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December 27, 2012
नई दिल्ली


राष्ट्रीय विकास परिषद की 57वीं बैठक में प्रधानमंत्री का समापन संबोधन

राष्ट्रीय विकास परिषद की 57वीं बैठक में अपने समापन संबोधन में प्रधानमंत्री ड़ॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में कहा कि इस अवसर पर पूरे दिन गहन विचार-विमर्श किया गया। प्रधानमंत्री ने इलेक्ट्रानिक समय सीमा का पालन करने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के लिखित भाषणों में उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर पूरी तरह से ध्यान दिये जाने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि इन सभी बिंदुओं पर योजना आयोग द्वारा ध्यानपूर्वक विचार किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना दस्तावेजों के मुताबिक बहुत से बिंदुओं पर व्यापक रूप से सहमति जतायी गयी है। डॉ. सिंह ने कहा कि कुछ बिंदुओं में अलग महत्व के सुझाव भी दिये गये हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक योजना एक कठोर ब्लू प्रिंट नहीं है बल्कि यह एक व्यापक दिशात्मक और आकांक्षापूर्ण दस्तावेज है जिसे अनुभव के आधार पर संशोधन की अनुमति मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना को कार्यांवित करते समय इस बात को भी ध्यान में रखा जाएगा कि इसमें आगे बढ़ने के साथ राज्यों के साथ सुधारों और संशोधनों पर विचार-विमर्श भी किया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा आठ प्रतिशत के विकास लक्ष्य से कम रहने पर टिप्पणी की गयी है। कुछ मुख्यमंत्रियों ने यह माना है कि विकास पर बाहरी दबावों का प्रभाव है। कुछ मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे उच्चतर विकास दर का लक्ष्य रखेंगे और उनका यह दृंढ़ संकल्प स्वागत योग्य है। कुछ राज्यों ने औसत से बेहतर रहने की उम्मीद जताई है और उनके प्रयासों की भी सराहना की जानी चाहिए।

कई मुख्यमंत्रियों ने कृषि, ऊर्जा, अन्य बुनियादी ढ़ांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों की महत्ता पर जोर दिया है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दस्तावेज इन प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। कुछ मुख्यमंत्रियों ने पिछड़े राज्यों के साथ-साथ इन राज्यों के पिछड़े क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस चिंता में पूरी तरह से उनके साथ हैं। न्यून-आय स्तर के राज्य वित्त-आयोग के द्वारा उपयोग किये जा रहे फार्मूले के अंतर्गत अधिक संसाधन पहले से ही प्राप्त कर रहे हैं। इन राज्यों को सामान्य केंद्रीय सहायता के वितरण के लिए योजना आयोग द्वारा उपयोग किये जा रहे गाड़गिल-मुखर्जी फार्मूले से सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके पास पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (बीआरजीएफ) के साधन हैं। बीआरजीएफ के अंतर्गत 11वीं योजना में बड़ी संख्या में जिलों को विशेष सहायता मिली है। बिहार, उड़ीसा के केबीके जिले, मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड जिले और हाल ही में प.बंगाल के लिए राज्य विशेष पैकेज हैं।

योजना आयोग वर्तमान में बीआरजीएफ की संरचना को पुर्नगठित करने पर काम कर रहा है जो अगले वर्ष से प्रभाव में आ जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अत्यंत पिछड़े जिलों की विशेष जरूरतों को पहचानने की मुख्यमंत्रियों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिहं ने कहा कि कई मुख्यमंत्रियों ने ऊर्जा संयत्रों को प्रभावित करने वाली ईधन उपलब्धता की समस्या की ओर ध्यान खींचा है। वास्तव में यह एक ऐसी समस्या है जिससे शीघ्र निपटने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने इस मामले में योजना आयोग को स्थिति की शीघ्र समीक्षा करके तीन हप्तों के भीतर उन्हें इसकी रिपोर्ट देने को कहा है। प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे बेहद प्रभावित संयत्रों के विवरण योजना आयोग के उपाध्यक्ष को लिखित में दें।

प्रधानमंत्री ने कुछ राज्यों में सौर-ऊर्जा जैसी पहलों पर भी खुशी जताई। उन्होंने योजना आयोग से इस मामले में अधिक बेहतर कार्य करने के लिए विभिन्न राज्यों में विचाराधीन अभिनव कदमों की समीक्षा करने को भी कहा। अपने समापन भाषण के अंत में उन्होंने बैठक में भाग लेने वाले सभी प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के सहयोग पर उन्हें धन्याद भी दिया।