भाषण [वापस जाएं]

May 28, 2012
ने पी ता, म्यामां


म्‍यामां के राष्‍ट्रपति द्वारा आयोजित भोज के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का भाषण

म्‍यामां के राष्‍ट्रपति श्री यू. थीन सीन द्वारा कल आयोजित भोज के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा दिये गए भाषण का विवरण इस प्रकार है:-

''मैं राष्‍ट्रपति यू. थीन सीन द्वारा किये गये मेरे और मेरे प्रतिनिधि मंडल के हार्दिक स्‍वागत और आतिथ्‍य के लिए आभार प्रकट करता हूं। म्‍यामां की जनता ने जो स्‍नेह और मैत्री भाव दर्शाया है, उससे हम बहुत प्रभावित हुए हैं।

आपके इस सुंदर देश और भव्‍य राजधानी की यह मेरी पहली यात्रा है। आज सुबह आपसे हमारी बातचीत हुई है और जिन समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए हैं, उससे आगे आने वाले वर्षों में हमारे संबंध और तेजी से बढ़ेंगे। पिछले वर्ष आपने भारत की बहुत सफल यात्रा की थी। इस दौरान हमारे संबंधों की सुदृढ़ नींव पड़ी थी, जिस पर हमारे संबंध और विकसित होंगे।

भारत और म्‍यामां, भूगोल और इतिहास से जुड़े स्‍वाभाविक भागीदार हैं। प्राचीन काल से हमारे दोनों देशों के बीच व्‍यापार, विचारों का आदान-प्रदान और लोगों का आना-जाना रहा है। भगवान बुद्ध के उपदेश पिछले लगभग 2000 वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे दोनों देशों के विद्वानों, भिक्षुओं, तीर्थ यात्रियों और आम जनता को प्रेरित करते रहे हैं। मैं कल श्‍वेदागोन पागोडा और सम्राट बहादुर शाह जफर के मकबरे पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने जाऊंगा, जो हमारे दोनों देशों की साझी विरासत हैं।

ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें हमारे दोनों देश परस्‍पर लाभ के लिए सहयोग बढ़ा सकते हैं। म्‍यामां की जैसी विशिष्‍ट भौगोलिक स्थिति है, उससे म्‍यामां दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को पूर्व एशिया से जोड़ने में पुल का काम कर सकता है। हमारे आर्थिक संबंधों में बहुत सारी अप्रयुक्‍त क्षमताएं हैं। हमें अपने सांसदों, शि‍क्षाविदों, वैज्ञानिकों, कलाकारों, और बुद्धिजीवियों के आदान-प्रदान को बढ़ाना है। ऐसा बहुत कुछ है, जिसके लिए नये सिरे से जानकारी हासिल करनी है तथा एक दूसरे की संस्‍कृति और समाज से हम बहुत कुछ सीख सकते है।

यह वर्ष आसियान देशों के साथ हमारी भागीदारी का 20वां वर्ष है। इस वर्ष होने वाले महत्‍वपूर्ण भारत-आसियान शिखर सम्‍मेलन में हम आपके आगमन की प्रतीक्षा करेंगे।

म्‍यामां के लोगों ने राष्‍ट्रीय मेल-मिलाप और बदलाव का रास्‍ता चुनकर बहुत दूर‍दर्शिता का परिचय दिया है। महामहिम, यह मुख्‍य रूप से आपकी दूर‍दर्शिता और शासन-नेतृत्‍व से संभव हुआ है। एक लोकतांत्रिक, स्थिर और खुशहाल म्‍यामां के निर्माण के आपके प्रयासों का भारत के लोग समर्थन करते हैं।

1948 में म्‍यामां को स्‍वतंत्रता मिलने के अवसर पर हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था-

''जैसा प्राचीन काल में होता रहा, भविष्‍य में भी भारत के लोग बर्मा के लोगों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े होंगे और चाहे हमें सौभाग्‍य मिले या दुर्भाग्‍य, उसे हम मिलकर स्‍वीकार करेंगे।''

आइये हम सब भोज में शामिल हों,

- महामहिम राष्‍ट्रपति यू. थीन सीन और दाव खिन खिन विन के अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण के लिए,

- म्‍यामां की मित्र जनता की उन्नति और खुशहाली के लिए, और

- भारत और म्‍यामां के बीच शाश्वत मैत्री संबंधों के लिए।''