भाषण [वापस जाएं]

April 16, 2012
नई दिल्‍ली


आंतरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों का सम्‍मेलन शुरू प्रधानमंत्री का अभिभाषण

प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुख्‍यमंत्रियों के सम्‍मेलन का आज यहां उद्घाटन किया। उनके उद्घाटन भाषण का मूल पाठ निम्‍नलिखित है :

मैं आंतरिक सुरक्षा से संबंधित इस बहुत महत्‍वपूर्ण सम्‍मेलन में आप सबका स्‍वागत करता हूं। इस मंच ने आंतरिक सुरक्षा से संबंधित हमारे तंत्र को सुदृढ़ बनाने के संभावित उपायों पर विचार करने और सर्वसम्‍मति तैयार करने के लिए अनेक वर्षों से अपनी उपयोगिता सिद्ध की है।

पिछली बार फरवरी, 2011 में हमारी मुलाकात के बाद आंतरिक सुरक्षा की स्थिति कुल मिलाकर संतोषजनक रही है। मैं विविधताओं वाले अपने देश में शांति, मैत्री और सद्भाव बनाए रखने के लिए राज्‍यों और केन्‍द्र के संयुक्‍त प्रयासों की सराहना करता हूं।

लेकिन मैं समझता हूं कि हम सभी इस बात पर सहम‍त होंगे कि इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है। आंतरिक सुरक्षा की गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं। वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरपन और जातीय हिंसा जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। इन चुनौतियों के कारण हमें निरंतर सतर्कता बरतनी होगी। उन्‍हें मजबूती से और गंभीरता के साथ हल करने की आवश्‍यकता है। उनके पीछे जो ताकतें हैं, उनको न केवल नियंत्रित करने बल्कि कारगर रूप से खत्‍म करने की आवश्‍यकता है।

यह निःसंदेह एक जटिल और जिम्‍मेदाराना काम है। यह एक ऐसा प्रयास है, जिसके लिए हम सभी को, केन्‍द्र और राज्‍यों को मिलकर काम करने की जरूरत है। आंतरिक सुरक्षा एक ऐसा मामला है,‍जिसके लिए राज्‍यों और केन्‍द्र को मिलकर, सहयोग से और सद्भावना से काम करना चाहिए।

उदाहरण के रूप में वामपंथी उग्रवाद को लीजिए। वामपंथी उग्रवादी समूहों द्वारा मारे गए लोगों की संख्‍या की दृष्टि से 2010 की तुलना में वर्ष 2011 एक बेहतर वर्ष रहा है। लेकिन दो बातों को लेकर हमें अभी भी बहुत कुछ करना होगा। एक तो हमारी बढ़ती हुई अर्थव्‍यवस्‍था और समाज के प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए और दूसरे उन्‍हें पर्याप्‍त सुरक्षा प्रदान कराने के लिए। राज्‍य और समाज के प्रति वामपंथी उग्रवादियों द्वारा चलाया गया तथाकथित जन-संघर्ष अभी भी नागरिकों और सुरक्षाबलों के अलावा आर्थिक संरचना जैसे रेलवे, मोबाइल संचार और बिजली नेटवर्क को अपना निशाना बनाए हुए है। अभी हाल में नक्‍सलवादियों ने विदेशी नागरिकों का अपहरण किया था।

मुझे प्रसन्‍नता है कि वामपंथी उग्रवाद विषय पर विचार करने के लिए आपने आज शाम एक पृथक सत्र निर्धारित किया है। इस समस्‍या के प्रति हमारा समग्र दृष्टिकोण वैध और आवश्‍यक है, जिसमें सुरक्षा, विकास, सुप्रशासन और सूझबूझ के साथ प्रबंध की ओर बराबर ध्‍यान दिया जाएगा। पिछले दो वर्षों में समन्वित कार्य योजना ने देश के सर्वाधिक पिछड़े और हिंसा से प्रभावित जिलों के गांवों के विकास को बढ़ावा दिया है। हमने इस योजना के लिए निर्धारित मूल क्षेत्र 60 जिलों का विस्‍तार 78 जिलों तक किया है। वामपंथी उग्रवाद की अंतर्राज्यीय जटिलता को देखते हुए प्रभावित सात राज्‍यों के साथ कार्य योजना पर विस्‍तार से विचार किया गया है।

