भाषण [वापस जाएं]

January 23, 2012
नई दिल्ली


पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर बहादुर बच्चों को प्रधान मंत्री का सम्बोधन

देश का प्रधान मंत्री होने के नाते मुझे बहुत से कार्यक्रमों में हिस्सा लेना पड़ता है। लेकिन Indian Council for Child Welfare और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित यह सालाना कार्यक्रम अन्य कार्यक्रमों से बिल्कुल अलग है। मेरे लिए इसकी एक खास अहमियत है। बच्चों के बीच आने पर मुझे हमेशा खुशी और ताज़गी का अनुभव होता है। और अगर मौका बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार देने का हो तो यह खुशी और भी बढ़ जाती है।

जिन बच्चों को आज पुरस्कार मिल रहा है उनको मैं एक बड़ी सी शाबाशी देना चाहूंगा। आपकी बहादुरी के कारनामे सुनकर आश्चर्य होता है। आपने इतनी कम उम्र में इतने बड़े काम करके हम सबका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप आगे भी इसी तरह के बड़े-बड़े काम करते रहें।

 इस खुशी के मौके पर पिछले साल की तरह एक दुःख भरी याद भी आज हमारे साथ है। पांच साहसी बच्चे आज हमारे साथ नहीं हैं। मास्टर कपिल सिंह नेगी, मास्टर आदित्य गोपाल, कुमारी सौधिता बर्मन, कुमारी लवली वर्मा और मास्टर सी लालदुहावमा ने दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उन बच्चों की बहादुरी की मिसाल हमेशा हम सबको प्रेरणा देती रहेगी। मैं इन पांच बहादुर बच्चों को सलाम करता हूं और दिल से उनको श्रद्धांजलि देता हूं।

बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। इसलिए यह हम सबका पहला फर्ज बनता है कि हम यह सुनिश्चित करें कि देश का हर बच्चा स्वस्थ रहे, उसे अच्छी शिक्षा प्राप्त हो और उसका बचपन खुशियों से भरा हुआ हो। इस दिशा में हमारी सरकार हरेक संभव प्रयास करेगी। पर इस काम में हमें देश के हर नागरिक के सहयोग की ज़रुरत है। हमें Indian Council for Child Welfare जैसी अन्य संस्थाओं की ज़रुरत है जो बच्चों की भलाई के लिए काम करें। मैं Council को उसके कामों के लिए और विशेष रूप से 1958 से हर साल साहसी बच्चों को पुरस्कार देने के लिए बधाई देता हूं।

 मुझे इस बात की खुशी है कि इस साल बहादुर बच्चों के लिए पुरस्कार की राशि में कई गुना बढ़ोत्तरी की गई है। आखिर में बहादुर बच्चों को एक बार फिर बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर हर काम में आपका साथ दे और आपको सफल बनाए।