लेकिन हम इस चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। खासतौर पर, हमें भारत के युवाओं की ऊर्जा और आशावाद से, हमारी जनता को सशक्त बनाने वाली स्वतंत्रताओं से, हमारे चिंतन को समृद्ध बनाने वाली चर्चाओं से, एकता की भावना से, जो उसी समय मजबूत होती है, जब उसकी ज्यादा परख की जाती है तथा राजनीतिक सर्वसम्मति से बल मिलता है जो हमारी आर्थिक नीति को आधार प्रदान करती है।

मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि हम उस अंतर्राष्ट्रीय भूमिका और उत्तरदायित्व का वहन करने के लिए तैयार है, जिनकी विश्व उभरते भारत से अपेक्षा करता है। मुझे इस बात का भी यकीन है कि भारत और प्रवासी भारतीय समुदाय के रूप में उसके 22 मिलियन दूतों के बीच सहयोग आने वाले वर्षों में और गहरा तथा समृद्ध होता जाएगा।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आपके और आपके परिजनों के लिए खुशहाल और सफल 2014 की कामना करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं तथा प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर हमारे साथ शामिल होने के लिए एक बार फिर से आपका आभार व्यक्त करता हूं। ईश्वर आपका कल्याण करे।