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March 27, 2012
सिओल


परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मेलन के समापन सत्र में प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य

प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह द्वारा सिओल में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मेलन के समापन सत्र में आज दिये वक्‍तव्‍य का पाठ इस प्रकार है।

"मैं इस शिखर सम्‍मेलन की मेजबानी और यहां की गई उत्‍कृष्‍ट व्‍यवस्‍थाओं के लिए अन्‍य लोगों के साथ मिलकर राष्‍ट्रपति ली म्‍यूंग-बाक को धन्‍यवाद करना चाहूंगा।

भारत परमाणु आतंकवाद और परमाणु तकनीक के गुपचुप प्रसार, जिससे अंतर्राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे लगातार पैदा हो रहे हैं, उसके प्रति वैश्विक चिंताओं से पूरी तरह सहमत है। लेकिन दूसरी तरफ, भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को देखते हुए हम पाते हैं कि परमाणु ऊर्जा हमारी ऊर्जा आवश्‍यकताओं का आवश्‍यक हिस्‍सा बन चुकी है। इसलिए परमाणु सुरक्षा को मजबूत कर ही असैन्‍य परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और संरक्षित विस्‍तार के भारत के लक्ष्‍य को पाने में मदद मिल सकती है। हमें, खासकर, विकासशील देशों को उन तमाम विकासात्‍मक लाभों को हासिल करने के लिए निश्चित रूप से प्रयास करते रहना चाहिए जो परमाणु विज्ञान और तकनीक से उपलब्‍ध होते हैं।

हम, अपने परमाणु ऊर्जा उत्‍पादन का विस्‍तार 2032 तक 62 हजार मेगावाट करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। हम, सीमित ऊर्जा चक्र, नवीन सुरक्षा मानकों और प्रसाररोधी तकनीकों पर आधारित अपने त्रिस्‍तरीय परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं।

हम, इस बात के प्रति भी दृढ संकल्पित हैं कि हमारा विस्‍तृत परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम परमाणु सुरक्षा और संरक्षा के उच्‍चतम मानकों का पालन करेगा जिसका लक्ष्‍य परमाणु ऊर्जा के प्रति आम लोगों में विश्‍वास स्‍थापित करना है। फुकुशिमा की त्रासद घटना के बाद ऐसा करना ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हो गया है।

हमने अपने परमाणु सुविधा केंद्रों पर उपलब्‍ध परमाणु सुरक्षा उपायों की समग्र समीक्षा की है। भारत ने अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के संचालन सुरक्षा समीक्षा दलों को अपनी सुरक्षा समीक्षाओं और लेखाओं में सहयोग के लिए आमंत्रित किया है। पारदर्शिता और आम लोगों में भरोसा बढ़ाने के लक्ष्‍य से परमाणु सुरक्षा मूल्‍यांकनों को सार्वजनिक किया जा रहा है। हम एक वैधानिक, स्‍वतंत्र और स्‍वायत्‍त परमाणु सुरक्षा विनियामक प्राधिकरण के गठन की भी प्रक्रिया में हैं। हम, आपातकालीन तैयारियों और परमाणु दुर्घटना की स्थिति में बचाव कार्यों की अपनी क्षमता को भी मजबूत कर रहे हैं।

जब तक आतंकवादी परमाणु सामग्री और तकनीकों का गलत उपयोग करने के लिए इन तक पहुंच बनाना चाहते हैं तब तक परमाणु आतंकवाद एक गंभीर खतरा बना हुआ है। भारत सच में इस खतरे के प्रति सजग है। व्‍यापक विध्‍वंस के हथियारों को आतंकवादियों की पहुंच से दूर रखने के उपायों पर महासभा में हमारा प्रस्‍ताव 2002 में सर्वसम्‍मति से स्‍वीकार किया गया था।

हम, संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्‍ताव 1540 के विस्‍तार और इसकी समिति के कार्य का समर्थन करते हैं तथा इसके ठोस कार्यान्‍वयन के लिए इस वर्ष एक 1540 कार्यशाला की मेजबानी करना चाहते हैं।

भारत परमाणु सुरक्षा पर मुख्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय संवैधानिक उपायों- भौतिक सुरक्षा घोषणा पत्र तथा इसका संशोधन, 2005 और परमाणु आतंकवाद गतिविधियों की रोकथाम के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय घोषणा पत्र में एक पक्ष भी है। हम, इन उपायों को सार्वभौमिक बनाये जाने का समर्थन करते हैं।

परमाणु सुरक्षा प्राथमिक तौर पर एक राष्‍ट्रीय उत्‍तरदायित्‍व है लेकिन राष्‍ट्रीय दायित्‍वों को सतत प्रभावी अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोगों के माध्‍यम से पूरा कर कई तरह के लाभ हासिल किये जा सकते हैं।

