भाषण [वापस जाएं]

April 24, 2013
नई दिल्ली


पंचायती राज दिवस- 2013 समारोह में प्रधानमंत्री का उद्बोधन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस-2013 समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री का उद्बोधन इस प्रकार है:-

"राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर आयोजित आज का यह समारोह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आज भारतीय संविधान में किए गए 73वें संशोधन को लागू होने के दो दशक पूरे हो रहे हैं। इस संशोधन से पंचायत संस्थाओं को लोकल सेल्फ-गवर्नेन्स इकाइयों के रूप में एक नई पहचान मिली है ।

लोकल सेल्फ-गवर्नेन्स की कल्पना कम.से.कम 19वीं शताब्दी के आखिरी भाग से हमारे देश में राजनैतिक विचारों का अहम हिस्सा रही है। हमारी आजादी की लड़ाई से संबंधित राजनैतिक विचारधारा में इस पर खास ज़ोर दिया गया था।

आजादी के बाद पंचायतों की भूमिका को नई दिशा देने की कई कोशिशें की गईं। इसके लिए कई समितियाँ गठित की गईं जिनमें बलवन्त राय मेहता समितिए अशोक मेहता समिति और दंतवाला समिति शामिल थीं। इन सभी समितियों ने पंचायतों को ज़्यादा अधिकार तथा वित्तीय शक्तियाँ देने की सिफारिशें कीं। लेकिन इन तमाम कोशिशों के बावजूद पंचायतों को असली तौर पर प्रभावी शक्तियाँ पूरी तरह हासिल नहीं हो सकीं। ज्यादातर मामलों में समय पर चुनाव नहीं कराए गए। विकास कार्यों को लागू करने की जिम्मेदारी ज़्यादातर स्थानों पर अधिकारियों के पास ही रही। कुल.मिलाकरए हमारी शासन व्यवस्था अपनी शक्तियों को दूसरों के साथ बांटना नहीं चाहती थी।

यह बात सही है कि हमारी आजादी के शुरुआती सालों में सेंट्रलाइज्ड प्लानिंग ने राष्ट्र.निर्माण में एक बहुत अहम भूमिका निभाई थी । लेकिनए भारत जैसे बड़े और विविध देश में सही मायनों में इनक्लूसिव विकास हासिल करने के लिए डिसेंट्रलाइजेशन बहुत ज़रूरी है। आखिरकारए तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी के नैतिक साहस और आदर्शवादी सोच की वजह से ष्बुनियादी स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करनेष् की दिशा में हम आगे बढ़ सके। राजीव जी का सपना था कि पंचायती राज के जरिए लोकतंत्र और शासन भारत के हर चौपालए हर चबूतरेए हर आंगन और हर दालान तक पहुँच पाए।

अप्रैल 1993 में 73वें संशोधन ने लोकल सेल्फ-गवर्नेन्स संस्थाओं को हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में पूरी तरह से शामिल किया।

इस संशोधन का असर बहुत से क्षेत्रों में महसूस किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर आर्टिकल 243 ई में चुनाव से संबंधित संवैधानिक प्रावधान अब जस्टिसिएबल हैए और वक्त पर चुनाव कराने में इससे मदद मिलती है।

इसी प्रकारए पंचायतों में सीटों और अध्यक्ष के पद पर आरक्षण के लिए आर्टिकल 243 डी में प्रावधान किए गए हैं। इसके नतीजे में समाज के सदियों से पिछड़े तबकों जैसे महिलाएंए अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां लोकल बॉडीज में नेतृत्व वाले पद हासिल कर पाए हैं। कई राज्यों ने अपनी लोकल बॉडीज में अन्य पिछड़े वर्गों और महिलाओं के आरक्षण के लिए कानून बनाए हैं। 15 राज्यों ने पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण देने के लिए भी कानून बनाए हैंए जो महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से हकदार बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम हो सकता है।

इन सभी कोशिशों का अच्छा असर हुआ है। दुनियाभर के रिसर्चर्स ने यह पाया है कि भारत में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को विकास प्रक्रिया में शामिल करने के लिए जो कार्रवाई की गई है उसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। पंचायतों के कामों में लोगों की भागीदारी बढ़ी हैए लोगों की आशाओं के अनुसार खर्च संबंधी फैसले भी लिए गए हैं और लोग राजनैतिक रूप से ज्यादा जागरूक हुए हैं। लेकिन यह बहुत लम्बा सफ़र है। अभी बहुत कुछ तय करने की ज़रुरत है ।

