भाषण [वापस जाएं]

June 21, 2012
ब्राजील


सतत विकास पर संयुक्त राष्‍ट्र शिखर सम्‍मेलन के पूर्ण सत्र में प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

मैं इस सम्‍मेलन के आयोजन और वार्ता के उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए राष्‍ट्रपति डिल्‍मा राउसेफ के धन्‍यवाद के साथ अपना वक्‍तव्‍य शुरू करना चाहता हूँ। मैं ब्राजील के निवासियों का उनके आथित्‍य सत्कार और इस सम्‍मेलन में किए गए बेहतर प्रबंधन के लिए धन्‍यवाद करता हूं। भारत की तरह ब्राजील में भी संस्‍कृति और जनमानस का संगम है।

हम ऐसे समय पर मिल रहे हैं, जब विश्‍व मौजूदा आर्थिक संकट और राजनीतिक हलचल के दौर से गुजर रहा है। सतत विकास पर रियो+20 सम्‍मेलन ठीक समय पर हो रहा है, क्योंकि यह हमारा ध्‍यान ‘’भविष्‍य जैसा हम चाहते हैं’’ और ‘’इसे कैसे समझना है’’ पर केन्द्रित करता है। यह कठिन है, परंतु ऐसा लगता है कि हमें लागत में संतुलन लाने के लिए अपनी कल्पनाओं पर विचार करना होगा, ताकि मौजूदा समय में लाभ के साथ इसका निर्वहन किया जा सके, जिससे आने वाली पीढि़यों को भी लाभ मिल सके।

सतत विकास के घटकों में आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश एवं पर्यावरणीय स्थायित्व सभी समान रूप से महत्‍वपूर्ण हैं। हमें इस वास्‍तुशिल्‍प को इस प्रकार का व्‍यवहारिक रूप देना है, जिससे प्रत्‍येक देश अपनी-अपनी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों के अनुसार विकास कर सके।

विकसित देशों के लिए समग्र विकास और प्रति व्‍यक्ति आय स्‍तर में तीव्र वृद्धि होना विकास के लिए अनिवार्य है। 1992 के रियो सम्‍मेलन में इस बात को महसूस किया गया कि विका‍सशील देशों के लिए गरीबी उन्मूलन की प्राथमिकता सबसे अधिक होनी चाहिए। वैसे जो लोग जो जीविका निर्वहन के स्‍तर पर रह रहे हों और सामंजस्य लागत का वहन नहीं कर सकते उनकी जीविका इस बात के निर्धारण के लिए महत्‍वपूर्ण है कि भूमि, जल और वनों का कितना उपयोग किया जाता है। भूमि और जल संसाधनों के अधिक क्षरण की वजह से जीविका स्‍तर पर रहने वाले लाखों लोगों, विशेष कर महिलाओं और बच्‍चों का जीवन स्‍तर प्रभावित हो रहा है।

सतत विकास उपलब्‍ध प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग का अधिकार प्रदान करता है। हमें प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए मितव्‍ययी बनना होगा। ऊर्जा क्षेत्र में विशेष ध्‍यान देने की जरूरत है। हमें ऊर्जा की सार्वभौमिक पहुंच को जहां एक तरफ बढ़ावा देना होगा, वहीं विभिन्‍न प्रौद्योगिकी, वित्‍तीय और संस्‍थागत अवरोधों को दूर कर ऊर्जा क्षमता और स्‍वच्‍छ ऊर्जा स्रोतों के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देना होगा। भारत में हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्‍वाकांक्षी राष्‍ट्रीय सौर मिशन का एक मुख्‍य विकल्‍प के रूप में क्रियान्‍वयन कर रहे हैं।

हालांकि औद्योगिक विश्‍व में मौजूदा उपभोग स्‍तर अस्थिर है। हमें सतत जीवन यापन के लिए एक नये विकल्‍प ढूंढने होंगे।

पर्यावरणीय स्थायित्व सतत विकास निर्माण का तीसरा चरण है। आर्थिक गतिविधियों की वजह से कुछ नकारात्‍मक उत्‍पाद भी निकलते हैं, जो या तो स्‍थानीय प्रदूषण या वैश्विक प्रभाव वाले ग्रीन हाऊस गैसों के उत्‍सर्जन के कारण होते हैं। इन दोनों को नियंत्रित करने की जरूरत है।

स्‍थानीय प्रदूषण का नियमन किया जा सकता है और ऐसे नियमन विभिन्‍न आर्थिक गतिविधियों की लागत बढ़ा सकते हैं। हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करने के लिए लघु उत्‍पादकों को एक लक्षित सहायता दी जा सकती है, ताकि वे इन लागत का एक अंश वहन कर सकें और इसका नीति में निर्धारण हो सके।

वैश्विक स्‍तर पर इन समस्‍याओं पर हमारा दृष्टिकोण समान बोझ वहन करने के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। इसी कारण से पहला रियो सम्‍मेलन आम सिद्धांत परंतु विभिन्‍न उत्तरदायित्व पर निहित था। मुझे खुशी है कि इस सम्‍मेलन के दौरान हमने इन सिद्धांतों के साथ-साथ हिस्‍सेदारी के सिद्धांत पर भी अपनी प्रतिबद्धता जताई है ।

हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए देशों को सक्रिय कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। भारत में पिछले दशकों के दौरान किये गए प्रयासों की वजह से सकारात्‍मक नतीजे सामने आये हैं। 1994 से 2007 तक की अवधि के दौरान हमारी उत्‍सर्जन- जीडीपी तीव्रता में, कृषि को छोड़कर, लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2005 से 2020 तक की अवधि के दौरान हमने उत्‍सर्जन जीडीपी ती‍व्रता में 20-25 प्रतिशत और कमी लाने का लक्ष्‍य रखा है। यदि अतिरिक्‍त वित्‍त और प्रौद्योगिकी उपलब्‍ध होती तो बहुत से देश और कुछ कर सकते थे। दुर्भाग्‍यवश इन क्षेत्रों में औद्योगिक देशों के सहयोग का बहुत कम प्रमाण है। मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से स्थिति और खराब हो गई है।

प्रमुख चुनौतियों में से एक जहां तत्‍काल वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है- वह है हमारी धरती पर लुप्‍त होती जैव-विविधता। हैदराबाद में इस वर्ष अक्‍तूबर में भारत द्वारा जैव-विविधता कन्‍वेंशन पर पार्टियों का ग्‍यारहवां सम्‍मेलन आयोजित किया जा रहा है। हम वैश्विक समुदाय से इस सम्‍मेलन को सफल बनाने का आह्वान करते हैं।

हम ऐसा भविष्‍य चाहते हैं, जिसमें सभी के सतत विकास के लिए पारिस्थितिक और आर्थिक स्‍थान उपलब्‍ध हो।

हम जिस भविष्‍य की कामना करते हैं उसके लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए। इन्‍हीं शब्दों के साथ मैं एक बार फिर राष्‍ट्रपति महोदय का धन्‍यवाद करता हूं।