भाषण [वापस जाएं]

October 10, 2012
नई दिल्‍ली


सीबीआई और राज्‍यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के 19वें सम्मेलन में प्रधानमंत्री का भाषण

सीबीआई और राज्‍य भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो के आज नई दिल्‍ली में 19वें सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का भाषण का सार इस प्रकार है:

सबसे पहले मैं कहना चाहूंगा कि मैं इसे एक महत्‍वपूर्ण सम्‍मेलन मानता हूं, जो भ्रष्‍टाचार रोधी उपायों के लिए सीधे तौर पर जिम्‍मेदार पुलिस अधिकारियों को नये विचारों और प्रस्‍तावों पर विचार विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है। मैं समझता हूं कि दो वर्ष में एक बार आयोजित करने की बजाय इस वर्ष से यह सम्‍मेलन हर वर्ष आयोजित किया जाएगा। हमारे देश में शासन प्रणाली और प्रशासन में समय के साथ तेजी से होने वाले परिवर्तनों और भ्रष्‍ट तरीकों में लिप्‍त लोगों द्वारा अपनाई जा रही कार्य प्रणाली को ध्‍यान में रखते हुए यह एक स्‍वागत योग्‍य कदम है।

हमने अभी देखा कि सीबीआई के अधिकारियों ने अपनी उपलब्धियों के लिए पदक प्राप्‍त किए हैं। मैं उनकी उल्‍लेखनीय सेवाओं के लिए उन्‍हें बधाई देना चाहता हूं। मुझे उम्‍मीद है कि आने वाले समय में अन्‍य लोग भी उनका अनुसरण करेंगे। मैं समझता हूं कि इस सम्‍मेलन का विषय है : आर्थिक विकास : भ्रष्‍टाचार निरोधक एजेंसियों की भूमिका। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे खोजना जरूरी है। हमारे देश की भ्रष्‍टाचार निरोधक एजेंसियां आर्थिक विकास स्‍तर के साथ अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। यह चुनौतियां और भी जटिल हो जाती हैं अगर आर्थिक विकास की गति तेज हो, जैसी कि पिछले दो दशक से हमारे देश में है। हमारी भ्रष्‍टाचार निरोधक एजेंसियों से जिन जिम्‍मेदारियों को निभाने की अपेक्षा की जाती है, वह इन बीस वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। इनका दायरा बढ़ गया है और मैं कहूंगा कि ये अधिक जटिल और विशेष तरह की हो गई हैं।

1990 के शुरू किये गए आर्थिक सुधारों ने अनेक पुरानी भ्रष्‍ट परीपाटियां, जो नियंत्रणों और लाइसेंस परमिट राज से जुड़ी थी, को कम कर दिया है । इनके परिणामस्‍वरूप आर्थिक विकास की गति तेज हुई और आर्थिक गतिविधि के नये क्षेत्र सामने आए। अर्थव्‍यवस्‍था के विस्‍तार के साथ बदले में भ्रष्‍टाचार के लिये नये अवसर सामने आने लगे। चूंकि हमारी अर्थव्‍यवस्‍था आगे बढ़ रही है और विकसित वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के साथ संघटित हो रही है, हमारी भ्रष्‍टाचार निरोधक एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती है कि वह तेजी से हो रहे विकास के अनुरूप प्रगति करे।

आज हमारी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकासोन्मुखी मॉडलों का अनुसरण किया जा रहा है, जो दिन-प्रतिदिन अत्याधुनिक होते जा रहे हैं। इस वजह से आर्थिक नीति को तैयार करने और उसके कार्यान्वयन में शामिल जटिलताओं को समझे बिना अनेक मामलों में जांच एजेंसियों के लिए सही निष्कर्ष तक पहुंचना कठिन हो जाता है।

इस कारण हमारी जांच एजेंसियों को भ्रष्टाचार के नए तरीकों से निपटने के लिए अपनी कार्यकुशलता और तकनीक को लगातार उन्नत करना होगा। नौकरी के दौरान नियमित प्रशिक्षण और दुनियाभर में शीर्ष भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से इस प्रक्रिया में मदद मिलेगी। मुझे बताया गया है कि सीबीआई अकादमी धीरे-धीरे उत्कृष्टता का केंद्र बन गई है और मैं सभी राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कहना चाहूंगा कि वे अपने अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए सेवाओं का अधिकतम इस्तेमाल करें। मुझे विश्वास है कि सीबीआई और राज्य भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के बीच क्षमता निर्माण में सहयोग का दोनों को लाभ मिलेगा।

हालांकि अच्छा प्रशिक्षण और योग्यता जरूरी है। फिर भी अनेक मामलों में इतना ही होना पर्याप्त नहीं है। मैं सीबीआई और अन्य भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों से आग्रह करता हूं कि वे ऐसे पेशेवरों को शामिल करें जिनके पास विशेषज्ञता हो और जो जटिल मामलों में निष्पक्ष जांच कर सकें। साथ ही, आर्थिक अपराधों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ स्थापित संस्थानों का दायरा बढ़ाया जाए और इन्हें पुलिस की पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों तक ही सीमित न रखा जाए। इस संबंध में खुला दृष्टिकोण अपनाने से हमारी जांच की विश्वसनीयता और विश्‍वास बढ़ाने में मदद मिलेगी।

