भाषण [वापस जाएं]

April 15, 2013
नई दि‍ल्‍ली


एनडीटीवी इंडियंस ऑफ द ईयर अवार्ड समारोह में प्रधानमंत्री का भाषण

नई दि‍ल्‍ली में आज एनडीटीवी के इंडि‍यंस ऑफ द ईयर अवार्ड समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:-

मेरे लिए आज आप विशिष्‍ट लोगों के बीच आना बड़े हर्ष की बात है। मैं एनडीटीवी की ओर से उत्‍कृष्‍ट लोगों को दिए गए सम्‍मान में शरीक हो रहा हूं। ये पुरुष और महिलाएं हमारे देश के बहादुर, श्रेष्‍ठ और उज्‍ज्‍वल बेटे-बेटियों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं।

मुझे इस बात की विशेष खुशी है कि एनडीटीवी ने उस असाधारण बहादुर युवती को सम्‍मानित किया है, जो पिछले दिसंबर में दिल्‍ली में नृशंस हमले की शिकार हुई। उसका साहस और जीवन के प्रति उसका जोश हमारे लोगों को हमेशा प्रेरित करेगा। हम सभी को इस संकल्‍प के साथ उसके प्रति श्रद्धांजलि देनी होगी कि हम उसका जीवन व्‍यर्थ नहीं जाने देंगे और अपने विशाल देश में महिलाओं की सुरक्षा और सम्‍मान को बढ़ावा देने का काम करेंगे।

महिलाओं के विरुद्ध घृणित अपराधों से कारगर ढंग से निपटने के लिए और आपराधिक कानून में बदलाव की सिफारिश करने के लिए जो समिति बनी थी उसमें न्‍यायमूर्ति जे.एस. वर्मा, श्री गोपाल सुब्रह्मण्‍यम और न्‍यायमूर्ति लीला सेठ के शानदार कार्यों की मैं चर्चा करूंगा। ये ऐसा अवसर था जब सरकार की ओर से गठित समिति ने समय से पहले अपना कार्य सफलतापूर्वक संपन्‍न किया। विधि क्षेत्र के इन तीन महान लोगों के परिश्रम से सरकार के लिए कानून को मजबूत बनाना और महिलाओं के विरुद्ध अपराध से कारगर ढंग से निपटना आसान हुआ है। मैंने पहले भी कहा है कि हमारे देश में महिलाओं की रक्षा और उन्‍हें अधिक सुरक्षित बनाने से भी आवश्‍यक उनका सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण है। हमारी सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगी।

दो अन्‍य शानदार और उत्‍कृष्‍ट व्‍यक्तित्‍व हैं जिनके जीवन और कार्य को इस अवसर पर हम सम्‍मानित कर रहे हैं। दुर्भाग्‍य से ये दोनों विभूतियां हमारे बीच नहीं हैं। सितार वादक के रूप में पंडित रविशंकर की उत्‍कृष्‍टता सर्वविदित है। वे पूरी दुनिया में भारतीय संगीत का प्रतिनिधित्‍व करते थे और हमारे देश की संस्‍कृति के असाधारण प्रतिरूप थे। उनकी सृजनात्‍मकता हमारे देश के लोकसंगीत का हिस्‍सा है। दूसरी विभूति थे श्री यश चोपड़ा। उन्‍होंने फिल्‍म के माध्‍यम से लोगों की सेवा की। उनकी फिल्‍मों से देश की पीढि़यों को शिक्षा और मनोरंजन मिला। मैं इन दो महान कलाकारों को विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं।

देवियों और सज्‍जनों,

मुझे यह बताया गया है कि आज एनडीटीवी की स्‍थापना की 25वीं वर्षगांठ है। एनडीटीवी की 25 वर्षों की इस सफल यात्रा का श्रेय महान व्‍यक्तित्‍व और उसके संस्‍थापक डॉ. प्रणय रॉय को जाता है। 25 वर्ष पहले उन्‍होंने उस क्षेत्र को चुना, जिसमें जोखिम उठाने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। यह उनके अदम्‍य साहस का प्रतीक है। उनकी दृढ़ता और उनकी योग्‍यता तथा उनके साथ काम करने वाले योग्‍य और प्रखर लोगों के कारण एनडीटीवी का मीडिया में एक ब्राण्‍ड बन गया और एनडीटीवी के पेशेवर दृष्टिकोण और आचार के लिए उसे सम्‍मान दिया जाता है। मैं डॉ. प्रणय रॉय और उनकी टीम को उच्‍च मानक बनाए रखने के लिए धन्‍यवाद देता हूं।

