भाषण [वापस जाएं]

October 9, 2012
नई दिल्‍ली


ऊर्जा उपलब्‍धता पर आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी में प्रधानमंत्री का उद्घाटन भाषण

प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्‍ली में ऊर्जा उपलब्‍धता पर आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के उद्घाटन भाषण का विवरण इस प्रकार है-

मुझे आज यहां ऊर्जा उपलब्‍धता और पहुंच (एनर्जी एक्‍सेस) पर आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी में शामिल होने पर बहुत प्रसन्‍नता हो रही है। सभी के लिए सतत् ऊर्जा के अंतर्राष्‍ट्रीय वर्ष के दौरान इस महत्‍वपूर्ण गोष्‍ठी का आयोजन करके भारत गौरवान्वित महसूस कर रहा है। मैं इस गोष्‍ठी में सभी भाग लेने वालों का हार्दिक स्‍वागत करता हूं, जो दुनियाभर से आये हैं। मुझे विश्‍वास है कि आप हमारा आतिथ्‍य स्‍वीकार करेंगे और इस देश में आपका प्रवास सुखद और लाभदायक होगा।

मानव जाति के सामने मौजूद विकास की प्रमुख चुनौतियों में से एक यह है कि प्रत्‍येक व्‍यक्ति के लिए उचित मूल्‍य पर ऊर्जा की उपलब्‍धता सुनिश्चित हो। ऊर्जा उपलब्‍धता में कमी से लाखों लोग बुनियादी न्‍यूनतम जीवन स्‍तर से वंचित रह जाते हैं। यह समस्‍या विशेष रूप से उनके लिए और भी जटिल है, जो गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे हैं। इनकी संख्‍या बहुत बड़ी है। विश्‍व में आज एक अरब 30 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं, जिनकी विश्‍वसनीय ऊर्जा आपूर्ति तक पहुंच नहीं है।

इसके अलावा लगभग तीन अरब लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से या काफी हद तक खाना पकाने के वास्‍ते आवश्‍यक ऊर्जा के लिए परंपरागत जैविक साधनों पर निर्भर करते हैं। हमारे देश में और कई अन्‍य विकासशील देशों में, गांवों में 80 प्रतिशत घरों में  महिलाएं भोजन तैयार करने के लिए लकड़ी, घास-फूस और उपलों का इस्‍तेमाल करती हैं और उनकी रसोई ठीक तरह से हवादार भी नहीं होती।

विश्‍व स्‍वासथ्‍य संगठन और अन्‍य संस्‍थाओं ने इन परंपरागत ईंधनों के इस्‍तेमाल से घरों में पैदा हुए वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों का अध्‍ययन किया है। देहाती इलाकों में हजारों महिलाओं, बच्‍चों की असमय म़ृत्‍यु इसी घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है और इनके अलावा आंखों में संक्रमण तथा सांस की बीमारियां भी होती हैं।

इस समस्‍या का एक और सामाजिक पहलू यह भी है कि देहाती महिलाएं इस प्रकार के ईंधन को जमा करने और उठाकर लाने में बहुत मेहनत और समय खर्च करती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार इस तरह के कामों में भारतीय महिलाएं एक वर्ष में लगभग 30 अरब घंटे खर्च करती हैं। इस बोझ की अधिकता से न केवल स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍या पैदा होती है, बल्कि लडकियों के स्‍कूल जाने या किसी और काम को करने में भी रूकावट पैदा होती है।

अब यह साबित हो गया है कि ऊर्जा उपलब्‍धता और सहस्राब्‍दी के विभिन्‍न विकास लक्ष्‍यों के बीच बहुत संबंध हैं और इन्‍हें दस्‍तावेजों में दर्ज किया गया है। दुनियाभर में लोगों की भलाई के लिए और जीवन में न्‍यूनतम गरिमा बनाये रखने के लिए इन लक्ष्‍यों का पूरा होना बुनियादी आवश्‍यकता है और इसके लिए उचित मूल्‍य पर ऊर्जा की उपलब्‍धता जरूरी है।

भारत में हम अपनी योजना प्रक्रिया में शीघ्र विकास के लिए, असमानता को कम करने के लिए तथा आर्थिक उन्‍नति की प्रक्रियाओं को अधिक समावेशी बनाने के लिए हम समझते हैं कि ऊर्जा सेवाओं तक पहुंच महत्‍वपूर्ण है।

वर्तमान राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत हमारा लक्ष्‍य देश के सभी 6 लाख गांवों में बिजली पहुंचाना है। हमारे प्रयासों के परिणामस्‍वरूप हाल के वर्षों में एक लाख से अधिक गांवों में बिजली के कनेक्‍शन लगा दिए गए हैं।