हमारी सरकार सार्वजनिक प्राधिकारों के कामकाज में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले वर्ष इस सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए, मैंने ऐसे कुछ कदमों का जिक्र किया था जो हमने उठाए हैं या उठाने जा रहे हैं। आज, मैं बताना चाहूंगा कि हाल ही में हमने दो पहल की हैं जिनमें अर्थव्यवस्था और राज्‍य व्‍यवस्‍था में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं।

हाल ही में हमने ऐसी व्‍यवस्‍था की है जिसमें सामाजिक क्षेत्र की विभिन्‍न योजनाओं के अंतर्गत सरकार से मिलने वाले लाभ को उस व्‍यक्ति के बैंक खाते में सीधे हस्‍तांतरित कर दिया जाएगा। इसमें छात्रवृत्ति और पेंशन जैसे लाभ शामिल हैं और साथ ही सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ गैर नगदी सब्सिडी भी शामिल है। इसका उद्देश्‍य लोगों को सरकारी सहायता देते वक्‍त होने वाली बर्बादी और लीकेज को रोकना तथा पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। हमारी आधार नम्‍बरों का फायदा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की योजना है जो 20 करोड़ लोगों को प्रदान किये जा चुके हैं।

हम भ्रष्‍टाचार निरोधक कानून में संशोधन करने पर भी विचार कर रहे हैं, ऐसा न केवल न्‍यायिक फैसलों के मद्देनजर बल्कि कानून में कुछ अंतराल को भरने और इन्‍हें वर्तमान अंतर्राष्‍ट्रीय कार्य प्रणाली के समकक्ष्‍ा लाने के उद्देश्‍य से किया जाएगा। ‘भ्रष्‍टाचार’ शब्‍द के लिए एक स्‍पष्‍ट परिभाषा दी जाएगी जिसमें आपूर्ति और मांग दोनों पक्ष शामिल होंगे। अनुभवों से पता चलता है कि अधिकतर मामलों में, सहमतिजन्‍य रिश्‍वतखोरी से निपटना कठिन है और रिश्‍वत देने वाला कानून के प्रावधानों का सहारा लेकर बिना सजा के घूमता है। प्रस्‍तावित संशोधनों में इस पर ध्‍यान दिया जाएगा। अनुभवों से यह बात भी सामने आई है कि आमतौर पर बड़े टिकट भ्रष्‍टाचार का संबंध बड़ी व्‍यावसायिक कंपनियों के व्‍यापार से होता है। इसलिए आपूर्ति की तरफ रिश्‍वतखोरी को रोकने के लिए कार्पोरेट विफलता को भी नये अपराध के रूप में शामिल करने का प्रस्‍ताव रखा गया है। हम इस बात का पता लगा रहे हैं कि ईमानदार सरकारी अधिकारियों का अधिक प्रभावकारी तरीके से बचाव करने के लिए इस कानून में कैसे संशोधन किया जा सकता है।

भ्रष्‍टाचार से लड़ने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मैं ईमानदार सरकारी अधिकारियों का बचाव करने और कार्यपालिका का मनोबल बनाए रखने की जरूरत पर जोर देता हूं। मैंने पहले के सम्‍मेलनों में भी यही बात कही थी, लेकिन मैं समझता हूं कि इसे फिर दोहराया जाना चाहिए। भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर नकारात्‍मक सोच रखने का कोई फायदा नहीं होगा। इससे केवल हमारे देश की छवि को नुकसान पहुंचेगा और कार्यपालिका का मनोबल टूटेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भ्रष्‍ट लोगों को सजा मिले और निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए। मैं पिछले आठ वर्ष से प्रत्‍येक सम्‍मेलन में यह बात कहता रहा हूं।

इस तरह के सम्‍मेलन हमें यह याद दिलाने का अवसर है कि हम उन सिद्धांतों का पालन करें जिससे हम कठोर परिश्रम, निष्‍पक्षता, ईमानदारी, भयमुक्‍त और दृढ़ होकर अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन कर सकें। मुझे उम्‍मीद है कि आप इस सम्‍मेलन से जाने के बाद इन मूल्‍यों का और अधिक दृढ़ होकर पालन करेंगे। मुझे उम्‍मीद है कि आप उन मामलों से हतोत्‍साहित नहीं होंगे जहां जांच में सफलता नहीं मिली या प्रकट रूप से सफल जांच में दोषसिद्धि नहीं हो पाई। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि प्रत्‍येक ऐसे मामले पर आत्‍मविश्‍लेषण करें ताकि आप अपनी कार्यकुशलताओं और क्षमताओं को लगातार बढ़ा सकें। ये कुछ विचार थे जो मैं आज आपके साथ बांटना चाहता था । मैं कामना करता हूं कि आपके पेशेवर प्रयास सफल हों। मुझे उम्‍मीद है कि आप हमारे समाज और देश के सामने मौजूद बुराइयों से निपटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

जय हिन्‍द।