भाषण [वापस जाएं]

September 23, 2013
नई दिल्ली


राष्‍ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री का समापन-उद्बोधन

मैं उन सभी के प्रति कृतज्ञ हूं जिन्‍होंने राष्‍ट्रीय एकता परिषद में अपने विचार व्‍यक्‍त किये और राष्‍ट्रीय एकता को मजबूत बनाने के लिए सकारात्‍मक सुझाव दिये।

भारत महान विविधता वाला देश है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जब हम राष्‍ट्रीय एकता जैसे नाजुक मुद्दों पर चर्चा करते हैं तब उस समय विचारों की अनेकता प्रकट होनी चाहिए। मुझे यह जानकार बहुत खुशी है कि हम सबने सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों का उत्‍पीड़न रोकने के लिए बेहतरीन कोशिश करने पर रजामंदी व्‍यक्‍त की। इस प्रक्रिया में हमें अपने संविधान में उल्‍लेखित मूल्‍यों का पालन करने के लिए मजबूती से प्रयास करना होगा। आज की चर्चा से यह साफ हो गया है कि सांप्रदायिक, अलगाववादी और फिरकापरस्‍त ताकतें हमारी राष्‍ट्रीय एकता, सौहार्द और समानता के लिए खतरा हैं तथा इनके साथ सख्‍ती से निपटना होगा। यह धारणा आज जो प्रस्‍ताव पारित हुआ है, उसमें भी नजर आती है। सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को रोकने की प्रमुख जिम्‍मेदारी स्‍थानीय प्रशासन और पुलिस बल की है। यह काम न केवल प्रशासन और पुलिस का है, बल्कि पूरी जनता और खासतौर से राजनीति में हिस्‍सा लेने वाले लोगों का भी है। इसके अलावा यह काम सभी नागरिकों को मिल जुलकर करना होगा। यह हम सबकी सम्मिलित जिम्‍मेदारी है कि हम सक्रिय रूप से ऐसा शांतिपूर्ण महौल तैयार करें, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द कायम रह सके।

अब समय आ गया है कि हम इस काम के प्रति अपने आप को एक बार फिर समर्पित करें और यह सुनिश्चित करें कि परिषद में व्‍यक्‍त किये गये विचार सांप्रदायिक हालात को सुधारने, अनुसूचित जातियों एवं जन-जातियों की उत्‍पीड़न को रोकने, मैला उठाने की परंपरा को समाप्‍त करने और महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिए कारगर हों।

ऐसा करने पर ही हम धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और बहुलता वाली भारत का निर्माण कर पाएंगे, जहां प्रत्‍येक नागरिक को समान अवसर प्राप्‍त होंगे।

इन शब्‍दों के साथ मैं आप सबको आपके मूल्‍यवान विचारों और मशविरों के लिए एक बार फिर धन्‍यवाद देता हूं।