अब केवल देश के कुछ हजार गांव ही बाकी हैं, जहां बिजली नहीं है। इनके अलावा देश में दस लाख घर अब अपनी प्रकाश ऊर्जा की आवश्‍यकताओं के लिए सौर ऊर्जा का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। भारत-सरकार का उद्देश्‍य अगले पांच वर्षों में देश के सभी घरों में उचित मूल्‍य पर 24 घंटे बिजली उपलब्‍ध कराना है।

हमारा उद्देश्‍य प्रत्‍येक घर के लिए साफ सुथरे रसोई ईंधन की व्‍यवस्‍था करना है। यह बहुत बड़ा कार्य है, लेकिन ऐसा नहीं है, जिसे पूरा न किया जा सके। यह ऐसा काम है, जिसे हमें प्राथमिकता के आधार पर करना होगा।

अधिकतर शहरी घरों में एलपीजी गैस का इस्‍तेमाल होता है। हमने ग्रामीण इलाकों में भी भोजन पकाने के लिए एलपीजी की व्‍यवस्‍था करने की कोशिश की है।

आज देश के करीब 19 करोड़ ग्रामीण घरों में से लगभग 12 पतिशत घरों में भोजन पकाने की आवश्‍यकता के लिए एलपीजी गैस का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। देश के सभी 24 करोड़ घरों को हर साल एलपीजी के 6 सिलेंडर देने के लिए कुल करीब 2 करोड़ पचास लाख टन एलपीजी की आवश्‍यकता होगी। हमारे देश में इसके लिए प्रबंध करना संभव होना चाहिए, लेकिन सभी गांवों तक वितरण की व्‍यवस्‍था में समय लग सकता है। महिलाओं के बोझ को कम करने के लिए ईंधन वाली लकड़ी की खेती सभी बस्तियों के एक किलोमीटर दायरे के अंदर की जा सकती है। दस लाख से ज्‍यादा घरों में भोजन पकाने के लिए जैव-गैस संयंत्रों से प्राप्‍त ऊर्जा का इस्‍तेमाल होता है। इसलिए उन कार्यक्रमों का विस्‍तार करना होगा, जिनसे नवीनीकृत ऊर्जा के इस्‍तेमाल को प्रोत्‍साहन मिलता है।

हम महसूस करते हैं कि ग्रामीण गरीबों को बिजली और एलपीजी के लिए कुछ सब्सिडी की आवश्‍यकता होगी। मुख्‍य मुद्दा यह है कि सब्सिडी यथा संभव उन्‍हीं लोगों को मिले, जिन्‍हें वास्‍तव में इनकी आवश्‍यकता है। हमने प्रत्‍येक भारतीय नागरिक को विशिष्‍ट पहचान संख्‍या देने के लिए एक महत्‍वाकांक्षी परियोजना शुरू की है, जिससे विभिन्‍न कल्‍याण योजना के अंतर्गत सब्सिडी के लाभार्थियों की पहचान करने में सुविधा होगी। उदाहरण के लिए कर्नाटक के मैसूर जिले में चलाई गई एक प्रायोगिक परियोजना में घर में मौजूद किसी भी परिवार के सदस्‍य की बायो‍मीट्रिक पहचान सही पाये जाने के बाद सब्सिडी वाले 27 हजार सिलेंडरों की आपूर्ति की गई है। अगले चरण में योजना है कि सब्सिडी राशि प्रामाणित लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे पहुंचा दी जाये।

