भाषण [वापस जाएं]

April 2, 2012
नई दिल्‍ली


विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के 27वें स्‍थापना दिवस पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का भाषण

नई दिल्‍ली में आज विशेष सुरक्षा समूह के 27वें स्‍थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री डॉ. मनमहोन सिंह के भाषण का प्रारूप इस प्रकार है:-

इसके 27वें स्‍थापना दिवस के शुभ अवसर पर विशेष रूप से समूह के सभी अधिकारियों और कर्मियों को मेरी शुभकामना।

मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्‍होंने उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन कर पदक और ट्रॉफियां जीती हैं। 27 वर्षों के अपनी इस यात्रा के दौरान एसपीजी ने उच्‍च स्‍तर की प्रतिबद्धता और दक्षता से देश की सेवा की है। यह देश में वीआईपी सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्‍वपूर्ण संगठन के रूप में उभरा है। मुझे विश्‍वास है कि यहां उपस्थित सभी लोग इस बात से सहमत होंगे की एसपीजी ने अक्‍सर कठिन, जटिल और तनावपूर्ण परिस्थितियों में अपने दायित्‍वों का बखूबी निर्वहन किया है। इसने उन अपेक्षाओं को जीवंत रखा है, जिसके लिए इसकी स्‍थापना हुई थी। यह उन लोगों की क्षमताओं का परिचायक है, जिन्‍होंने एसपीजी की स्‍थापना में योगदान दिया है। वास्‍तव में इसके स्‍थापना दिवस के अवसर पर हमें विशेषकर उन सदस्‍यों के कठिन परिश्रम को याद करना चाहिए जो पहले एसपीजी के सदस्‍य थे।

हम सभी उस दु:खदायी घटना से परिचित हैं जिसकी वजह से एसपीजी के गठन का निर्णय लिया गया। हमारे देश के सर्वोच्‍च राजनीतिक नेतृत्‍व को हर समय अभेद सुरक्षा मुहैया कराने के लिए इस बल का निर्माण उच्‍चकोटि के विशिष्‍ट एवं प्रशिक्षित चयनित अधिकारियों के साथ किया गया। एसपीजी द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा चौकस, सतर्क और प्रभावी होनी चाहिए। राजनेता कभी-कभी जनसमूह तक पहुंचने के लिए सुरक्षा घेरे से आगे बढ़ जाते हैं और ऐसी स्थिति में इस बल को इनकी सुरक्षा अवश्‍य सुनिश्चित करनी चाहिए। हालांकि हमारे राजनीति के संघीय स्‍वरूप में राज्‍यों में सुरक्षा प्रबंधन के साथ समन्‍वय स्‍थापित करने में इसकी कई चुनौतियां हैं।

मैं अभी लगभग 8 वर्षों से एसपीजी के कार्य का सीधा गवाह हूं और मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं होता कि इस महत्‍वपूर्ण संगठन ने कठिन परिस्थितियों एवं चुनौतियों से निपटने की भूमिका बखूबी निभाई है। हाल ही में पांच राज्‍यों में संपन्‍न हुए विधानसभा चुनावों में एसपीजी का कार्य एक उदाहरण रहा है। इन पांच राज्‍यों में चुनाव से संबंधित यात्राओं के लिए सं‍रक्षित व्‍यक्तियों की सुरक्षा व्‍यवस्‍था में इस संगठन के किये गए प्रयासों की सराहना करता हूं। वास्‍तव में चुनाव के समय संरक्षितों की गहन यात्रा के दौरान उन्‍हें सुरक्षा उपलब्‍ध कराना एक चुनौती था और एसपीजी ने इस चुनौती का सामना अपने कठिन परिश्रम और कुशल योजना से किया।

आतंकवाद आज नये रूप और नये आकार में आ गया है। यह अब अक्‍सर आतंकवादियों के मजबूत और शिक्षित वर्ग द्वारा चलाया जाता है। जबकि सुरक्षा बल देखे और जाने जाते हैं और उनकी कार्यवाहियों के बारे में अंदाजा भी लगाया जा सकता है, लेकिन आज के आतंकवादी अदृश्‍य होते हैं और उनमें जानकारियां साझा करने, कौशल एवं संसाधनो के नेटवर्क निर्माण में कहीं उच्‍चकोटि की क्षमता होती है। बल-गुणक के रूप में उनकी कार्रवाइयां नवीन तकनीकियों से सुसज्जित होती हैं। हमारे देश का सुरक्षा परिवेश आज कई बाहरी घटकों से भी प्रभावित है जो वास्‍तव में हमारे नियंत्रण में नहीं है। इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि एसपीजी लगातार प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण दोनों के संदर्भ में अपने आपको नवीन करे। इसमें उच्‍चकोटि के समर्पित कर्मचारियों को पर्याप्‍त संख्‍या में शामिल किया जाना चाहिए और उन्‍हें ऐसा परिवेश देना चाहिए, जिससे उनका प्रदर्शन उत्‍साहजनक और उन्‍हें उभरती हुई नवीन चुनौतियों से निपटने में उन्‍हें नवीन तकनीकियों और कौशल के साथ सुसज्जित करे। मैं इस संगठन को उसके इस प्रयास में सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्‍वासन देता हूं।

मुझे खुशी है कि अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के तर्ज पर संगठन अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और सुरक्षा तैयारी की क्षमता प्राप्‍त करने के लिए नवीन विधियों को अपना रहा है। यह आणविक, जैविक और रासायनिक युद्धों के खतरों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी एवं अस्‍त्र -शस्‍त्र में सुधार के लिए विभागीय अनुसंधान एवं विकास भी अपना रहा है।

अपनी बात समाप्‍त करने से पहले मैं एसपीजी और इसके जवानों को सभी एसपीजी संरक्षण प्राप्‍त लोगों के बचाव और सुरक्षा के लिए धन्‍यवाद देना चाहूंगा।

मैं एसपीजी के उज्‍जवल भविष्‍य की कामना करता हूं। मैं इसके जवानों को उनके निजी एवं पेशेवर जीवन में उनकी पूर्ण सफलता की भी कामना करता हूं।