इसके साथ-साथ अपनी समग्र योजना को लागू करने के बेहतर और अधिक कारगर उपाय तलाशने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए।

आंतरिक सुरक्षा के अन्‍य मामलों की तरह आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए हमें संयुक्‍त और समन्वित रूप से प्रयास करने की आवश्‍यकता है, फिर चाहे उसका उद्गम देश में अथवा देश से बाहर हो और उसकी कोई भी प्रेरणा हो। ये एक ऐसा संघर्ष है, जिसमें हम कोई ढील नहीं दे सकते। जब हम किसी प्रदेश में अशांति देखते हैं और अपने आस-पास अस्थिरता के बढ़ते हुए कारक देखते हैं, तब हमें आतंकवाद के विरूद्ध अपनी सुरक्षा को सुदृढ़ करना चाहिए। आज आतंकवादी समूह पहले से कहीं अधिक सक्रिय, अधिक घातक और हमारी सीमाओं के उस पार उनका नेटवर्क बढ़ा हुआ है। यदि हमें आतंकवाद को परास्‍त करना है, उसकी रोकथाम करनी है और कारगर रूप से नियंत्रित करना है, तो सही और समयबद्ध सतर्कता प्रमुख आवश्‍यकता है। हमने इस बारे में कुछ प्रगति की है, सतर्कता तंत्र को सुदृढ़ किया है और एनएटीजीआरआईडी को स्‍थापित किया है। राष्‍ट्रीय सुरक्षा गार्डों के चार केन्‍द्रों और एनआईए के शाखा कार्यालय का संचालन और एमएसी-एसएमएसी संबद्धता इसके अन्‍य उदाहरण हैं। जैसा कि कुछ मुख्‍यमंत्रियों ने सुझाव दिया है, हम आतंकवाद विरोधी राष्‍ट्रीय केन्‍द्र के बारे में पाँच मई को एक अलग बैठक में विचार करेंगे।

इस बात पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता कि आतंकवाद से निपटने की जिम्‍मेदारी मुख्‍य रूप से राज्‍यों के तंत्र की है। केन्‍द्र सरकार उन राज्‍यों के साथ मिलकर काम करने को तत्‍पर है और उन्‍हें वे सभी प्रभावी संस्‍थागत साधन देने को तैयार है जिनकी उन्‍हें इस समस्‍या का सामना करने में जरूरत है।

जम्‍मू कश्‍मीर में सुरक्षा और कानून व्‍यवस्‍था के माहौल में स्‍पष्‍ट सुधार आया है। इसी का नतीजा है कि राज्‍य में वर्ष 2011 के दौरान सबसे बड़ी संख्‍या में पर्यटक और तीर्थ यात्री पहुंचे। पंचायत चुनाव कामयाब रहे जो इस बात के एक और सबूत हैं कि वहां के लोग हिंसा और आतंकवाद की छाया से दूर रह कर सामान्‍य जीवन बिताने की इच्‍छा रखते हैं।

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के हमारे कुछ राज्‍यों में भी स्थिति जटिल बनी हुई है। जहां तक हिंसा की वारदातों का सवाल है, कुछ सुधार आया है, लेकिन शांति बहाल करने और जातीय एकता के बहाने अतिवादी समूहों और आतंकवादियों द्वारा पैसा वसूली, अपहरण और ऐसे ही अन्‍य अपराधों के खात्‍मे के लिए अब भी बहुत कुछ करना बाकी है। आतंकवादी समूहों द्वारा विकास के लिए दी गयी निधियों की चोरी से हमारी उन कोशिशों को धक्‍का लग रहा है जो हम उस क्षेत्र के लोगों के रहन-सहन में सुधार के लिए कर रहे हैं। आपसी झड़पें भी असुरक्षा का एक और स्रोत बनी हुई हैं। तिरप और चंगलांग में हाल की वारदातें इसका एक उदाहरण हैं।