नवीनीकृत ऊर्जा प्रौद्योगिकी से शायद ऊर्जा उपलब्‍धता के लिए सबसे अधिक सतत् और आर्थिक विकल्‍प मिल सकते हैं। इस समय नवीनीकृत ऊर्जा देश में स्‍थापित कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता के लगभ 12 प्रतिशत के बराबर है। जलवायु परिवर्तन के बारे में भारत की कार्य योजना के अंतर्गत शुरू किये गये जवाहर लाल नेहरू राष्‍ट्रीय सौर मिशन का उद्देश्‍य वर्ष 2022 तक 20 गीगा वॉट सौर ऊर्जा के ग्रिड की स्‍थापना करना है। हमें उम्‍मीद है कि वर्ष 2022 तक हम लगभग 2 करोड़ ग्रामीण घरों में सौर ऊर्जा की रोशनी पहुंचा सकेंगे। कुल मिलाकर हमारा उद्देश्‍य देश में नवीनीकृत ऊर्जा की उपलब्‍धता में तेजी लाना है ताकि वर्ष 2017 तक हम लगभग 55 गीगा वॉट नवीनीकृत ऊर्जा उपलब्‍ध करा सके। सभी के लिए ऊर्जा उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिए हमें सब्सिडी और वित्‍त पोषण की उचित व्‍यवस्‍था सहित नवीनीकृत संस्‍थाओं, राष्‍ट्रीय और स्‍थानीय स्‍तर पर उपयुक्‍त व्‍यवस्‍थाओं और निर्धारित लक्ष्‍य वाली नीतियों की आवश्‍यकता होगी। यह सौभाग्‍य की बात है कि इस समस्‍या से निपटने के लिए आवश्‍यक प्रौद्योगिकियां उपलब्‍ध हैं। इन प्रौद्योगिकियों को विश्‍व की सार्वजनिक संपत्ति समझा जाना चाहिए। सरकारों और उद्योग जगत को प्रोत्‍साहित करना होगा कि वे बडे पैमाने पर इस क्षेत्र में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग में शामिल हों और विकासशील देशों की प्रौद्योगिक क्षमता की वृद्धि के लिए काम करें। ऊर्जा की उपलब्‍धता से संबंधित प्रौद्योगिकियों के प्रति बौद्धिक संपदा संस्‍थाओं को नवीनीकरण तकनीकों का आविष्‍कार करने वालों को उचित पुरस्‍कार देने चाहिएं, ताकि मानव जाति के सांझे हित को बढ़ावा मिल सके।

नई प्रौद्योगिकियां विकसित करने वालों को प्रोत्‍साहन देने के लिए और उचित मूल्‍य पर विकासशील देशों में इन्‍हें लागू करने के लिए उपयुक्‍त व्‍यवस्‍थाएं करने की आवश्‍यकता है।

दुनियाभर में गरीब लोगों के लिए उचित मूल्‍य पर ऊर्जा उपलब्‍ध कराना एक ऐसी चुनौती है, जो विश्‍व समुदाय और विशेष्‍ रूप से विकासशील देशों के लिए क्षमता की कडी परीक्षा होगी, कि वे मिलकर सांझी और प्रभावी व्‍यवस्‍था कायम कर सकें। इसके लिए जबरदस्‍त सृजनशीलता और निपुणता तथा नये सिरे से सोचने और समझने  की आवश्‍यकता होगी। इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए भारत अपनी जिम्‍मेदारियों  और प्रतिबद्धताओं के प्रति पूरी तरह सचेत है।

हम यह भी समझते हैं कि सभी के लिए ऊर्जा उपलब्‍घता का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए विकासशील देशों के बीच सहयोग महत्‍वपूर्ण है। इस संबंध में हम अन्‍य विकासशील देशों में क्षमता निर्माण में वृद्धि में बढ़ चढ़कर सहयोग दे रहे हैं। हमारे विशेषज्ञों ने कई विकासशील देशों में ऊर्जा उपलब्‍धता की परियोजनाएं स्‍थापित करने में मदद की है। नीति- निर्माण, प्रौद्योगिकी विकास और इसके कार्यान्‍वयन के क्षेत्र में हमारा जो अनुभव है उसका लाभ औरों को देने के लिए हमने सूचना और अनुभव की भागीदारी के लिए एक विश्‍व मंच बनाया है।

जिस तरह से आज इतने सारे देशों के प्रतिनिधि यहां इक्‍ट्ठे हुये हैं, उससे हम सभी के लिए एक अधिक समृद्ध और बेहतर भविष्‍य के लिए हमारी आशाएं और आकांक्षाएं बलवती होती हैं। हम सभी मिलकर उन लोगों के भविष्‍य से निराशा को समाप्‍त कर सकते हैं, जो ऊर्जा उपलब्‍धता की दृष्टि से बहुत कमजोर हैं।

इसके लिए ऊर्जा की कमी वाले क्षेत्रों में व्‍यावहारिक परियोजनाओं के लिए धन जुटाने और परियोजनाओं को लागू करने के लिए विशाल पैमाने पर वैश्विक सहयोग की आवश्‍यकता होगी। आगे का रास्‍ता कठिन है लेकिन हमें दृढ़ता के साथ मेहनत करनी होगी। इसलिए मेरी कामना है कि यह महत्‍वपूर्ण गोष्‍ठी पूरी तरह से सफल हो। हमारे देश में आपका प्रवास सुखद हो और मैं एक बार फिर गोष्‍ठी में भाग ले रहे प्रत्‍येक सम्‍मानित प्रतिनिधि का बहुत हार्दिक स्‍वागत करता हूं।