संविधान के आर्टिल 243 जी के तहत पंचायतों को ज़िम्मेदारियां और शक्तियां सौंपने के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। कोई राज्य सरकार किस हद तक यह काम करती है यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह डिसेंट्रलाइज्ड शासन को पब्लिक सर्विसेज डिलीवरी के लिए कितना उपयोगी मानती है। केन्द्र सरकार फंड्स, फंक्शन्स और फंक्शनरीज को पंचायतों को सौंपने में अच्छा काम करने वाले राज्यों को पुरस्कार देकर उनके प्रयासों का सम्मान करती है। पंचायतों को भी इस बात के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं कि उन्होंने लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक सर्विसेज डिलीवरी को बेहतर बनाने की दिशा में क्या पहल की है।

वर्ष 2011.12 के दौरान 170 पंचायतों को उनके अच्छे प्रदर्शन और खास तौर पर स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचाने के नए नए कामों के लिए सम्मानित किया गया। आज भी हम ऐसी ही 193 पंचायतों के कार्यों को सम्मानित करेंगे। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और दूसरों से अनुरोध करता हूं कि वे भी इस तरह की कोशिशें करें।

हालांकि लोकल गवर्नमेंट्स विकास प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकती हैंए फिर भी उनकी सफलता अक्सर बाहरी वजहों पर निर्भर करती है। आजए मैं ऐसे ही दो वजहों का ज़िक्र करना चाहूंगा।

पहलाए स्थानीय निर्वाचित सदस्यों में यह क्षमता होनी चाहिए कि वह स्थानीय लोगों की जरूरतों को समझ सकें और उन्हें पूरा करने की भरपूर कोशिश करें । इसीलिए पंचायती राज मंत्रालय पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और उनके स्टाफ की क्षमताएं बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है। यह मंत्रालय पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कोशिशों का भी समर्थन कर रहा है। मेरा मानना है कि इन प्रयासों को लगातार जारी रखे जाने की ज़रूरत है।

दूसराए हमें हमेशा यह ख्याल रखना होगा कि पंचायती राज का मकसद डिसेंट्रलाजेशन है जिसमें लोगों को खुद शासन की व्यवस्था चलाने का असली हक मिल पाए। हमें यह कोशिश करनी है कि यह केवल एक नारा बनकर न रह जाएए बल्कि हमारे अपने जीवनकाल में एक हकीकत बने। इसके लिए हमें सही मायनों में शक्तियां और जिम्मेदारियां निर्वाचित प्रतिनिधियों को देनी होंगी। मुझे अक्सर यह शिकायतें मिलती हैं कि केन्द्र और राज्यों की नौकरशाही अभी भी अपने अधिकार कम होते नहीं देखना चाहती या अपने अधिकारों को लोकल बॉडीज के साथ पूरी तरह बांटना नहीं चाहती। इस सोच को बदलने की और बहुत जल्द बदलने की ज़रूरत है।

12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत केन्द्र सरकार पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान लागू कर रही है। पंचायतों को मजबूत बनाने की राज्य सरकारों की कोशिशों में मदद करने के लिए हमने 12वीं योजना में पहले से कहीं ज्यादा राशि मुक़र्रर की है। इस मकसद के लिए बजटीय सहायता करीब 10 गुना बढ़ाकर 11वीं पंचवर्षीय योजना के 668 करोड़ रुपये की तुलना में 6437 करोड़ रुपये कर दी गई है।

मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें इस राशि का पूरा इस्तेमाल लोकल सेल्फ-गवर्नमेंट की संस्थाओं को मज़बूत करने में करेंगी। हमारा आपसे यह वायदा है कि केन्द्र सरकार इस काम में राज्य सरकारों को हर मुमकिन मदद देगी ताकि हमारी विकास प्रक्रिया ज़्यादा इन्क्लूसिव और सस्टेनेबल बन सके।

मेरा मानना है कि पंचायत राज संस्थाओं को असल तौर पर शक्तियां और जिम्मेदारियां देने के लिए हमें अभी बहुत काम करना बाकी है। अब तक जो कामयाबियां इस काम में हमने हासिल की हैं उन्हें तेज़ी से आगे बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि राजीव जी का सपना पूरा हो और पंचायतें हमारी लोकतांत्रिक और विकास प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकें।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आप सभी को आज यहां उपस्थित होने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा।

जय हिन्द।"