भाषण [वापस जाएं]

March 26, 2012
सियोल


प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कोरिया के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों को संबोधित किया

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज सियोल में कोरियाई व्‍यापार एवं उद्योगों के प्रमुख कार्यकारी अधिकारियों से मुलाकात की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का हिन्‍दी प्रारूप निम्‍नलिखित है।

आज सुबह आप लोगों से मिलकर मुझे अपार खुशी हो रही है। इस खूबसूरत देश में सरकारी दौरे के दौरान इस आपसी विचार-विमर्श के आयोजन के लिए मैं कोरियन चैम्‍बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को धन्‍यवाद देता हूं।

कोरिया के लोगों के अच्‍छे आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए हम भारत में प्रशंसा करते हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद कोरिया ने ओईसीडी देशों में उच्‍च विकास दर हासिल किया है। इस उपलब्धि का मुख्‍य कारण दृढ़ संकल्‍प, कठिन परिश्रम और कोरिया के लोगों की भावना है।

भारत भी विश्‍व में तेजी से आर्थिक विकास करने वाला देश है। विपरीत अंतर्राष्‍ट्रीय परिवेश के बावजूद हमने पिछले वर्ष 7 प्रतिशत वार्षिक दर को बनाए रखने में सफलता हासिल की है। मुझे विश्‍वास है कि हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की मजबूत नींव आने वाले वर्षों में 8-10 प्रतिशत की सतत वार्षिक विकास दर प्राप्‍त करने में सहायक होगी।

पहला, हमारी घरेलू बचत दर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का लगभग 33 से 35 प्रतिशत है, जो बढ़ रहा है। दूसरा, भारत में युवाओं की संख्‍या ज्‍यादा है और आधे से ज्‍यादा काम करने वालों की संख्‍या 20 वर्ष उम्र वालों की है।

तीसरा, बीते कुछ वर्षों के दौरान हमने ग्रामीण भारत की तस्‍वीर बदलने के लिए शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और कृषि में काफी निवेश किया है। हमारा ग्रामीण बाजार फल-फूल रहा है और मध्‍यम वर्ग के लोगों का विकास तेजी से हो रहा है।

चौथा, हम अपने उच्‍च शिक्षा के वृहत विस्‍तार, कौशल विकास एवं पोत, हवाई अड्डा, रेलवे, ऊर्जा और सड़कों के लिए ढांचागत विकास कर रहे हैं । भारत वैश्विक ज्ञान अर्थव्‍यवस्‍था में अग्रणी रूप में कार्य करने के लिए इच्‍छुक है।

पाँचवाँ, हमारे पास अपने भौतिक ढांचागत विकास के लिए महत्‍वाकांक्षी योजना है। हम अगले पांच वर्षों में हाईवे, बिजली संयंत्र, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, पोत एवं हवाई अड्डों से संबंधित नई परियोजनाओं में लगभग एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश सुनिश्चित करने की योजना तैयार कर रहे हैं। इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी के तर्ज पर सार्वजनिक और निजी निवेश के जरिए पूरा किया जाएगा।

छठा, हम हरित वृद्धि की रणनीति के पालन के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने एवं अपने मिश्रित ऊर्जा में नवीन ऊर्जा जिसमें सौर एवं परमाणु ऊर्जा शामिल है, के अनुपात को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे अपार व्‍यापारिक अवसर उपलब्‍ध होंगे और मुझे पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी में कोरिया के क्षमता का ज्ञान है।

कोरियाई कंपनियों ने भारत की आर्थिक क्षमता और प्रतिस्‍पर्धी लाभों को पहचाना है। वे उन पहले के निवेशकों में से हैं, जो भारत को एक सामरिक निवेश स्‍थल के रूप में देखते हैं। भारत में एल जी एवं सेमसंग जैसे कोरियाई कंपनियां घरेलू नाम के रूप में है। भारत के घरेलू यात्री कार उद्योग बाजार में हुंडई का 25 प्रतिशत हिस्‍सा है।

मेरा मानना है कि कभी-कभी हमारी गतिविधि धीमी हो सकती है परन्‍तु समस्‍याओं, विवादों एवं विधि के कठिन नियमों के निराकरण के लिए प्रभावी तंत्र भी होते हैं। सरकार पॉस्‍को (पीओएससीओ) परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए इच्‍छुक है और इस दिशा में कुछ प्रगति भी हुई है। मेरा विश्‍वास है कि भारत एक स्‍थाई और दीर्घकालिक और लाभप्रद निवेश का अवसर है।

भारत के लिए कोरिया से निवेश प्राथमिकता है। हम निवेशकों की समस्‍याओं को दूर करने और देश में व्‍यापार के वातावरण को सुधारने के लिए महत्‍वपूर्ण कदम उठाएंगे। हमारे देश के कई राज्‍य विेदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं और हम उनके प्रयासों में सहयोग देंगे। मैं कोरियाई उद्योगों से भारत में आस्‍था रखने का आग्रह करता हूं।

1 जनवरी, 2010 को हमारे द्विपक्षीय विस्‍तृत आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के लागू हो जाने के बाद दो वर्षों में हमारे द्विपक्षीय व्‍यापार में लगभग 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और वर्ष 2011 में कुल व्‍यापार 20.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। हालांकि यह अप्रयुक्त क्षमता से नीचे है। इसलिए राष्‍ट्रपति श्री ली और हमने 2015 तक इस द्विपक्षीय व्‍यापार को 40 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा है। यह एक चुनौती के साथ- साथ एक अवसर भी है और इसे हम दोनों को हासिल करना चाहिए। मैं आपके विचारों को जानना चाहूंगा।

धन्‍यवाद।