भाषण [वापस जाएं]

March 19, 2013
नई दिल्‍ली


मिस्र के राष्‍ट्रपति के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

मिस्र के राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद मोरसी के साथ नई दिल्‍ली में बैठक के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ओर से जारी वक्‍तव्‍य निम्‍नलिखित है:-

''हमारे देश की राजकीय यात्रा पर आये मिस्र के राष्‍ट्रपति, महामहिम मोहम्‍मद मोरसी का स्‍वागत करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्‍नता हो रही है। मैं इस बात की तहेदिल से सराहना करता हूं कि अपनी घरेलू प्रतिबद्धताओं के बावजूद वे भारत की राजकीय यात्रा पर आये हैं। इससे हमारे संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उनकी निजी प्रतिबद्धता जाहिर होती है।

राष्‍ट्रपति श्री मोरसी और मेरे बीच अभी-अभी बहुत व्‍यापक और उपयोगी विचार विमर्श हुआ, जो दोनों देशों के प्रगाढ और मैत्रीपूर्ण सम्‍बंधों की विशिष्‍ट प्रकृति को दर्शाता है। मिस्र के बेहद महत्‍वूपर्ण दौर में हुई उनकी यह यात्रा हमारे संबंधों में नई जान डालने तथा हमारे संपर्क और सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर है।

हमने जनवरी, 2011 के बाद से मिस्र में जारी ऐतिहासिक राजनीतिक बदलाव के बारे में भी चर्चा की। मैंने मिस्र में लोकतंत्र के नये युग का सूत्रपात करने की दिशा में मिस्रवासियों के साहस और बलिदानों की सराहना की। मैंने राष्‍ट्रपति श्री मोरसी के प्रति पूर्ण समर्थन व्‍यक्‍त किया है और अपने अनुभव उपलब्‍ध कराने की पेशकश की है, जबकि वे लोकतंत्र, सामाजिक न्‍याय तथा समावेशी आर्थिक विकास के लिए सशक्‍त संस्‍थानों और रूपरेखा बनाने में अपने राष्‍ट्र का नेतृत्व कर रहे हैं। मैं समझता हूं कि मिस्र का सफल परिवर्तन क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए एक महत्‍वपूर्ण मॉडल साबित होगा।

राष्‍ट्रपति श्री मोरसी और मैं इस बात पर सहमत हैं कि भारत और मिस्र में सहयोग बढ़ाने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। हमारी आर्थिक भागीदारी की संभावनाएं काफी ज्‍यादा हैं। हम इस बात पर सहमत है कि सूचना प्रौद्योगिकी, सेवाएं, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, छोटे और मझौले उद्यम, विनिर्माण, उर्वरक और अक्षय ऊर्जा सहयोग के महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में शुमार है। मिस्र की अफ्रीका और एशिया के बीच पुल समान स्थिति उसे प्रमुख वैश्विक व्‍यापार मार्ग बनाती है, कुशल मानव संसाधनों के साथ वह भारत के लिए व्‍यापार का एक आर्कषक स्‍थल है।

हमारे बीच सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रमों, कौशल विकास, उच्‍च शिक्षा, कृषि और स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल में रचनात्‍मक भागीदारी बनाने पर भी स‍हमति बनी है। हमने रक्षा संबंधी आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्‍यक्‍त की है।

आज जिन समझौतों पर हमने हस्ताक्षर किये है वे हमारे संबंधों को नई गतिशीलता प्रदान करने की हमारी इच्‍छा को स्‍पष्‍ट रूप से जाहिर करते हैं।

राष्‍ट्रपति श्री मोरसी और मेरे बीच विभिन्‍न क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय मसलों पर भी विचार-विमर्श हुआ। खाड़ी, पश्चिम एशिया और उत्‍तर अफ्रीकी क्षेत्र में शांति और स्थिरता हम दोनों के हित में है। मैंने फिलीस्‍तीन के मसले पर दृढ़ समर्थन व्‍यक्‍त किया और फिलीस्‍तीनी संगठनों में एकता कायम करने तथा काफी समय से लम्बित इस मसले को सुलझाने के प्रयासों में मिस्र द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की।

हमने सीरिया की बिगड़ती हालत पर भी चर्चा की और वहां जारी हिंसा तथा मासूमों की मौतों की निंदा की। हम इस बात पर सहमत है कि सभी मसलों को शांतिपूर्ण ढ़ग से सुलझाने के लिए तत्‍काल बातचीत किये जाने की जरूरत है।

राष्‍ट्रपति श्री मोरसी और मैंने जलवायु परिवर्तन, भोजन और ऊर्जा सुरक्षा तथा आतंकवाद जैसी समान चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग बढ़ाने के महत्‍व पर बल दिया। हमारे बीच विकासशील देशों को प्रभावित करने वाले मसलों पर प्रयासों में तेजी लाने तथा संयुक्‍त राष्‍ट्र जी-77 तथा गुटनिपेक्ष आंदोलन सहित विभिन्‍न अंतर्राष्‍ट्रीय मंचों पर सहयोग और तालमेल बढ़ाने पर भी सहमति बनी।

अपनी बात समाप्‍त करने से पहले मैं इस बात का उल्‍लेख करना चाहता हूं कि व्‍यापक सद्भावना और विश्‍वास तथा ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक और धार्मिक संबंधों ने भारत और मिस्र के लोगों को जोड़ रखा है। राष्‍ट्रपति मोरसी और मैं इस बात पर सहमत है कि ये दोनों देशों के बीच सशक्‍त और द्विपक्षीय संबंध और अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध बनाने की आधारशिला रख सकते हैं।"