भाषण [वापस जाएं]

June 19, 2012
लॉस काबोस, मैक्सिको


जी-20 नेताओं के दूसरे पूर्ण अधिवेशन में प्रधानमंत्री का वक्तव्य

प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना और वित्तीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा वित्तीय समायोजन को बढ़ावा देने, विषय पर जी-20 नेताओं के दूसरे पूर्ण अधिवेशन में बोलते हुए कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के स्रोतों को सुदृढ़ करने के प्रयासों का स्वागत करते हैं और जैसा कि मैंने कल घोषणा की थी, हम इसके लिए 10 बिलियन अमरीकी डालरों का योगदान करेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं यहां उल्लेख करना चाहता हूं कि संसाधन जुटाने की तुलना में कोटा सुधार की प्रगति अधिक धीमी चल रही है। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि 2010 में सहमत हुए कोटा सुधार का कार्य 2012 के अंत तक पूरा न होने के व्यवहारिक कारण हैं, लेकिन उसके बाद इसे तेजी से पूरा किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि जनवरी, 2013 तक कोटा समीक्षा पूरी करने का कार्यक्रम समय पर पुरा हो जाना चाहिए। कोटा से आर्थिक बोझ इस तरह प्रतिबिंबित होना चाहिए कि वह सरल और पारदर्शी हो।

उन्होंने कहा कि ये लक्ष्य अन्य उतार चढ़ावों के झंझट में पड़े बिना फार्मूले में पीपीपी आधार पर जीडीपी की प्रमुख भूमिका को स्वीकारते हुए बेहतर तरीके से प्राप्त किये जा सकते हैं। इस मूल स्थिति को किसी प्रकार बदलना नहीं जाना चाहिए और हमें अपनी स्थिति को जोरदार तरीके से रखने की आवश्यकता है।

डा. मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं वित्तीय नियामक सुधार में हुई प्रगति का स्वागत करता हूं। तथापि, इसमें अभी बहुत कुछ करना रहता है। हमने वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने में सहायता के लिए यूरोप में बैंकिंग यूनियन बनाने की दिशा में अग्रसर होने की भी चर्चा की थी।

उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की भी चिंता है कि बैंकिंग नियमन में अपनाए गए विवेकपूर्ण नियम विकासशील देशों को ऋण देने के प्रति भेदभाव नहीं बरतेंगे।