भाषण [वापस जाएं]

October 10, 2013
ब्रुनेई दारुस्सलाम


ब्रुनेई दारुस्सलाम में आयोजित आठवीं पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का वक्तव्य

प्रधानमंत्री ने ब्रुनेई दारुस्सलाम में आयोजित आठवें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का मूल पाठ नीचे दिया जा रहा है:-

"अऩ्य वक्ताओं की तरह मैं भी हिज मैजेस्टी सुलतान हसनान बोल्किया को धन्यवाद देने के साथ शुरूआत कर रहा हूं। उऩ्होंने आठवें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के लिए बढ़िया इंतजाम किए और हमारा इस सुंदर देश में सस्नेह स्वागत किया गया।

हम ऐसे समय में ब्रुनेई में इकट्ठे हुए हैं जब एशिया प्रशांत क्षेत्र में सामूहिक कार्रवाई और सहयोग की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय जगत में आर्थिक अनिश्चितता और दुनिया के अन्य भागों में राजनीतिक उठा-पटक के चलते हमारे क्षेत्र पर भी असर पडा है। साथ ही, इस विशाल क्षेत्र में विषमताओं के कारण चुनौतियां ही पैदा नहीं हुई हैं, बल्कि मतभेदों से भी इनका जन्म हुआ है। स्पष्ट है कि हमारी जनता में अभूतपूर्व समृद्धि की संभावनाएं तभी साकार की जा सकती हैं, जब उनमें सहयोग की मानसिकता विकसित की जाए। मेरे विचार में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन ऐसा मंच है जो इन लक्ष्यों की प्राप्ति में हमारी मदद कर सकता है और सुरक्षा तथा समृद्धि में सहयोग की वृद्धि कर सकता है।

अगर प्राथमिकताओं की बात करें, तो आसियान कनेक्टीविटी पर छठी पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र को लागू किए जाने की बहुत जरूरत है। इसके लिए हमें जरूरी मूल सुविधाएं जुटानी होंगी और एक-दूसरे को जोड़ने वाले गलियारे मूल सुविधा के रूप में बनाने होंगे। भारत समान विचारों वाले देशों में उस संवाद और सहयोग का स्वागत करता है, जो इन जरूरी मूल सुविधाओं को वित्त पोषित करने के साधन बन सकते हैं। इस सिलसिले में हम ब्रुनेई दारुस्सलाम के उन उपायों का भी स्वागत करते हैं, जो उन्होंने आसियान कनेक्टीविटी सहयोग समिति और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के बीच इसी वर्ष बाद में बैठक कराने के लिए किए हैं।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी पिछले वर्ष फ्नोम पेन्ह में शुरू की गई थी। इससे हमें क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की रूपरेखा मिली है, जिससे इस क्षेत्र में विकास की गति तेज की जा सकती है। साथ ही, क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में परस्पर हितों में वृद्धि की जा सकती है। भारत इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

हमें इस प्रयास के पूरक रूप में ऊर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास पर सहयोग करना है। इसी लिए हम खाद्य सुरक्षा पर आठवें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन का स्वागत करते हैं। इस मामले में एशिया प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम का सह-अध्यक्षों के रूप में समर्थन करते हैं। मलेरिया का सामना करने और इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराने के लिए ऑस्ट्रेलिया और कार्यबल के साथ सहयोग करने में हमें खुशी होगी। पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के सदस्य देशों में आपातकालीन परिचर्या (ट्रोमाकेयर और नर्सिंग) क्षेत्रों में सहयोग का भी हमने एक नया प्रस्ताव किया है।

पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल देशों को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के रूप में एक अंतर्राष्ट्रीय श्रेष्ठता संस्थान की स्थापना का समर्थन किया। मुझे खुशी है कि नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। इस विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र अगले साल प्रारंभ हो रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि सभी पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के छात्र और अध्यापक इसमें भाग लेंगे।

हमारी सामूहिक क्षेत्रीय महत्‍वाकांक्षाओं को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए सामुद्रिक वातावरण में स्‍थायित्‍व अनिवार्य है। हमें अंतरराष्‍ट्रीय कानून और समुद्र संबंधी विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे के अनुरूप जलयात्रा और निर्बाध वाणिज्‍य सहित समुद्र संबंधी सुरक्षा के सिद्धांतों की एक बार फिर से पुष्टि करनी चाहिए। दक्षिण चीन सागर में पक्षों के व्‍यवहार के संबंध में सम्‍बद्ध देशों द्वारा 2002 के घोषणापत्र के अनुपालन और कार्यान्‍वयन की दिशा में व्‍यक्‍त की गई सामूहिक प्रतिबद्धता तथा सर्वसम्‍मति के आधार पर दक्षिण चीन सागर में आचार संहिता को स्‍वीकार किए जाने का हम स्‍वागत करते हैं। हम समुद्र संबंधी नियमों का निर्धारण करने के लिए विस्‍तारित आसियान सामुद्रिक मंच की स्‍थापना का भी स्‍वागत करते हैं, जो सामुद्रिक सुरक्षा से संबंधित मौजूदा अंतरराष्‍ट्रीय कानून को सुदृढ़ बनाएगा।

आपदा प्रबंधन के लिए सहकारी तंत्र न सिर्फ मानवीय सहायता प्रदान करेंगे, बल्कि क्षेत्र में व्‍यापक विश्‍वास और सहयोग को भी बढ़ावा देंगे। भारत ने आभासी ज्ञान केंद्र की स्‍थापना के साथ-साथ, पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन के सदस्य देशों के साथ चौबीसों घंटे सम्‍पर्क के नेटवर्क की प्रक्रिया भी शुरू की है। हम आशा करते हैं कि आपके सहयोग से ये पहल और सशक्‍त होगी। हमें समुद्री डकै‍ती, अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद, अंतररदेशीय अपराध और मादक पदार्थों की तस्‍करी के खतरों से निपटने के लिए भी प्रयास मजबूत बनाने चाहिए।

महामहिम, एशिया ने सहयोग के लिए क्षेत्रीय संरचनाएं विकसित करने की शुरूआत काफी देर से की है। हमने इस सामूहिक यात्रा की शुरूआात काफी हद तक आसियान के बेहतरीन दूरदृष्टि और नेतृत्‍व की बदौलत की है, जिसने पहले आसियान के एकीकरण पर जोर दिया और बाद में उसका विस्‍तार व्‍यापक क्षेत्र में किया। अगर हम आसियान का मार्गदर्शन करने वाले एकता, सहयोग और एकीकरण के सिद्धांतों का पालन करेंगे और यदि आसियान के सदस्‍य देश पूर्व एशिया शिखर वार्ता प्रक्रियाओं को आकार देना जारी रखेंगे, तो हम कामयाब होंगे। मैं इस प्रक्रिया में भारत के योगदान की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त करता हूं।"