एनडीटीवी की पिछले 25 वर्षों की कारोबारी अवधि व्‍यापक रूप से देश में आर्थिक सुधार की अवधि रही है। मीडिया ने आर्थिक सुधार में सहयोग किया है और उसका लाभ भी हासिल किया है। बढ़ी आर्थिक गतिविधियों के कारण सूचना वृद्धि की जरूरत हुई और दूरसंचार प्रौद्योगिकी में विकास हुआ। इस कारण देश में टेलीविजन चैनलों की संख्‍या में भी वृद्धि हुई। एनडीटीवी ने निजी टेलीविजन कंपनी के रूप में जिस समय प्रवेश किया था, तब हमारे देश में सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के रूप में केवल दूरदर्शन था। आज लगभग दो दर्जन भाषाओं में हमारे यहां 800 से अधिक चैनल हैं। देश के आधे से अधिक घरों में टेलीविजन सेट पहुंच गए हैं।

मीडिया क्षेत्र में परिवर्तन की यह प्रक्रिया डिजिटाइजेशन के साथ जारी है। अभी डिजि‍टाइजेशन का दूसरा चरण चल रहा है। डिजिटाइजेशन से प्रसारणकर्ताओं को नए बाजार की तलाश में मदद मिलेगी, आय का समुचित बंटवारा होगा और सबसे अधिक लाभ उपभोक्‍ताओं को बेहतर सेवा और बहुविकल्‍प के साथ मिलेगा। मैं आशा करता हूं कि इससे टेलीविजन कंपनियों की राजस्‍व प्रणाली भी पहले से अधिक स्‍वस्‍थ और मजबूत होगी।

देवियों और सज्‍जनों,

मैं हमेशा यह मानता हूं कि राष्‍ट्र निर्माण में मीडिया का महत्‍वपूर्ण योगदान है। हम मीडिया से आशा करते हैं कि न केवल वह घटनाओं की सटीक और विश्‍वसनीय रिपोर्टिंग करेगा, बल्कि सामाजिक और आर्थिक अन्‍याय को उजागर कर समस्‍याओं के निराकरण का रास्‍ता दिखाएगा। हम मीडिया से उम्‍मीद करते हैं कि वह किसी कार्य विशेष के बाद उसके लाभ और परिणामों के बारे में सूचित कर जनमत तैयार करेगा। हम इससे उम्‍मीद करते हैं कि वह सरकार की कमियों को उजागर कर प्रशासनिक व्‍यवस्‍था की कारगरता को सुधारने में मदद करेगा। वास्‍तव में यह अपेक्षाओं की कठिन सूची है।

मेरा यह भी विश्‍वास है कि हमारे देश में मीडिया ने संतुलन बनाए रखा है। हम मीडिया की स्‍वतंत्रता को लेकर समुचित कारणों से गर्व कर सकते हैं। कई समाचार पत्र और टी.वी. चैनल हैं, जिनके कार्य उच्‍चस्‍तरीय हैं और उन्‍होंने कई ऐसे मसले उठाए हैं जो हमारे देश और समाज के लिए अति महत्‍वपूर्ण हैं। हम रोजाना अखबारों और टी.वी. स्‍क्रीन पर सटीक, निष्‍पक्ष और शोधपूर्ण रिपोर्टिंग के उदाहरण पाते हैं। मैं सोचता हूं कि हमारा मीडिया हमारे देश, समाज और सरकार के कामकाज को लेकर लोगों को सूचित और शिक्षित करने में सफल रहा है।

लेकिन कुछ चूक भी हुई है। हम कभी-कभार व्‍यक्तिगत और राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित सनसनीखेज खबरें भी देखते हैं। गंभीर मसलों को हल्‍का और महत्‍वहीन बना दिया जाता है, जिससे कभी-कभी गलत जानकारी फैलती है। मीडिया क्षेत्र के लिए चुनाव के समय ‘‘पेड़ न्‍यूज’’ की बात चिंता का विषय होना चाहिए। मेरा यह मत है कि इन समस्‍याओं से निपटने के लिए मीडिया को स्‍वयं कारगर रास्‍ते और उपाय तलाशने होंगे।

देवियों और सज्‍जनों,

मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि एनडीटीवी ने स्‍कूली शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, पर्यावरण संरक्षण और प्रशासन में पारदर्शिता जैसे महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय मसलों पर अभियान चलाया है। मैं आशा करता हूं कि आने वाले समय में और टी.वी. चैनल इस तरह के प्रयास करेंगे।

मैं एनडीटीवी और पुरस्‍कार पाने वाले व्‍यक्तियों के भविष्‍य की कामना के साथ अपनी बात समाप्‍त करता हूं।

एनडीटीवी ने अपने अस्‍तित्‍व के 25 वर्षों में सम्‍मानपूर्वक अपने देश की सेवा की है, लेकिन साहस के साथ मैं सोचता हूं कि अभी श्रेष्‍ठ आना बाकी है और इसके लिए प्रणय रॉय को हार्दिक शुभकामना।