अब तक अमल में आ रहे वॉशिंगटन घोषणा पत्र और कार्य योजना में परमाणु सुरक्षा के लिए नये मानदंड तय किये और अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग की नई रूपरेखा बनाई है। हम, इस तथ्‍य का स्‍वागत करते हैं कि यह शिखर सम्‍मेलन उच्‍च सं‍वर्धित यूरेनियम के प्रयोग में कमी, सूचना एवं परिवहन सुरक्षा, परमाणु अपराध विज्ञान, अवैध परमाणु तस्‍करी रोकथाम, राष्‍ट्रीय विनियमों को अद्यतन करने में सहयोग और परमाणु सुरक्षा के लिए क्षमता निर्माण जैसे लक्ष्‍यों पर ध्‍यान केंद्रित कर अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग के दायरे को और भी विस्‍तार देगा।

भारत ने परमाणु सुरक्षा प्रक्रिया में सक्रिय योगदान किया है। इस सिलसिले में नई दिल्‍ली में इस वर्ष जनवरी में शेरपा सम्‍मेलन भी आयोजित किया गया।

हमने वॉशिंगटन शिखर सम्‍मेलन में मेरे द्वारा घोषित परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए वैश्विक केंद्र की स्‍थापना की दिशा में अच्‍छी प्रगति की है। इस केंद्र के लिए भौतिक अवसंरचना तैयार की जा चुकी है। हमने फिलहाल ऑफ कैंपस पाठ्यक्रमों का संचालन भी शुरू कर दिया है। भविष्‍य में ऐसे पाठ्यक्रम ज्‍यादा तेजी से संचालित किये जायेंगे। हमने इस वैश्विक केंद्र में सहयोग के लिए अमरीका, रूस, फ्रांस और अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ करार किये हैं।

भारत विकासशील देशों को कैंसर उपचार के लिए अपनी स्‍वदेशी कोबाल्‍ट टेलीथेरेपी मशीन भाभाट्रोन्‍स उपलब्‍ध कराने के साथ ही अन्‍य तकनीकी सहयोग देने में विस्‍तार कर रहा है।

अंतर्राष्‍ट्रीय वैश्विक परमाणु सुरक्षा ढांचा तैयार करने में अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की केंद्रीय भूमिका होती है। मैं, यह घोषणा करके खुश हूं कि भारत अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के परमाणु सुरक्षा कोष में वर्ष 2012-13 के लिए 10 लाख अमेरीकी डॉलर का योगदान करेगा।

भारत परमाणु आतंकवाद की रोकथाम के लिए वैश्विक पहल और वैश्विक सहयोग समेत विभिन्‍न मुद्दों पर अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की और से 2013 में होने वाले अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग सम्‍मेलनों में हिस्‍सा लेगा।

परमाणु सुरक्षा की गारंटी के लिए सबसे बेहतर तरीका दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्‍त करना है। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने वैश्विक परमाणु निरस्‍त्रीकरण की दिशा में एक कार्ययोजना और समयबद्ध रूपरेखा आज से लगभग 25 वर्ष पहले ही पेश की थी। यह आज भी इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए सबसे संतुलित और व्‍यापक प्रस्‍ताव बना हुआ है।

परमाणु अस्‍त्र मुक्‍त विश्‍व का लक्ष्‍य पाने के लिए परमाणु हथियार रखने वाले सभी देशों को बहुआयामी कार्ययोजना तैयार करनी होगी और उसके प्रति सभी को प्रतिबद्ध होना होगा। इस कार्ययोजना में परमाणु खतरों को कम करने के लिए सुरक्षा रणनीतियों में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करना होगा और परमाणु अस्‍त्रों के पहले उपयोग न करने की सार्वभौमिक पहल को बढ़ावा देना होगा।

हम, जेनेवा में निरस्‍त्रीकरण सम्‍मेलन में की गई आणविक सामग्री कटौती संधि पर भी बातचीत तुरंत शुरू करने का समर्थन करते हैं।

भारत कभी भी संवेदनशील तकनीकों के प्रसार का स्रोत नहीं बना है और हम आगे भी अपने निर्यात नियंत्रण प्रणाली को मजबूत करने के प्रति दृढ संकल्‍प हैं ताकि उनका स्‍तर उच्‍चतम अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुकूल बना रहे। हमने हमेशा ही एनएसजी और एमटीसीआर के दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया है। वैश्विक अप्रसार उद्देश्‍यों को प्रोत्साहन देने के लिए एक सक्षम और इच्‍छुक देश के तौर पर हमें उम्‍मीद है कि इसका अगला तार्किक कदम चार निर्यात नियंत्रक संस्‍थाओं में भारत को सदस्‍यता देना होगा।

निष्‍कर्ष के तौर पर मैं दुबारा कहना चाहूंगा कि भारत अपनी परमाणु सुरक्षा और संरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और उसमें और भी सुधार करने तथा वैश्विक परमाणु सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण योगदान के लिए प्रतिबद्ध है।

धन्‍यवाद।"