इन सभी समस्‍याओं का जवाब इस बात में मिलेगा कि संबद्ध राज्‍य कानून और व्‍यवस्‍था मजबूत करने की अपनी क्षमता में सुधार करें और सामान्‍य लोकतंत्रीय राजनीतिक और विकासात्‍मक प्रक्रियाओं के पुनर्निर्माण में जुट जाएं। राज्‍यों के सजग पुलिस बल जितना ही केन्‍द्रीय बलों पर अपनी निर्भरता कम करेंगे उतना ही अच्‍छा होगा। केन्‍द्र सरकार इस क्षेत्र के राज्‍यों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगी ताकि ऐसा संभव हो सके। मैं उम्‍मीद करूंगा कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में मूल सुविधा परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन से सामान्‍य स्थिति की बहाली की परिस्थितियां पैदा होंगी।

मुझे इस बात पर बहुत खुशी है कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के अनेक जातीय और अलगाववादी विद्रोही समूहों के साथ मित्रतापूर्ण समाधान के लिए संवाद और वार्ता की राजनीतिक प्रक्रियाएं चल रही हैं। गृह मंत्रालय द्वारा संबद्ध राज्‍यों से सलाह-मशविरा करके चलाए जा रहे इन संवादों में अच्‍छी प्रगति हो रही है।

केन्‍द्र सरकार राज्‍यों द्वारा क्षमता निर्माण और पुलिस आधुनिकीकरण के प्रयासों को सहायता जारी रखेगी। अधिकांश आंतरिक सुरक्षा समस्‍याओं के पैदा होने की स्थिति में बुनियादी जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों की होती है। हमने पुलिस को आधुनिक बनाने की स्‍कीम का विस्‍तार किया है और तटीय सुरक्षा स्‍कीम और सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम जारी रख रहे हैं। मैं राज्‍य सरकारों और गृह मंत्रालय से आग्रह करता हूं कि वे पुलिस सुधार और आधुनिकीकरण को एक तर्कसंगत निष्‍कर्ष तक पहुंचाएं।

अपना यह संबोधन समाप्‍त करने से पहले मैं आपके सम्‍मुख विचार के लिए कुछ बातें रखना चाहता हूं। कोई भी व्‍यवस्‍था या संरचना उन व्‍यक्तियों से बेहतर नहीं होती, जो इनको संचालित करते हैं। भारत की आंतरिक सुरक्षा संरचना भी इसका अपवाद नहीं है। इसी लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि हम सिर्फ संख्‍या ही नहीं, बल्कि पुलिसकार्मिकों की गुणवत्‍ता में भी सुधार लाएं। मुझे उम्‍मीद है कि आपकी यह बैठक इस मुद्दे पर विचार करते हुए नए और उपयोगी सुझाव सामने लाएगी, जिससे उन स्थितियों में सुधार और तेजी से प्रगति हो सकेगी, जिनमें हमारे कार्मिक काम करते हैं। अगर हम ऐसा कर सके, तो यह कुछ हद तक हमें उन पुलिस और रक्षा बलों की समर्पित और देशभक्तिपूर्ण सेवा का कुछ बदला चुकाने में सहायता करेगी, जिनके कारण हमारा देश ज्‍यादा सुरक्षित है।

इन शब्‍दों के साथ मैं आपकी इस बैठक की कार्रवाई के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे आशा है कि इस सम्‍मेलन के परिणामस्‍वरूप रचनात्‍मक और व्‍यावहारिक सुझाव प्राप्‍त होंगे, जिनसे देश की आंतरिक सुरक्षा में और सुधार लाने, कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति मजबूत करने और हर भारतीय नागरिक को यह महसूस कराने में सहायता मिलेगी कि उसे अधिकतम शांति और सुरक्षा का माहौल मिल रहा है। यही हमारा साझा लक्ष्‍य होना चाहिए और मैं इसी उद्देश्‍य के लिए आपके साथ मिलकर काम करना चाहता हूं।